एक थकान भरे दिन के बाद शाम की सैर हम सभी को रिलैक्स्ड फ़ील करवाती है. हमारी तरह मुंबई की जैस्मीना खन्ना को भी शामें बहुत पसंद है. सूरज ढलने के बाद हम तो पार्क में आराम से टहलने जा सकते हैं लेकिन जैस्मीना के लिए ये आसान नहीं है.
News18 के एक लेख के अनुसार जैस्मीना सिर्फ़ अपने घर या दफ़्तर की खिड़की या बैलकनी तक ही जा सकती हैं. जैस्मीना को Cerebral Palsy है, ये एक Neurological Disorder है जिससे चलने-फिरने, Posture में परेशानी होती है. जैस्मीना व्हीलचेयर का इस्तेमाल करती हैं.
ये सिर्फ़ विले पारले की ही कहानी नहीं है. पूरे देश का ही हाल है. बारिश में सड़कों का हाल देख कर सब ‘साफ़’ हो ही जाता है.
Business Today से बात-चीत में जैस्मीना ने बताया कि उनके पास हमेशा एक पर्सनल ड्राइवर और कार होती थी. उन्हें कई पार्टीज़, फै़मिली गेट-टुगेदर मिस करने पड़ते थे. कारण यही था कि उन्हें कार से बाहर निकलना और कार में बैठने में दिक्कत होती. जैस्मीना को उठाकर कार में बैठना था, जिससे उन्हें असहजता भी महसूस होती.
जैस्मीना ने News18 से बात-चीत में बताया कि कोई भी बदलाव का बीड़ा नहीं उठा रहा था तो उन्होंने ख़ुद ही ये ज़िम्मेदारी उठा ली.
हमारी ऑडिट रोड सरकार की गाइडलाइन्स के आधार पर ही है. हमने के.ईस्ट वॉर्ड के असिस्टेंट कमीश्नर को इस मुहीम में मदद करने के लिए कहा है.
-संकेत
संकेत और जैस्मीना ने बीएमसी और एक डिज़ाइन आर्किटेक्चरल फ़र्म के साथ मिलकर एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप शुरू की है. ये फ़र्म सड़कों की प्रोटोटाइप बनाएगी.
बहुत से Disability Rights Activists इस बात को मानते हैं कि बीते कुछ सालों में दिव्यांगों के प्रति लोगों का और सरकार का नज़रिया बदला है और दिव्यांगों के लिए काम हो रहा है. संकेत और जैस्मीना के अनुसार कुछ Ramps के अलावा ज़्यादा कुछ नहीं किया गया.