इतिहास की किताबों में हमने बहुत सी भारतीय रानियों के बारे में पढ़ा है. कुछ रानियां अपनी ख़ूबसूरती के लिये प्रचलित थीं, तो वहीं कुछ अपनी वीरता के लिये. भारतीय इतिहास में कई ऐसे मौक़े भी आये जब रानियों ने अपनी बुद्धिमता से दुश्मनों को मैदान से खदेड़ डाला. ये भारतीय रानियों के आसाधरण कार्यों का नतीजा ही है, जो आज इनके राज्य चर्चित पर्यटक स्थल बन चुके हैं.  

चलिये जानते हैं उन भारतीय रानियों की कहानी जिनकी वजह से उनके राज्य आज भारतीय मानचित्र का हिस्सा हैं.

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1. रानी पद्मिनी (चित्तौड़) 

चित्तौड़ की रानी पद्मिनी जितनी ख़ूबसूरत थीं, उतनी ही वीर और बुद्धिमान भी. रानी पद्मिनी युद्ध रणनीतियों के लिये जानी जाती थीं. इसके साथ ही वो युद्ध कौशल में भी निपुण थीं. कहा जाता है कि चित्तौड़ के राजा रावल रतन सिंह ने रानी पद्मिनी को युद्ध में हरा दिया था, जिसके बाद उन्होंने राजा से शादी की थी. अलाउद्दीन खिलज़ी ने जब रानी की सुंदरता और वीरता के बारे में सुना, तो उन्हें पाने के लिये चित्तौड़ पर हमला कर दिया.

युद्ध के दौरान रानी को खिलज़ी के आगे आत्मसमर्पण करना नामंज़ूर था. इसलिये रानी ने लगभग 13,000 महिला साथी के जौहर कुंड में जाने का फ़ैसला लिया और आत्मदाह कर लिया. रानी पद्मिनी के इस क़दम की वजह से आज दुनिया चित्तौड़ किले और पद्मिनी पैलेस के बारे में जानती है.  

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2. रानी रुद्रमा देवी (वारंगल) 

रानी रुद्रमा देवी काकतीय वंश की प्रमुख महिला शासक थीं और इतिहास की शक्तिशाली रानियों में से एक. कहा जाता है कि पिता की मृत्यु के बाद रानी 14 साल की उम्र में सिंहासन पर बैठीं और ख़ुद को राजा रुद्रदेव घोषित किया. कुछ रईस और चचेरे भाई रानी के ख़िलाफ़ थे. रानी ने भी विरोधियों द्वारा किये गये हमलों का मुंह तोड़ जवाब दिया और वीरतापूर्वक हमलावर यादवों को हरा दिया. अपने शासनकाल के दौरान रानी ने वारंगल किले का निर्माण कराया और कई सालों तक शासन किया.

युद्ध में आई चोट के कारण रानी की 1289 में मृत्यु हो गई थी. साहसी रानी के बारे में नज़दीक से जानने के लिये Warangal Fort ज़रूर जायें.   

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3. महारानी ताराबाई (मराठा साम्राज्य) 

महारानी ताराबाई छत्रपति शिवाजी की बहू थीं. 8 साल की उम्र में उनकी शादी राजाराम महाराज से कर दी गई थी. पति की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य को संभालने की ज़िम्मेदारी महारानी के हाथों में थी. महारानी ने भी छत्रपति शिवाजी और राजाराम महाराज की अमानत का ईमानदारी से नेतृत्व किया. लगभग सात साल तक वो मुग़लों को बराबरी की टक्कर देती रहीं और मराठा साम्राज्य को मजबूत बनाने का काम किया.

दूरदर्शिता और वीरता की वजह से ताराबाई मराठा साम्राज्य की सबसे ताक़तवर महिला बन गईं. कहा जाता है कि ज़िंदगी के अंतिम दिनों में वो सतारा चली गईं थी, जहां उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया और 86 सा की उम्र में उनका निधन हो गया. अजिंक्यतारा किला, पन्हाला किला और रानी ताराबाई पैलेस सदियों से रानी की वीरता की निशानी बने हुए हैं.   

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4. रानी लक्ष्मीबाई (झांसी) 

‘खूब लड़ी मर्दानी वो, तो झांसी वाली रानी थी’, देश-दुनिया का शायद ही कोई इंसान होगा, जिसे रानी लक्ष्मीबाई के बारे में पता न हो. मार्शल आर्ट, घुड़सवारी और तलवारबाज़ी में कौशल रानी लक्ष्मी ने जिस वीरता से अंग्रेज़ों का सामना किया. वो सदा-सदा के लिये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया. रानी लक्ष्मीबाई उन मजबूत रानियों में थीं जिन्हें दुश्मन के सामने शहीद होना पसंद था, लेकिन उनके आगे झुकना नहीं. 17 जून, 1858 को रानी लक्ष्मीबाई भी अंग्रेज़ों से लड़ते-लड़ते शहीद हो गईं और याद के रूप में झांसी हमें दे गईं. 

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5. महारानी गायत्री देवी (जयपुर) 

महारानी गायत्री देवी बेहद ख़ूबसूरत और शानवाली थीं. लंदन से पढ़ने-लिखने वाली रानी गायत्री देवी की शादी महाराजा जितेंद्र नारायण से हुई थी. आज़ादी के बाद वो भारतीय राजनीति का हिस्सा भी बन गईं. उनके कार्यों के लिये लोग उन्हें राजमाता कहते थे. रानी ने जयपुर और उसके आस-पास कई स्कूलों का निर्माण भी कराया था. 

मशहूर मैगज़ीन Vogue ने महारानी को सबसे ख़ूबसूरत महिला का खिताब भी दिया था. आज भी कई क़िस्सों पर महारानी गायत्री देवी का ज़िक्र किया जाता है. गायत्री देवी के बारे में ज़्यादा जानने के लिये Royal Palace of Cooch Behar भी घूम कर आ सकते हैं. 

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भारतीय रानियों की ये कहानियां बताती हैं कि महिलाएं ख़ूबसूरत दिख नखरे भी दिखा सकती हैं और बात शान पर आये, तो तलवार से गला भी काट सकती हैं.