Cricketer Shafali Verma Shares Her 12th Board Exam: क्रिकेट के साथ-साथ शेफ़ाली ने पढ़ाई में भी देश का और अपने माता-पिता का नाम रौशन कर दिया है. CBSE के 12th बोर्ड में देश की पॉपुलर खिलाड़ी शेफ़ाली ने 80% स्कोर किया है. शुक्रवार को रिलीज़ हुए 10th और 12th बोर्ड के परिणाम सामने आए थे. जिसमें भारतीय क्रिकेटर ने भी परीक्षा दी थी. चलिए इस आर्टिकल के माधयम से हम विस्तार से जानते हैं शेफ़ाली के बारे में-

ये भी पढ़ें: 3 साल की उम्र में हुईं Acid Attack का शिकार, CBSE में 95.20% स्कोर कर बढ़ाया मां-बाप का मान

क्रिकेटर शेफ़ाली वर्मा ने शेयर किया 12th के परिणाम (Cricketer Shafali Verma Shares Her 12th Board Exam)-

शेफ़ाली स्टेडियम में अपने आक्रामक तरीके से खेलने के लिए जानी जाती हैं. उनके खेलने का स्टाइल बहुत ही लाजवाब है. शेफ़ाली ने मात्र 15 वर्ष की आयु में अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया था. ये ज़ाहिर सी बात है कि क्रिकेट की ट्रेनिंग बहुत ही कठिन मानी जाती है, जिसकी वजह से पढ़ाई पर भी ध्यान देना काफ़ी मुश्किल सा हो जाता है. लेकिन इस चीज़ को नामुमकिन से मुमकिन शेफ़ाली ने बनाया है.

उन्होंने इस ख़ुशी को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुआ लिखा, “2023 mei ek aur bohot special 80+ smash kiya, but iss baar 12th boards mei! (2023 में एक और बहुत स्पेशल 80+ स्मैश किया, लेकिन इस बार 12th बोर्ड में) साथ ही साथ उन्होंने लिखा, “मैं अपने Results से बहुत ख़ुश हूं और अपने पसंदीदा विषय ‘क्रिकेट’ को सब कुछ देने का इंतज़ार नहीं कर सकती.

Myserviceera

शेफ़ाली ने अंडर 19 में टीम के कैप्टन की ओर से विश्व कप में भारत का नेतृत्व किया था. 2023 की शुरुआती समय में शेफ़ाली की टीम इंडिया ने इंग्लैंड को 7 विकेट से हराकर मैच जीत लिया था.

Times of India

ये भी पढ़ें: आयशा ख़ान: पति ने छोड़ा, बच्चों की ज़िम्मेदारी ली, पर हारी नहीं और झारखंड की ADJ बन कायम की मिसाल

बचपन में लड़का बनकर एकेडेमी में जाना पड़ता था

Hindustan Times

शेफ़ाली का जन्म रोहतक (हरयाणा) में हुआ था. बैटिंग ऑल राउंडर शेफ़ाली सचिन तेंदुलकर को अपना ‘Cricket Hero’ मानती हैं. भारत में आज ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जहां महिलाओं के लिए और उनके प्रोफ़ेशन के लिए सुविधाएं नहीं है. अगर सुविधाएं हैं भी तो, लोगों की रूढ़िवादी सोच बीच में आ जाती है. शेफ़ाली को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का बहुत शौक़ था. इसीलिए वो एकेडेमी लड़का बनकर जाती थीं. क्योंकि आस-पास महिलाओं के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं थी.

India Today
wikibio

रिपोर्ट्स तो ये भी बताती हैं कि उनके पिता भी इस काम में उनका साथ दिया करते थे.