हर रोज़ हम महिलाओं के हौसले और हिम्मत की कई कहानियां सुनते हैं. महिलाओं की इच्छाशक्ति काफ़ी मज़बूत होती है. इनके बारे में ये तो सुना ही होगा, कि वो मानसिक रूप से बहुत साहसी और हिम्मती होती हैं. ज़िंदगी की राह कितनी ही मुश्किल क्यों न हो, लेकिन वे उसका सामना भी डट कर करती हैं.
हमारे पुरुष प्रधान देश में सबसे बुरी बात ये है, कि यहां महिलाओं को आगे बढ़ने के प्रोत्साहित नहीं किया जाता. प्रोत्साहन तो छोड़िए, अगर कोई महिला कुछ नया करने की सोचे भी, तो उसे कह कर चुप कराने की कोशिश की जाती है, कि तुम नहीं कर पाओगी, क्योंकि इस काम को करने के लिए हम मर्दों जैसी ताकत चाहिए.
पुरुषों द्वारा कही गई, ये तमाम बातें उस वक़्त गलत साबित हो गई. जब एक अकेली महिला ने चंद दिनों में वो कर दिखाया, जो शायद कई पुरुष मिलकर साल भर में भी नहीं कर पाते.
कर्नाटक के सिरसी में एक 51 वर्षीय महिला ने पानी की किल्लत होने पर, खुद ही 60 फ़ीट गहरा कुआं खोद कर सभी को चकित कर दिया. गौरी एस. नाईक अपने इस कारनामे की वजह से ‘लेडी भागीरथ’ के नाम से चर्चित हैं.
सिरसी के गणेश नगर निवासी, गौरी को कोकोनट और सुपारी के लिए पानी की ज़रूरत थी, लेकिन उसके पास कुआं खुदवाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे. इस वजह से महिला ने खुद ही कुआं खोदने का दृढ़ निश्चय किया. 3 महीने तक कठिन खुदाई करने के बाद, महिला को अंत में पानी मिल गया.
गौरी हर दिन 6 घंटे तक ज़मीन में चार फ़ीट तक की खुदाई करती थी. खुदाई के अंतिम चरण में ही केवल उसने तीन अन्य महिलाओं की सहायता ली. इस साहसिक कारनामे के बाद गौरी के पास अब 60 फ़ुट गहरा कुआं है, जिसमें 7 फ़ुट पानी है.
गौरी का एक बच्चा भी है, वो गणेश नगर में मज़दूरी का काम कर घर का खर्च चलाती है. उसने अपने घर के पास में 150 सुपारी, 15 कोकोनट और कुछ केले के पेड़ भी उगाए हैं.
51 साल की ये महिला धर्मस्थल ग्रामीण विकास स्कीम की मेंबर भी है और इसके इस कठिन परिश्रम के बारे में किसी को भनक तक नहीं थी.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया से बातचीत के दौरान स्कीम के अधिकारी ने बताया कि, ‘गौरी जब भी बैठक में आती थी, तो शरीर में दर्द की शिकायत करती थी, लेकिन हमें ये नहीं पता था कि वो एक कुएं की खुदाई कर रही है. हमें उसके घर जाने पर ही इस बात का पता तब चला’.
हमारे देश की महिलाएं चांद पर भी गई हैं, पर्वत पर भी. वो खेल-कूद में भी अव्वल हैं और पढ़ाई-लिखाई में भी उन्होंने नाम रौशन किया है. एक महिला घर और ऑफ़िस, दोनों संभाल सकती है. उसे पता है, कि कब उसे दुर्गा बन कर प्यार दिखाना है और कब काली बनकर लोगों को लाइन पर लाना है. महिलाओं की काबिलियत पर चर्चा करने के लिए शब़्द और जगह दोनों कम पड़ जाएंगे. इसलिए अब ये मत कहिएगा कि महिलाएं ये काम इसलिए नहीं कर सकती क्योंकि वो शारीरिक तौर पर मज़बूत नहीं होती.