Best Women IAS Officers: IAS का एग्ज़ाम UPSC के सबसे टफ़ एग्ज़ाम्स में से एक माना जाता है. अपने देश भारत के लिए निस्वार्थ भाव से सेवा करने के लिए हर साल हज़ारों लोग इसकी परीक्षा देते हैं. इस पूरी परीक्षा में व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता का आंकलन किया जाता है और केवल कुछ लोग ही इसे क्लियर कर पाते हैं. इसके साथ ही नौकरशाही में महिलाओं का उचित प्रतिनिधित्व निश्चित रूप से सरकार को विविध समूहों के प्रति अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाता है.
ऐसी कई महिला IAS अफ़सर (Best Women IAS Officers) रही हैं, जिनकी लीडरशिप ने हमें इंस्पायर किया है और वो हमारे लिए किसी रोल मॉडल से कम नहीं हैं.
Best Women IAS Officers
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1. प्रीति सुदान
1983 बैच की IAS अफ़सर प्रीति सुदान भारत की सबसे कर्मठ महिला IAS अफ़सर में गिनी जाती हैं. वो भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में अक्टूबर 2017 से जुलाई 2020 तक सेक्रेटरी रही हैं. वो ‘आयुष्मान भारत योजना’ की प्लानिंग और क्रियान्वयन में प्रमुख सदस्य थीं. कोरोना महामारी के दौरान वो राज्यों और केंद्र के बीच कोऑर्डिनेट करने के लिए यूनियन हेल्थ मिनिस्टर के साथ इन सब चीज़ों पर क़रीब से काम से कर रही थीं. वो वर्ल्ड बैंक में कंसल्टेंट के तौर पर भी काम कर चुकी हैं.
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2. अन्ना राजम मल्होत्रा
अन्ना राजम मल्होत्रा साल 1951 में भारत की पहली IAS अफ़सर बनी थीं. जब वो इंटरव्यू दे रही थीं, तो पैनलिस्ट ने उन्हें ये भी सुझाव दिया था कि वो विदेश सेवा या केंद्र सेवा की ओर अपना ध्यान लगाएं, क्योंकि वो पद महिलाओं के लिए ज़्यादा उपयुक्त हैं. लेकिन अन्ना ने इनमें से कोई सुझाव पर ध्यान नहीं दिया और भारत की पहली IAS अफ़सर बनीं. अपने पूरे करियर के दौरान उन्होंने पितृसत्तात्मक सोच का सामना किया कि एक महिला क़ानून एवं व्यवस्था को मैनेज नहीं कर सकती है. उन्हें सिर्फ़ अपने विरोधियों को ग़लत ही नहीं साबित किया, बल्कि देश के लिए कुछ गेम-चेंजिंग प्रोजेक्ट्स पर भी काम किया. (Best Women IAS Officers)
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3. स्मिता सभरवाल
स्मिता सभरवाल भारत के सबसे यंग अफ़सरों में से एक हैं, जो मुख्यमंत्री के कार्यालय में नियुक्त हैं. 2001 बैच की इस धाकड़ अफ़सर ने मात्र 22 साल की उम्र में IAS का एग्ज़ाम क्लियर किया था और देश में चौथी रैंक हासिल की थी. उन्हें ज़्यादातर ‘जनता की अफ़सर‘ कहा जाता है, क्योंकि वह नागरिकों को उनके मुद्दों को संबोधित करने में शामिल करती हैं. जब सभरवाल वारंगल की नगरपालिका आयुक्त थीं, तब उन्होंने ‘फंड योर सिटी‘ नाम की एक स्कीम लॉन्च की थी और माओवादी-प्रभावित जगहों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में हिस्सा लेने के लिए वहां के रहने वालों को प्रोत्साहित किया था.
