Akli Tudu Changing Life Of Jharkhand Peoples: 35 साल की अकली टुडू का जीवन किसी फ़िल्मी सुपरहीरो से कम नहीं. उनके पति ने उनका साथ छोड़ दिया और माओवादियों ने भी उन्हें धमकाया, लेकिन अकली ने हार नहीं मानी. वो बिना डरे लोगों का जीवन संवारने में लगी रहीं.

वो कोई रील लाइफ़ नहीं रियल लाइफ़ हीरो हैं. आज हमारे #DearMentor कैंपेन में हम उनकी प्रेरणादायक स्टोरी आपके लिए लेकर आए हैं.

ये भी पढ़ें: कसूती साड़ी की महिला कारीगरों का था बुरा हाल, फिर आरती हिरेमठ ने इनकी ज़िंदगी को बदलने की ठानी

2000 से अधिक महिलाओं को आर्थिक रूप से बनाया मजबूत

akli tudu jharkhand
newindianexpress

अकली टुडू झारखंड के नक्सल प्रभावित सिंहभूम ज़िले के गुड़ाबांधा इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने अपने दम पर एक संगठन की शुरुआत की और नक्सल प्रभावित इस इलाके के लोगों की ज़िंदगी बदल दी. वो अब तक 120 गांवों की 2000 से अधिक महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद कर चुकी हैं और उनकी ये निस्वार्थ सेवा अभी भी जारी है.

ये भी पढ़ें: घर से निकाला, रेप हुआ… फिर इस तरह HIV+ अमृता सोनी ट्रांस कम्युनिटी के लिए बन गईं Role Model

पति ने छोड़ा साथ 

akli tudu jharkhand
facebook

अकली इतने लोगों का सहारा कैसी बनी, इसकी कहानी भी बड़ी दिलचस्प है. छठी कक्षा में स्कूल छोड़ने वाली अकली की बचपन में ही शादी हो गई थी. उन्होंने अपनी मां से टोकरियां बनाना सीखा था. स्कूल छूटने के कुछ समय बाद उनकी शादी हो गई. मगर शादी के कुछ समय बाद उनके पति ने अकली को छोड़ दिया, बेसहारा होने के बाद वो अपनी मां के घर चली आईं.

ऐसे हुई शुरुआत

akli tudu jharkhand
facebook

ख़ुद को अपने पैरों पर खड़ा करने का रास्ता देखते-देखते वो एक स्वयं सहायता समूह (Tagore Society) के पास पहुंची. इस संगठन ने उनको पानी की कमी और इस समस्या से निपटते हुए किसानी करने के बारे में ट्रेंड किया. 2012 में इनसे ट्रेनिंग लेने के बाद अकली टुडू ने अपने आस-पास की महिलाओं को खेती करना सिखाया. खेती के साथ ही उन्होंने पशुपालन, मछली पालन और फलों की भी खेती करनी सिखाई. इनकी मदद से इलाके की बहुत सारी महिलाएं आर्थिक रूप से निर्भर हो गईं.

नक्सलियों ने दी मारने की धमकी

akli tudu jharkhand
youtube

यही नहीं उन्होंने इलाके के कई तालाबों को भी आम लोगों के साथ मिलकर जीवित किया. मगर जब उन्होंने इस काम की शुरुआत की तो वो नक्सलियों को अखरने लगीं. उन्होंने अकली टुडू को मारने तक की धमकी दे डाली थी. अकली उनकी धमकियों से नहीं डरी, लेकिन धमकी भरा वो पोस्टर ज़रूर उनके दिमाग़ में बस गया.

बनाई ख़ुद की महिला समिति

akli tudu jharkhand
facebook

इसे याद कर वो ख़ुद के अंदर साहस जगाती और जुट जाती लोगों की मदद करने में. इसी तरह आगे बढ़ते हुए उन्होंने 2014 में जुमित तिरला गांवता (एकता महिला समिति) नाम की समिति की शुरुआत की. इस साल टाटा स्टील इनके इलाके में तालाब खोदने के लिए पैसे देने को तैयार हुआ था, लेकिन दिक्कत ये थी कि वो सिर्फ़ रजिस्टर्ड समिती को ही दान देते थे. इसलिए अकली ने अपना स्वयं की समिति की शुरुआत की. 

बनवाए 93 नए तालाब

jharkhand
facebook

इस समिति की सहायता से इन्होंने हज़ारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है. साथ में 93 नए तालाब खुदवाए और 1500 से अधिक तालाबों का जीर्णोद्धार किया. वो एपीसी घरंज लहंटी महिला उत्पादक प्रोड्यूसर लिमिटेड कंपनी (APC Gharanj Lahanti Mahila Utpadak Producer Limited Company) की चेयरपर्सन भी हैं.

akli tudu jharkhand
youtube

ये कंपनी किसानों की उपज उचित दाम पर ख़रीद मार्केट में बेचती है. ये किसानों को उचित दर पर खाद और बीच भी उपलब्ध करवाती है. इसने पिछले साल 1.7 करोड़ रुपये का बिज़नेस किया था, जिसमें 6.5 लाख का मुनाफा शामिल है. इसे कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों में वितरित किया गया था. 

हो चुकी हैं कई बार सम्मानित

akli tudu jharkhand
newindianexpress

Tata Steel Foundation के एक मैनेजर ने इनकी तारीफ़ करते हुए कहा कि अकली टुडू के काम ने गुड़ाबांधा में सकारात्मक प्रभाव डाला है. ज़मीनी स्तर पर उन्हें काम करने के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है. CII ने इन्हें Women Exemplar Award से सम्मानित किया है. यही नहीं इनको सामाजिक पुरस्कार, महिला उद्यमी किसान पुरस्कार, जल चैंपियन पुरस्कार जैसे कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

अकली टुडू का मानना है कि अगर हम अपने तक ही सीमित रहेंगे तो दूसरों का घर नहीं सुधरेगा तो गांव के हालात कैसे सुधरेंगे. इसी सोच ने उनको लोगों के लिए कुछ करने का संबल दिया और आगे भी उनका जीवन संवारने के लिए काम जारी रखेंगी.