महिलाओं के पीरियड के बारे में बहुत बातें हो चुकी हैं और आज हम आपको इससे जुड़ी कोई परेशानी नहीं बताने जा रहे हैं, बल्कि ये बता रहे हैं कि स्पेस में जाने वाली महिला एस्ट्रोनॉट पीरियड में कैसे मैनेज करती हैं, क्योंकि स्पेस में जाना ही एक चुनौती है, उस पर दूसरी चुनौती पीरियड्स. स्पेस में ग्रेविटी कम होने से शरीर पर काफ़ी फ़र्क पड़ता है. तो क्या इससे पीरियड में ब्लड के फ़्लो पर भी असर पड़ता है? जब पीरियड होते होंगे तो कैसे सैनेटरी पैड चेंज करती होंगी? ऐसे ही कई सवाल हम सबके मन में आते हैं.
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आज उन्हीं सब सवालों के जवाब हम लेकर आए हैं, आपके लिए…
स्पेस में पीरियड्स आने पर क्या करती हैं महिला एस्ट्रोनॉट?
Gynecologist और रिसर्चर का कहना है कि अंतरिक्ष में रहने के दौरान पूरे शरीर पर फ़र्क़ पड़ता है. महिला एस्ट्रोनॉट्स के Menstruation Period पर भी इसका फ़र्क़ पड़ता है. हर महीने उनका पीरियड्स अपने फ़िक्स डेट पर ही आता है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान महिला एस्ट्रोनॉट्स अपने साथ दवाइयां ले जाती हैं. जिन्हें खा लेने से उनके पीरियड्स नहीं आते हैं. इन दवाइयों का सेवन महिला एस्ट्रोनॉट्स, डॉक्टर्स की सलाह पर ही करती हैं, जो उनके साथ जाते हैं.
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सैनिटरी पैड्स और टैम्पोन का करती हैं इस्तेमाल
अगर, वो ये दवाइयां नहीं लेना चाहती हैं, तो सैनेटरी पैड्स और टैम्पोंस का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. टैम्पोन, पीरियड्स के समय होने वाले डिस्चार्ज को सोखने का काम करता है.
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महिलाओं की अपनी च्वाइस होती है
वैसे ये पूरी तरह से महिलाओं की च्वॉइस होती है उनको किस तरह स्पेस में अपने पीरियड को मैनेज करना है. डॉक्टरों के मुताबिक औरतों के लिए स्पेस में इस तरह की दवा लेना फ़ायदेमंद है. पीरियड्स रोकने वाली ये दवाइयां एस्ट्रोजेन हार्मोन को बढ़ावा देती हैं, जिससे उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं.
Gynecologist वर्षा जैन, जो किंग्स कॉलेज लंदन में रिसर्च कर रही हैं, वो एक ऐसी गोली बनाने की कोशिश कर रही हैं. जिससे लंबे वक्त तक पीरियड्स को रोका जा सके. जिससे 1100 गोलियां साथ लेकर न जानी पड़े.
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Kristin Jackson, a Florida-based Physician, का कहना है कि अगर आज की बात देखें, तो सबसे अच्छा ऑप्शन Contraceptive Pills और IUD है.
एक स्टडी के मुताबिक, उड़ान से पहले और इसके दौरान महिला एस्ट्रोनॉट्स गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं, लेकिन प्सेलेबो गोलियों नहीं लेती हैं. ये गोलियां पीरियड्स को रोकती हैं, लेकिन इनसे उन महिला एस्ट्रेनॉट्स को दिक्कत होती है, जो मिशन मार्स जैसी लंबी यात्रा पर जाती हैं. दरअसल, ये यात्रा 3 साल तक की भी हो सकती है.
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आपको बता दूं कि, ये मुद्दा 1983 में ही उठ गया था, जब अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सैली राइड, जो पहली महिला एस्ट्रोनॉट थीं. उनसे इंटरव्यू में पूछा गया था, कि आप स्पेस में पीरियड्स आने पर क्या करेंगी?
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इसके जवाब में नासा ने कई दशकों तक इस ‘दिक्कत’ को टालने के लिए महिलाओं को स्पेस नहीं भेजा. उनका मानना था कि ‘शारीरिक और मानसिक रूप से अस्थिर और चंचल इंसान’ को स्पेस में भेजना ख़तरनाक हो सकता है, तो कुछ लोगों का मानना था, कि ज़ीरो ग्रेविटी में पीरियड्स पर बुरा असर पड़ सकता है. इससे उनकी फ़ैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंच सकता है. इसके चलते महिलाएं काफ़ी लंबे समय तक स्पेस में नहीं जा पाईं.
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2010 में सैली राइड की क्लास फ़ेलो रिया सेड्डन ने कहा, मैं तो नहीं जानती कि स्पेस में पहली बार पीरियड्स किसे आए, लेकिन वापस लौटने पर सबने ये ज़रूर कहा कि, स्पेस में पीरियड्स, धरती पर पीरियड्स की तरह ही आते हैं. कुछ अलग नहीं. कोई चिंता करने की ज़रूरत नहीं.
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इन सब बातों से एक बात तो पता चली कि महिलाओं के पीरियड स्पेस में भी सामान्य ही होते हैं, पर उनकी ये चुनौती धरती पर पीरियड से गुज़रने से कहीं ज़्यादा बड़ी होती है.