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4. एनीस कनमनी जॉय
वो ऐसी पहली प्रोफ़ेशनल नर्सों में से एक हैं, जो IAS अफ़सर बनी हैं. कर्नाटक में कोडागु के उपायुक्त के रूप में उनके काम को राष्ट्रीय पहचान मिली थी. उनको साल 2012 में IAS अफ़सर के रूप में चुना गया था. (Best Women IAS Officers)
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5. टीना डाबी
टीना डाबी साल 2015 में सिविल सर्विस की परीक्षा में टॉपर थीं. IAS बनने के पहले दिन से अब तक, उन्होंने बेहतरीन काम किया है. जब उनका जिला पहला कोरोना का कन्टेनमेंट ज़ोन बना था, तब उनके ‘भीलवाड़ा मॉडल‘ को देश भर में प्रशंसा मिली थी.
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6. बीला राजेश
बीला राजेश 1997 बैच की IAS अफ़सर हैं, जिनको तमिलनाडु राज्य में कोरोना महामारी के दौरान बेहतरीन काम के लिए प्रशंसा मिली थीं. उन्होंने साल 2019 में उनके राज्य में डेंगू के प्रकोप के दौरान भी इसकी रोकथाम में एक अहम भूमिका निभाई थी. (Best Women IAS Officers)
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7. दिव्या देवराजन
दिव्या देवराजन उन महिला IAS अफ़सरों में से एक हैं, जिन्होंने ग्रामीण भारत का दिल जीता है. वो तेलंगाना के आदिलाबाद में साल 2017 में आदिवासी टकराव के दौरान पोस्ट की गई थीं. उनके टकराव को सुलझाने के लिए न ही सिर्फ़ उन्होंने वहां की भाषा सीखी, बल्कि काफ़ी प्रयास भी किए. इसके बदले में आदिवासियों ने उनके नाम पर गांव का नाम रख दिया ताकि वो उस क्षेत्र में उनके काम को सराहना दे सकें.
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8. दुर्गा शक्ति नागपाल
साल 2010 के बैच की IAS अफ़सर दुर्गा शक्ति नागपाल तब लाइमलाइट में आईं, जब उन्होए अवैध तरीक़े से बालू का का खनन करने वाले माफ़िया को पर्दाफ़ाश किया था. उन्होंने मोहाली में भी एक ज़मीन के घोटाले को एक्सपोज़ किया था. उन्हें भारत के राजनीतिक सिस्टम में भ्रष्टाचार मिटाने के प्रयास के लिए काफ़ी सराहा जाता है.
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9. हर्षिका सिंह
हर्षिका सिंह भारत की वो IAS अफ़सर हैं, जिन्होंने लिंग अनुपात, महिला शिक्षा और मातृ मृत्यु दर को सुधारने में बिना थके काम किया है. उन्होंने टीकमगढ़ के 35 ग्राम पंचायत में ‘ज्ञानालय‘ प्रोग्राम गर्ल चाइल्ड एजुकेशन के लिए शुरू किया था. ये कार्यक्रम एक बड़ी सफ़लता बन गया, और देश के कई अन्य जिलों में इसकी सराहना की गई और इसे दोहराया गया था.
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10. हरी चंदना दसरी
इस पॉवर लेडी को हैदराबाद में ‘ग्रीन रिवोल्यूशन‘ के लिए जाना जाता है. अपने IAS पिता से प्रेरित होकर हरी ने साल 2010 में IAS ज्वाइन करने के लिए लंदन में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. पिछले 10 सालों में बतौर IAS अफ़सर, मिस दसरी ने लोगों की ज़िंदगी में पॉजिटिव चेंज लाने के लिए लगातार काम किया है. टिकाऊ और समावेशी विकास मॉडल अपनाकर, वह लोगों की जरूरतों और उनके आसपास की पारिस्थितिकी के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने में सक्षम हैं. विशेष रूप से महामारी के दौरान उनके काम ने यह सुनिश्चित किया है कि लोग न केवल सुरक्षित रहें बल्कि अभूतपूर्व संकट के दौरान भी समृद्ध हों.
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ये IAS अफ़सर एक मिसाल हैं.