22 अगस्त का दिन भारत की सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहा क्योंकि कल ही सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय में सदियों से चली आ रही तीन तलाक़ की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया. तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों की संविधान बेंच ने इस प्रथा को 3:2 के बहुमत से ख़त्म करने का फैसला सुनाया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रिपल तलाक़ मुस्लिम महिलाओं के मूलभूत अधिकारों का हनन करता है. यह प्रथा बिना कोई मौका दिए शादी को खत्म कर देती है.
ट्रिपल तलाक़ या मौखिक रूप से तीन बार तलाक़ बोलना कुछ मुस्लिम समुदायों में एक प्रथा है, जहां तीन बार तलाक़ बोलने से ही शादी समाप्त हो जाती है. इसमें कोई शक़ नहीं है कि इस तरह की प्रथा महिलाओं के लिए एक क्रूर और अनुचित प्रथा है. पर फिर भी अभी तक कई मुस्लिम समुदायों में सिर्फ़ तीन बार तलाक़ बोल देने से शादी जैसा पवित्र रिश्ता वैध नहीं रहता है. कई बार तो ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि फ़ोन पर, मेल पर या मेसेज करके ही शौहर ने अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर शादी तोड़ दी. लेकिन हमारे देश में कई महिलायें हैं जिन्होंने इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाई.
आज हम आपको ऐसी ही पांच महिलाओं से मिलवाने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता और न्याय के लिए कोर्ट में लड़ाई लड़ी.
1. अतिया साबरी
उत्तर प्रदेश में रहने वाली अतिया 2 बच्चों की मां हैं. उनके ससुराल वाले शादी के बाद 3 साल तक उनको दहेज़ के लिए प्रताड़ित करते रहे. अतिया ने इसके ख़िलाफ़ सहारनपुर जिले के महिला थाना में शिकायत भी दर्ज करवाई थी. अपनी शिकायत में उन्होंने साफ़-साफ़ कहा था कि उनके ससुराल पक्ष के लोग दहेज़ के रूप में उनके पेरेंट्स से 25 लाख रुपये की मांग कर रहे हैं. और दहेज़ ना दे पाने की स्थिति में उनको मारा-पीटा जा रहा है. उनके पति ने एक कागज़ पर तीन बार तलाक़ लिखकर छोड़ दिया था.
2. गुलशन परवीन
उत्तर प्रदेश की गुलशन तीन तलाक़ की एक और भुक्तभोगी हैं, जिनकी कहानी जितनी दर्दनाक है, उतनी ही अजीब भी. 2015 में जब उनकी शादी को दो साल ही हुए थे और वो अपने माता-पिता के घर पर थीं. उसी दौरान उन्होंने एक बच्चे को जन्म भी दिया था, जब उनको पति द्वारा भेजा गया तलाक़नामा मिला था. ये तलाक़नामा मात्र 10 रुपये के स्टैम्प पेपर पर था. 31 वर्षीय गुलशन पहले से ही 2 साल तक घरेलू हिंसा की शिकार भी रह चुकी थीं.
3. आफ़रीन रहमान
26 वर्षीय आफ़रीन का केस समाज में फैली पितृसत्तात्मकता वाली सोच को सामने लाता है. आफ़रीन की शादी 2014 में हुई थी, वो ऑनलाइन मैरिज पोर्टल पर अपने शौहर से मिली थी. हालांकि, शादी के 2-3 महीने बाद ही उनके ससुराल वाले दहेज़ की मांग करने लगे और उनको मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगे. इस सब के बाद, आफ़रीन जो जयपुर की रहने वाली हैं, अपने माता-पिता के घर वापस चली गयी. उसके पति ने केवल एक पत्र भेजकर उसे तलाक दे दिया, जिसमें तीन बार तलाक़ शब्द था लिखा था!
4. शायरा बानो
शायरा एक 35 वर्षीय महिला हैं, जो दो साल पहले अक्टूबर 2015 में तीन तलाक़ के दंश को झेल चुकी हैं. दो बच्चों की मां और उत्तराखंड में रहने वाली शायरा के पति ने अपनी 15 साल की शादी को तलाक़-तलाक़-तलाक़ बोलकर तोड़ दिया था.
5. इशरत जहां
पश्चिम बंगाल की इशरत 4 बच्चों की मां हैं और उनकी शादी को 15 साल हो गए थे, जब उनके पति ने उनको तलाक़ दिया था. 2015 उनके पति ने दुबई से उनको फ़ोन करके तलाक़ दे दिया था. फ़ोन करके उनके पति ने केवल एक शब्द तीन बार बोला और वो था, ‘तलाक़’.
महिलाओं को हमारे देश या दुनिया के किसी भी देश में कभी परंपरा, तो कभी परिवार के नाम पर इस तरह की कुप्रथाओं का सामना करना पड़ता है. और सदियों से इस तरह की प्रथाएं महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन करती आ रहीं हैं. वक़्त आ गया है कि इनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई जाए.