तारीख़ 16 दिसंबर, 2012, समय रात के 9:30 बजे: ये वही काली रात थी, जिसने पूरी मानवता को झकझोर कर रख दिया था. ये दिन अब देश के इतिहास में एक काले पन्ने के रूप में दर्ज हो चुका है. जी हां, ये वही तारीख़ है, जिसने दिल्ली समेत पूरे देश को शर्मसार कर दिया था. इस वारदात के बाद पूरी दुनिया सकते में आ गई थी. इसी दिन एक होनहार लड़की की इज़्ज़त को एक चलती बस में तार-तार कर दिया गया था. इस घटना को आज पूरे चार साल हो गए हैं. आज के ही दिन सामूहिक बलात्कार की इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. बलात्कारियों ने इस वीभत्स घटना को अंजाम देने के लिए दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी थीं.
जैसे-जैसे लोगों को एक मासूम के साथ हुई इस दरिंदगी की खबर लगी उनका खून खौल गया था. गौरतलब है कि बस में मौजूद उन पांचों दरिंदों ने उस लड़की का वो हाल किया, जिसकी कल्पना मात्र से ही आपकी रुह कांप उठेगी. उन्होंने उसके साथ रेप किया. इतना ही नहीं, उसकी योनी में लोहे की रॉड डालकर और उसकी अंतड़ियां बाहर निकाल दीं. साथ ही उसके दोस्त को भी बेरहमी से पीटा. पीड़िता के साथ इतनी दरिंदगी करने के बाद उन आरोपियों ने उसे और उसके दोस्त को नग्न अवस्था में एक सुनसान सड़क पर फेंक दिया था मरने के लिए. तब से लेकर आज तक निर्भया के परिवार वाले और उसकी आत्मा अपने लिए न्याय का इंतजार कर रही है. आपको बता दें कि इन पांचों बलात्कारियों में एक नाबालिग भी था.
वारदात के बाद निर्भया को इन्साफ दिलाने के लिए देश की राजधानी दिल्ली जैसे किसी छावनी में बदल गई थी, लोग अनशन पर बैठ गए थे, बड़े-बड़े नेता उसको इन्साफ दिलाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे थे. इतना ही नहीं, बलात्कार से जुड़े इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा भी बनाया गया और वोट बैंक की राजनीति भी की गई. मेरा मानना ये है कि दिल्ली की वर्तमान सरकार ने अपने चुनाव प्रचार में पूरी दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी ली थी. दावे किये गए थे की दिल्ली के कोने-कोने में सीसीटीवी कैमरे लगेंगे. लेकिन हर बार की तरह ही ये दावे केवल मतदान के दिन तक ही किये गए और उसके बाद सभी ठन्डे बस्ते में चले गए.
खैर यहां, एक बहुत बड़ा सवाल है कि बीते चार सालों में क्या देश और देश की राजधानी दिल्ली की महिलायें पूरी तरह सुरक्षित हैं, क्या वो रात में अपने दोस्तों के साथ या अकेले सड़क पर सुरक्षित महसूस कर सकती हैं? क्या इतने सालों बाद भी देर रात बेटी के आने पर माता-पिता बेफिक्र होकर सो सकते हैं? तो मेरा मानना है कि इन सारे सवालों का जवाब केवल एक ही जवाब है और वो है ‘नहीं’.
और ये जवाब ऐसे ही नहीं दिया है, इसके पीछे बीते चार सालों में हुई रेप की घटनाएं हैं. चलिए कुछ दिनों पहले दिल्ली के सराय रोहिला इलाके की एक घटना पर नज़र डालते हैं, बीती 22 नवंबर को तीन साल की एक बच्ची का अपहरण किया गया, उसका रेप किया गया और जब लगा कि वो मर गयी है, तो उसे एक गटर में फेंक दिया गया और वो बच्ची 9 घंटे तक वहीं पड़ी रही.
इसके अलावा एक घटना ऐसी है, जिसके बारे में शायद कम ही लोग जानते होंगे. इस घटना के बारे में जानकर आपकी रूह कांप जायेगी. मैं FM पर आज ही सुना कि एक मासूम लड़की को एक युवक ने पहले किडनैप किया फिर 20 दिनों तक उसका बलात्कार किया उसके बाद जब मन भर गया, तो उसको छोड़ तो दिया, लेकिन छोड़ने से पहले उसको कोल्डड्रिंक में तेज़ाब मिलाकर पिला दिया, ताकि वो घर पहुंचकर कुछ बोल ना पाए. घर पहुंचने के बाद उसको खून की उल्टियां होने लगीं और अस्पताल में भर्ती कराने के कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गई. लेकिन उसका गुनाहगार पकड़ा नहीं गया. हालांकि, ये बहुत ही छोटे से गांव की घटना थी इसलिए इसको किसी तरह की हैडलाइन नहीं मिली.
क्या लड़कियां करती हैं खुद को सुरक्षित महसूस?
अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या मैं रात में घर के बाहर खुद को सुरक्षित महसूस करती हूं? तो मेरा जवाब होगा नहीं. मैं खुद ज्यादा लेट हो जाने पर डरती हूं और कोशिश करती हूं कि जल्द से जल्द सुरक्षित घर पहुंच जाऊं.जी हां, हक़ीक़त यही है कि आज भी एक लड़की रात में निकलने में उतना ही डरती है, जितना कुछ साल पहले.
अब एक नज़र डालते हैं निर्भया रेप केस के बाद सरकार द्वारा उठाये गए कुछ क़दमों पर
– सरकार ने बलात्कार विरोधी विधेयक पारित किया, जिसके अंतर्गत रेप और गैंगरेप के लिए अधिकतम आजीवन कारावास की सज़ा का प्रावधान किया गया. अगर कोई आरोपी दोबारा ऐसा अपराध करता है, तो उसे मृत्युदंड का प्रावधान किया गया.
– साल 2012 में ही केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ रुपए से ‘निर्भया फंड’ का एलान भी किया था. वर्तमान में ये फंड बढ़कर 4 हजार करोड़ का हो चुका है. लेकिन हैरत की बात है कि अभी तक इसका 10% भी इस्तेमाल नहीं हुआ है.
लेकिन क्या इन क़दमों के बाद कोई सुधार आया है, इसका जवाब भी शायद नहीं ही है, क्योंकि आजकल लड़की का रेप करने के बाद उसको मार दिया जाता है, ताकि कोई सबूत ही न बचे.
आइये अब नज़र डालते हैं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के कुछ चौकाने वाले आंकड़ों पर:
2012 में 24,923 रेप
2013 में 33,707 रेप
2014 में 37,000 रेप
2015 में 34,651 रेप
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में देशभर में रेप के 34 हजार 500 से अधिक मामले सामने आए. साल 2015 में भी देश की राजधानी दिल्ली में रोज़ 6 बलात्कार और 15 मोलेस्टेशन के केस दर्ज हुए हैं. इनमें से 33 हजार 098 मामलों में अपराधी, पीड़ितों के परिचित थे. रेप के मामले में दिल्ली दूसरे स्थान पर है. ये आंकड़ा तो उन केसेज़ का है, जिनकी शिकायत दर्ज करी गई है. जबकि ऐसी ही कितनी वारदातें और होंगी, जिनकी रिपोर्ट नहीं कराई जाती है.
इन सब आंकड़ों को देखकर तो आज भी वही सवाल खड़ा होता है कि आखिर कब कम होंगे महिलाओं के प्रति ऐसे अपराध?
महिलाओं का आवाज़ उठाना है ज़रूरी
– महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध दिन-प्रतिदिन बढ़ ही रहे हैं. हमको ही इसके लिए आवाज़ उठानी होगी. अकसर देखा गया है कि ऐसे मामलों में महिलाए समाज और परिवार के दर से आवाज़ उठाने से डरती हैं.
– ऐसा इसलिए भी है क्योंकि कई बार उनको अपने घर व रिश्तेदारों द्वारा सेक्सुअली एब्यूज़ किया जाता है और अपना मुंह बंद रखने की धमकी भी दी जाती है.
– ऐसा अकसर होता है कि जब लड़की अपनी मां को अपने साथ हुए दुर्व्यवहार या किसी रिश्तेदार द्वारा की गई गन्दी हरकत के बारे में बताती है, तो उसकी मां ही सबसे पहले उसको चुप करा देती है. फिर समाज के तानों की उलाहना देकर बोलती है कि अगर किसी को इस बारे में पता चला तो हमारी क्या इज़्ज़त रह जायेगी, तुम्हारी शादी कैसे होगी, घर में और बच्चे हैं उसका भविष्य बर्बाद हो जाएगा, जैसी तमाम बातें कहती है.
– इतना ही नहीं लड़की को इतना डरा दिया जाता है, जैसे मानों उसने खुद कोई गुनाह किया हो. ये कहां क्या न्याय है. ये बहुत ही गलत है ऐसा करके वो मां उस व्यक्ति को दोबारा ऐसा करने के लिए प्रेरित कर कर रही है.
– इसलिए बेटी द्वारा बताई गई इन बातों को इग्नोर न करें बल्कि, उसकी बात को गंभीरता से सुनें और उसे विरोध करना सिखाएं. उसको ऐसी इतना हिम्मती और निर्भीक और आत्मविश्वासी बनायें ताकि कोई भीड़ में उसके साथ छेड़खानी करने की कोशिश करे.
– इसके साथ ही उसको अपनी सुरक्षा करने में सक्षम बनाने के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग दिलवाएं.
– उसको बताएं कि उसे सड़क पर चलते समय या घर पर भी हर समय अलर्ट व जागरूक भी रहना होगा.
अगर आज आप एक व्यक्ति की गलत हरकत को नज़रंदाज़ करेंगी, तो कल वो फिर ऐसी ही हरकत करेगा और चार लोगों को अपने साथ और शामिल कर लेगा. लेकिन अगर आप उसी वक़्त अपने साथ हुए गलत व्यवहार का विरोध करेंगी, तो कोई भी ऐसा करने से पहले 10 बार सोचेगा ज़रूर. अपने ख़िलाफ़ बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है कि महिलाएं अपनी चुप्पी तोड़ें.