पायल और शोभित की शादी हुए अभी 1 महीना भी नहीं हुआ है और दोनों के घर वालों ने उन पर नाती-पोते का मुंह देखने की डिमांड कर दी है. इन दोनों की शादी परिवार की रज़ामंदी (अरेंज्ड मैरिज) से हुई है, अभी दोनों एक-दूसरे को ढंग से जानते भी नहीं है और घर वालों को बच्चा चाहिए. कभी समाज के नाम के ताने दे देकर, तो कभी दादी-नानी द्वारा इमोशनल ब्लैकमेल करके कि मरने से पहले पोते का चेहरा देख लूं. अगर कुछ नहीं तो अपनी डॉक्टरी झाड़ते हुए कि हर काम की एक सही उम्र होती है, जितना लेट करोगे उतनी दिक्कतें आएंगी ऐसा बोल कर उन दोनों पर बच्चे के लिए हर तरफ से दवाब बनाया जा रहा है. इन्हीं सब कारणों से तंग आकर दोनों जल्दी से जल्दी बच्चे के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन हर बार असफ़ल हो जाते हैं. अब इसी बात को लेकर पायल और शोभित की शादीशुदा ज़िन्दगी में तनाव रहता है. ज़रा सोचिये अगर इन पर बच्चे के लिए दवाब नहीं बनाया जाता, तो इन दोनों की नई ज़िन्दगी की शुरुआत कितनी अच्छी हो सकती थी.

ये एक ऐसी सच्चाई है, जो घर-घर कहानी है. शादी हुई नहीं कि बड़े-बुज़ुर्ग नाती-पोतों के सपने देखने लगते हैं. लेकिन ये कहना बहुत आसान है कि अब जल्दी से बच्चा कर लो, लेकिन बच्चा पैदा करना इतना आसान काम नहीं है, इसके लिए सही समय और प्लानिंग की ज़रूरत होती है. अब वो ज़माना नहीं रहा जब औरत को बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता था और बच्चों की लाइन लगा दी जाती थी. आज भी भले ही इस बारे में खुल कर बात करना कोई पसंद नहीं करता, लेकिन सच्चाई तो यही है कि एक नन्ही सी जान को दुनिया में लाने से पहले मानसिक, शारीरिक रूप से तैयार होने के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी तैयार होना ज़रूरी है.

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इसमें कोई दोराय नहीं है कि हर औरत की ज़िन्दगी का सबसे ख़ुशनुमा और यादगार लम्हा होता है एक बच्चे को जन्म देना. लेकिन बच्चे की प्लानिंग करना उतना ही मुश्किल काम होता है क्योंकि इसके लिए कई अहम बातों का ध्यान रखना भी ज़रूरी होता है, जैसे सही टाइम का पता होना क्योंकि कई बार कोशिश करने पर भी एक दम्पति सही जानकारी न होने की वजह से बच्चा पैदा नहीं कर पाता है.

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तो चलिए आज हम इन्हीं अहम बातों के बारे में आपको बताते हैं.

किसी महिला के लिए प्रेगनेंट होने के सही वक़्त की जानकारी

एक महिला को गर्भवती होने के लिए सबसे पहले तो ओव्यूलेशन (Ovulation) की सही जानकारी होना बहुत ज़रूरी है. ओव्यूलेशन यानि फ़र्टाइल स्टेज महिला के मासिक चक्र (Menstrual Cycle) से सम्बंधित होता है. ओव्यूलेशन के दौरान सेक्स करने से गर्भधारण करने की संभावना सबसे ज़्यादा होती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीरियड्स के सात दिन बाद से लेकर दोबारा पीरियड्स शुरू होने से सात दिन पहले तक के समय को ओव्यूलेशन साइकिल कहते हैं, इसे फ़र्टाइल स्टेज (Fertile Stage) भी कहा जाता है.

क्या होती है ओव्यूलेशन (Ovulation) क्रिया

महिला के अंडाशय (Ovary) से अंडे (Eggs) के बाहर आने की प्रक्रिया को ओव्यूलेशन कहते हैं और हर महीने महिलाओं में पीरियड्स के बाद ये प्रक्रिया होती है. अगर दिनों के हिसाब से बताया जाए तो पीरियड शुरू होने के 12वें या 16वें दिन से ओव्यूलेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. ये प्रक्रिया 6 से 7 दिनों तक चलती है.

