Soviet Scientist Who Made Two-Headed Dog: इसमें कोई दो राय नहीं कि मेडिकल साइंस की तरक्क़ी और नित नए प्रयोगों की वजह से आज लगभग मौत के मुंह तक पहुंचे इंसान के बचने की संभावना बढ़ गई है. लेकिन, इस बात से भी मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि मेडिकल साइंस का इतिहास कई विचित्र मोड़ से होकर गुज़रता है. विचित्र इसलिए, क्योंकि इतिहास में कई ऐसे अजीबो-ग़रीब प्रयोग किए गए हैं, जो किसी को भी दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर सकते हैं. 

अगर आप मेडिकल साइंस का इतिहास खंगाले, तो आपको इंसानों पर किए गए कई डरावने और दिल दहला देने वाले प्रयोगों का ज़िक्र मिलेगा. वहीं, जानवरों पर तो शुरू से ही प्रयोग होते आए हैं, लेकिन इस लेख में हम जिस प्रयोग का ज़िक्र कर रहे हैं, वैसा शायद आपने पहले नहीं सुना होगा. जानकर हैरानी होगी कि इतिहास के एक पागल वैज्ञानिक ने दो सिर वाला कुत्ता बना डाला था. आइये, विस्तार से पढ़ते हैं इस अजीबो-ग़रीब प्रयोग की पूरी कहानी.    

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं ये आर्टिकल – Soviet Scientist Who Made Two-Headed Dog

दो सिर वाला कुत्ता  

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Soviet Scientist Who Made Two-Headed Dog: इस अजीबो-ग़रीब प्रयोग को करने वाले वैज्ञानिक का नाम था डॉ. व्लादिमीर डेमीखोव (Dr. Vladimir Demikhov). इस सोवियत वैज्ञानिक ने 1950s में एक विचित्र प्रयोग कर डाला. इस वैज्ञानिक ने एक छोटे कुत्ते के लगभग आधे शरीर को ट्रासप्लांट कर एक बड़े कुत्ते के शरीर से जोड़ दिया था.      

24 बार की गई सर्जरी  

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ये प्रयोग 1954 से शुरू किया गया था, लेकिन पहली बार में सफलता नहीं मिली थी. इस एक्सपेरिमेंट के लिए डॉ. व्लादिमीर डेमीखोव और उनके सहयोगियों ने 23 बार सर्जरी की, लेकिन सफल परिणाम नहीं मिले. वहीं, 24वीं (1959) सर्जरी में उतने अच्छे परिणाम तो नहीं मिले, लेकिन ये प्रयोग काफ़ी ज़्यादा प्रचारित किया गया था.   

प्रयोग के लिए चुने गए ख़ास कुत्ते  

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डॉ. व्लादिमीर डेमीखोव ने अपने इस विचित्र प्रयोग के लिए एक बड़ा German Shepherd चुना, जिसे डॉ. ने नाम दिया Brodyaga और एक छोटा कुत्ता जिसे Shavka नाम दिया गया. इस प्रयोग में जर्मन शेफ़र्ड के शरीर से छोटे कुत्ते का लगभग आधा शरीर ट्रांसप्लांट करना था.  

इसके बाद Shavka के निचले शरीर को काट दिया गया और Brodyaga के ऊपरी शरीर के एक हिस्से में एक चीरा लगाकर जोड़ दिया गया. वहीं, ट्रांसप्लांट से पहले आख़िरी मिनट तक Shavka को उसके दिल और फेफड़ों से जोड़कर रखा गया था. इस ऑपरेशन में केवल साढ़े तीन घंटे लगे. 
ऑपरेशन के बाद कुत्तों के दोनों सिर सुन सकते थे, देख सकते थे, सूंघ सकते थे और भोजन निगल सकते थे. हालांकि, Shavka का प्रत्यारोपित सिर Brodyaga के पेट से जुड़ा नहीं था. इसलिए, वो जो कुछ भी खाता वो वह एक बाहरी ट्यूब के माध्यम से फ़र्श पर बह जाता.  

चार दिन ही जीवित रह पाए कुत्ते  

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ऑपरेशन तो सफल रहा, लेकिन य़े कुत्ते ज़्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह पाए. ये कुत्ते सिर्फ़ चार दिन तक ही जीवित रहे. कहते हैं कि अगर गर्दन की एक नस डैमेज न हुई होती, तो ये कुत्ते डॉ. डेमीखोव के सबसे ज़्यादा दिनों (29 दिनों तक) तक जीवित रहने वाले दूसरे दो सिर वाले कुत्ते से ज़्यादा दिनों तक जीवित रह पाते. 

वहीं, माना जाता है कि सबसे पहला डॉग हेड ट्रांसप्लांट 1908 में  Dr. Alexis Carrel और  Dr. Charles Guthrie द्वारा किया गया था.