औरतें खाना-वगैरह बना लेती हैं, किचन भी अच्छे से संभाल लेती हैं. ये अच्छा है. किचन उनकी अपनी जगह है… लेकिन बिज़नेस वगैरह उनके बस की बात नहीं. बिज़नेस आदमी ही कर कर सकते हैं. हां ऑफ़िस में लीड रोल वगैरह भी ठीक है लेकिन टॉप पर पहुंचना इनके बस की बात नहीं. किसी कंपनी को चलाने के लिए आदमी की ज़रूरत और उसका दिमाग़ तो चाहिए ही. 


अब इन 14 महिलाओं को ही देख लीजिये, बिज़नेस में हाथ आज़माने की कोशिश की थी. देखिये क्या से क्या हो गयीं 

1. चंदा कोचर

चंदा कोचर कुछ बनने की चाह में घर से निकलीं और सिर्फ़ ICICI बैंक की मुख्य कार्यकारी ऑफ़िसर (CEO) और प्रबन्ध निदेशक (MD) ही बन पाईं.

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2. Shanti Ekambaram

शांति, कोटक महिंद्रा बैंक में कंज़्यूमर बैंकिंग की प्रेसिडेंट हैं. बैंक के इतने बड़े-बड़े फ़ैसलों पर अपना मत रखती हैं, लेकिन इन्होंने कुछ किया ही कहां है?

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3. नीता अंबानी 

बड़े-बड़े स्टार्स और बिज़नेसमैन नीता अंबानी की बिज़नेस स्किल के क़ायल हैं, क्योंकि वो  नीता अंबानी, आज के समय का बिज़नेस के क्षेत्र का सबसे बड़ा नाम हैं और रिलायंस फ़ाउंडेशन की चेयरपर्सन हैं. साथ ही क्रिकेट टीम ‘मुंबई इंडियंस’ की ओनर भी हैं, लेकिन सबसे हरा देने वाली बात कि वो एक महिला हैं.

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4. सावित्री जिंदल 

भारत की सबसे ज़्यादा रईस महिला और जिंदल ग्रुप के फ़ाउंडर की पत्नी सावित्री जिंदल 9.5 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया की सबसे रईस लोगों की सूची में शामिल हैं. ये जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन हैं. जिंदल ग्रुप स्टील और बिजली उत्पादन के क्षेत्र से जुड़ा है. अपने पति के बिज़नेस को अरबों का मुनाफ़ा कराने वाली सावित्री जिंदल को कुछ कहां आता है? 

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5. शोभना भरतिया

बेबाक़ शोभना भरतिया राज्यसभा की सांसद हैं. साथ ही न्यूज़पेपर हिन्दुस्तान टाइम्स की संपादकीय सलाहकार हैं और बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी की प्रो-चांसलर भी हैं, लेकिन उन्हें समझ थोड़ी ही है. 

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6. रेणुका रामनाथ

रेणुका रामनाथ एक निजी इक्विटी में फंड मैनेजर हैं. लगभग 3 दशकों से रेणुका ने वित्तीय सेवाओं में ICICI समूह में सफ़लतापूर्वक कई व्यवसायों का निर्माण किया, जिसमें निवेश बैंकिंग, ई-कॉमर्स और प्राइवेट इक्विटी शामिल है. क़रीब 1 दशक तक ICICI की सीईओ और एमडी रहने के बाद उन्होंने उसे भारत के सबसे बड़ी निजी इक्विटी फ़ंड्स में से एक बनाने में पूरा नेतृत्व करती हैं, लेकिन पुरूषों से ज़्यादा समझ नहीं है इनमें.

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7. ज़िया मोदी

बड़े-बड़े लोगों को हार का मज़ा चखाने वाली ज़िया मोदी ने कॉर्पोरेट वकील और बिजनेसविमेन बनकर कौन-सा तीर मार लिया. वो सिर्फ़ AZB & Partners की Managing Partner ही तो हैं. 

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8. अनु आगा

अनु आगा, भारत की वरिष्ठ सदन राज्यसभा की सदस्य हैं और सामाजिक कार्यकता हैं. वो आठ सबसे अमीर भारतीय महिलाओं में से एक थीं और 2007 में फ़ोर्ब्स पत्रिका के मुताबिक नेट रिटेल में 40 सबसे ज़्यादा अमीर भारतीयों में से एक थीं. उन्हें एसोचैम की सभी महिला विंग, ऑल लेडीज़ लीग द्वारा Decade Achievers Award से सम्मानित किया गया था. 2010 में उन्हें भारत सरकार द्वारा सामाजिक कार्य के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. हाल ही में वो Teach For India की अध्यक्ष भी चुनी गयी हैं, बस इतना ही कर पाईं अभी तक.

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9. प्रीता रेड्डी

प्रीता रेड्डी एक इंडियन बिज़नेसविमेन हैं, जो वर्तमान में अपोलो अस्पताल की वाइस चेयरपर्सन हैं, ज़्यादा उड़ो मत झंडे नहीं गाड़ दिए हैं.

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10. स्वाती पीरामल

स्वाति पीरामल ने अपने सपनों के लिए हर मुसीबत को भले ही हंसते-हसंते झेला हो, लेकिन कोई महान काम नहीं कर दिया है सब करते हैं. आज वो भारत की अग्रणी वैज्ञानिकों और उद्योगपतियों में से एक हैं, वो पीरामल एंटरप्राइज़ेज़ लिमिटेड की वाइस चेयरपर्सन हैं, तो कोई बड़ी बात नहीं है.

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11. कल्पना मोरपारिया

कल्पना मोरपारिया ‘जेपी मॉर्गन’ में इंडिया की CEO हैं. वो कंपनी के निवेश बैंकिंग, संपत्ति प्रबंधन और दूसरे महत्वपूर्ण कामों का नेतृत्व करती हैं. इससे पहले वो ICICI बैंक बैंकिंग बोर्ड की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं, येसब करने के बाद भी इन्होंने क्या किया?

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12. शिखा शर्मा

शिखा शर्मा एक्सिस बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO हैं. CEO तो कोई भी बन सकता है, क्यूं हैं न?

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13. किरन मजूमदार शॉ

किरण मजूमदार-शॉ बायोकॉन की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं, जो बैंगलोर में एक अग्रणी Biotechnology संस्थान हैं, तो कोई तीर नहीं मार लिया.

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14. रेणु सूद कर्नाड

रेणु सूद कर्नाड HDFC बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. इसके अलावा वो मल्टीनैशनल कंपनी ABB Ltd. में स्वतंत्र निदेशक भी हैं. साथ ही 14 और कंपनियों के निदेशक मंडल की भी सदस्य हैं. अपने सपनों को पाने की राह में कितने दर्द से सहे, लेकिन किया ही क्या है?

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हमने इस व्यंग्य के ज़रिए आप तक जिस बात को पहुंचाना चाहा है, आप समझ गए होंगे. ये व्यंग्य समाज की उस सोच पर एक तमाचा है, जो महिलाओं को सिर्फ़ घर के किचन तक सीमित रखती है, क्योंकि वक़्त बदल चुका है और इस बदलते वक़्त में आदमी और औरत दोनों एक समान हैं. अगर आदमी बाहर जाकर कमा सकता है, तो औरत आज घर और बाहर दोनों को संभाल सकती है, बल्कि संभाल रही है. 


नारी शक्ति को दिल से सलाम है! 

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