ओव्यूलेशन पीरियड यानी कि फ़र्टाइल स्टेज के दौरान सेक्स करने से 100 प्रतिशत संभावना होती है महिला के गर्भवती होने की. लेकिन एक बात और ध्यान देने वाली है कि अगर आपके पीरियड्स रेग्युलर नहीं हैं, तो आपका ओव्यूलेशन साइकिल भी रेग्युलर नहीं होगा. इसलिए आपको ओव्यूलेशन साइकिल के समय का पता लगाने के लिए अपने पीरियड्स के शुरू होने की और ख़त्म होने की तारीख़ का भी ध्यान रखना होगा.

ऑर्गज्‍म का ध्‍यान रखें

ये बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि एक महिला के गर्भधारण करने के लिए सेक्स के दौरान ऑर्गज्‍म का ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है. डॉक्टर्स के अनुसार, अगर सेक्स करने के दौरान महिला ऑर्गज्‍म को प्राप्त कर लेती है, तो गर्भधारण की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दौरान स्त्री के Eggs और पुरुष के शुक्राणु आपस में मिलते हैं. इस प्रक्रिया के फलस्वरूप ही बच्चे का भ्रूण बनता है.

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ये बात भी जानना ज़रूरी है कि महिला के ओवरी से रिलीज़ होने के बाद Eggs एक दिन तक जीवित रहते हैं, ओव्यूलेशन के इन 6 दिनों की प्रक्रिया के दौरान हर दिन Egg रिलीज़ होते हैं. वहीं शुक्राणु (Sperm) महिला के गर्भाशय के अंदर एक हफ़्ते तक जीवित रह सकते हैं, इसलिए इन शुक्राणुओं के पास इन 6 दिनों का समय होता है Eggs से मिल कर भूर्ण का निर्माण करने का. इसीलिए ये समय किसी महिला के गर्भवती होने के लिए ‘बेस्ट टाइम’ होता है.

क्यों ज़रूरी है ओव्यूलेशन का पता लगाना

ओव्यूलेशन फेज़ के दौरान सेक्‍स करने से प्रेग्‍नेंट होने की संभावना बढ़ जाती है. और इसका सही समय पता लग जाने के बाद बर्थ कंट्रोल किया जा सकता है क्योंकि अगर इस दौरान सेक्‍स न किय जाए, तो प्रेग्‍नेंट होने की संभावना बहुत कम हो जाती है.

सही उम्र में फ़ैमिली प्लानिंग करना भी है ज़रुरी

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एक वक़्त था जब लोगों की शादी 20-22 साल की उम्र में या उससे पहले ही हो जाती थी. तो उनके बच्चे भी जल्दी हो जाते थे क्योंकि उस समय महिलायें मानसिक रूप से भले ही मां बनने के लिए तैयार न हों, लेकिन शारीरिक रूप से उनको बच्चे को जन्म देने के लिए स्वस्थ समझा जाता था. मगर अब ज़माना बदल गया है और शादी करने की एवरेज ऐज भी बदल चुकी है. आज के वक़्त में लोगों की शादियां अधिक उम्र में होती हैं और उसके बाद पति-पत्नी फ़ैमिली प्लानिंग करने में भी दो-तीन साल का समय लेते हैं ताकि वो मानसिक, शारीरिक और आर्थिक तीनों तरह से बच्चे की ज़िम्मेदारी उठाने के लिए तैयार हो जाएं. लेकिन गर्भवती होने की सही उम्र 22 से 29 वर्ष होती है क्योंकि इस समय महिला शारीरिक व मानसिक रूप से गर्भवती होने के लिए तैयार रहती है.

अब आप सोच रहे होंगे कि हम बार-बार आर्थिक स्थिति के बारे में क्यों बात कर रहे हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि महंगाई के इस दौर में एक बच्चे की ज़िम्मेदारी उठाना कोई आसान काम नहीं है. बच्चे के पैदा होने से लेकर उसके बड़े होने तक उसकी पढ़ाई और परवरिश के लिए आर्थिक रूप से भी तैयार होना ज़रूरी होता है. ताकि बच्चे की हर ज़रूरत को समय पर पूरा किया जा सके.