Blind Girl Won Gold Medal Inspiring Story: कहते हैं “अगर आपके इरादे पक्के हो तो, कोई भी मंज़िल दूर नहीं है”. जी हां, हम आए दिन ऐसी बहुत सी सफ़लता की कहानियां (Success Story) सुनने को मिलती हैं. जो हर परिस्थिति का डटकर सामना करके सफलता की नई कहानी लिखते हैं. उनमें से एक बुलंदशहर के गुलावटी की शमा परवीन (Shama Parveen) भी हैं. जो दिव्यांग होकर भी सफलता की ऊचांई पर पहुंची हैं. चलिए शमा परवीन की Success Story पढ़ते हैं.

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चलिए विस्तार से जानते हैं शमा परवीन की सफलता की कहानी (Blind Girl Won Gold Medal Inspiring Story)

शमा बुलंदशहर के गुलावटी की रहने वाली हैं

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शमा बुलंदशहर के गुलावटी की रहने वाली हैं. जिन्होंने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से बीएससी (B.Sc.) गणित में गोल्ड मेडल हासिल किया है. शमा परवीन के पिताजी युनून पेशे से रिक्शा चालक हैं. जिन्होंने शमा का हर कदम पर बहुत साथ दिया. जिसके फल स्वरुप शमा ने कठिन परिस्तिथियों में पढ़ाई करके परीक्षा उत्तीर्ण की.

शमा एक आंख से देख नहीं सकती हैं

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रिपोर्ट्स के मुताबिक, शमा एक आंख से देख नहीं सकती हैं. लेकिन इसके बावजूद भी शमा ने इसे अपनी कमज़ोरी नहीं बनने दी और मेहनत और लगन के साथ अपने सपने को पूरा करने में जुटी रहीं. उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया-

उनके पिता फ़ेरी लगाते हैं. परिवार को उनकी इस कामयाबी से बहुत उम्मीदें हैं. वो कहती हैं कि वो अपने भाई और बहन में सबसे बड़ी हैं, ऐसे में उन पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी है.

समाज के ताने सुनने पड़ते थे

समाज में औरतों का सुंदर और हर एक कार्य में “परफे़क्ट” होना बहुत ज़रूरी है. इस सोच की वजह से शमा को समाज के बहुत ताने सुनने को मिलते थे. लेकिन शमा ने कभी भी बाहरी सुंदरता को महत्त्व नहीं दिया और आगे बढ़ती चली गईं. शमा ने मीडिया को ये भी बताया कि उनका सपना है कि वो आईएएस (IAS) बनें.

उनके पिता हैं उनकी “Inspiration”

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शमा ने बताया की उनके पिता उनके असली रोल मॉडल हैं. जिन्होंने हमेशा आगे बढ़ने पर सपोर्ट किया था. उनके पिता की आर्थिक स्थिति ज़्यादा अच्छी नहीं है. लेकिन तब भी उन्होंने चीज़े गिरवी रखकर अपनी बेटी को पढ़ाया और उसके सपने को उड़ान दी. उनके पिता कहते हैं कि ” अपने बच्चों को ज़रूर पढ़ाना चाहिए.”

वाह! समाज को ऐसे ही माता और पिता की ज़रुरत है!