पीरियड्स…

ओह सॉरी, मुझे कोई और शब्द लिखना चाहिए था. क्योंकि इस आर्टिकल को पढ़ने वाले आधे से ज़्यादा लोगों में वो लोग भी होंगे, जिनको इस शब्द का मतलब ही नहीं पता होगा. जिसे हम हिंदी में मासिक धर्म कहते हैं, और अंग्रेज़ी में Menstruation या Periods, वो महिलाओं को होने वाली एक नॉर्मल और नेचुरल प्रक्रिया है. लेकिन पूरी दुनिया में इसे एक Taboo की तरह देखा जाता है. एशिया में इसे एक बीमारी की तरह समझा जाता है. इस वक़्त या तो औरतें किचन में नहीं जातीं या उन्हें जाने नहीं दिया जाता, या फिर उन्हें घर में ही नहीं आने दिया जाता है. कुछ-कुछ घरों में मैंने पूरे घर की धुलाई होते हुए भी देखा है.

Takepart

पीरियड्स को लेकर चल रही इस एक मानसिकता के बारे में सबसे बुरी बात ये है कि लड़कियां भी इसे एक बीमारी ही मानती हैं, इस बात में बहुत फ़र्क है कि कोई चीज़ पीड़ादायक है और कोई चीज़ बीमारी. आप प्रेगनेंसी को जब बीमारी नहीं बोलते, तो पीरियड्स को क्यों?

भारत में पीरियड्स से जुड़े Taboo को लेकर अदिति गुप्ता ने कुछ अलग करने की सोची. अदिति को पता था कि पीरियड्स को लेकर लोगों की सोच अपने आप नहीं बनी, बल्कि बचपन से बनाई गयी है. इसलिए इसे ठीक करने के लिए बचपन से शुरुआत करनी पड़ेगी.

Indiatimes

अदिति ने Menstrupedia नाम से एक Comic Guide बनाई, जिसका मकसद मज़ेदार और बेहतर चैनल का इस्तेमाल करके लड़कियों को पीरियड्स का मतलब समझाना है. उन्होंने पहले कंप्यूटर गेम्स की भी सोची, लेकिन उसके लिए बिजली और कंप्यूटर की सुविधा चाहिए, जो भारत में हर जगह न हो. लेकिन एक मैगज़ीन आसानी से मिल सकती है. Menstrupedia के सभी Characters रियल-लाइफ़ और सिंपल हैं, जिनसे बच्चे रिलेट कर सकते हैं.

India Times को दिए एक इंटरव्यू में अदिति कहती हैं कि आजकल लड़कियों को Periods 8 साल की उम्र में हो जाते हैं, जबकि उस टॉपिक उनकी पढ़ाई का हिस्सा तब बनता है, जब वो 8वीं क्लास में पहुंचती हैं. कोर्स का हिस्सा होने के बाद भी ज़्यादातर टीचर इस टॉपिक को छोड़ना बेहतर समझते हैं.

अदिति के इस प्रयास की बदौलत, कई लड़कियां Menstrual Health को समझ रही हैं. देश भर के 75 स्कूलों, 25 NGO की तकरीबन 75,000 लड़कियां इस मैगज़ीन को पढ़ रही हैं. Menstruation के बारे में जानकारी के अभाव में विदेशों में इस मैगज़ीन और वेबसाइट को पढ़ा जाता है. भारत के अलावा इसे नेपाल और Uruguay में भी पहुंचाया जा रहा है.

अदिति की इस सराहनीय पहल के लिए एक महिला होने के नाते, मेरा धन्यवाद.

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