भारतीय सेना के इतिहास में पहली बार महिला सैनिकों को नियंत्रण रेखा के पास तैनात किया गया है. असम रायफ़ल्स की कुछ महिला सैनिकों को कश्मीर में भारत-पाक की नियंत्रण रेखा के पास तैनात किया गया है. भारतीय सेना द्वारा ये कदम इसलिए उठाया गया है ताकि महिला सैनिकों को आने वाले समय के लिए सुरक्षा और युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार किया जा सके.

उत्तर कश्मीर के तंगधार इलाके की एलओसी पर तैनात इन महिला सैनिकों की संख्या 30 है. इनकी अगुआई कैप्टन गुरसिमरन कौर कर रही हैं. उन्हें एलओसी के चेक पॉइंट्स पर तैनात किया गया है. यहां इनका काम महिलाओं की तलाशी लेना और आतंकी गतिविधियों में लिप्त महिलाओं से निपटना होगा.

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एलओसी के इस क्षेत्र में बहुत सी महिलाएं हथियार और ड्रग्स की तस्करी में शामिल हैं. महिला सैनिक न होने के कारण इनकी तलाशी लेने में परेशानी आती थी. इस तरह की घटनाओं को रोकने और महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज़ से इनकी तैनाती की गई है.

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भारतीय सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इस लोकेशन पर महिलाओं की तलाशी लेने में परेशानी होती थी. क्योंंकि हर वक़्त वहां पर महिला पुलिस कर्मी मौजूद नहीं होती थी. इसलिए असम रायफ़ल्स की इस टुकड़ी को ये ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. उन्होंने ये भी बताया कि ये सभी महिला सैनिक आपात स्थिति में युद्ध करने में भी सक्षम हैं. 

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ग़ौरतलब है कि 90 के दशक से ही महिलाओं को इंडियन आर्मी में भर्ती किया जाने लगा था. लेकिन उन्हें ऑफ़िशियल या फिर मेडिकल ड्यूटी तक ही सीमित रखा जाता है. लेकिन अब बदलते समय के साथ ही महिलाओं को भी युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के मकसद से सेना में भर्ती किया जा रहा है.

पिछले साल ही Corps of Military Police (CMP) के रूप में भारतीय सेना ने 50 महिलाओं की भर्ती की है. फ़िलहाल इनकी ट्रेनिंग चल रही है. भारतीय सेना का मकसद करीब 800 महिलाओं को CMP में भर्ती करना है. इसके लिए हर साल 50 महिलाओं को भर्ती किए जाने की योजना है.

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