‘ये लो, गाड़ी ठोक दी पक्का कोई लड़की चला रही होगी’
भारतीय सड़कों पर ये तंज़ उतने ही आम है जितने कि स्पीड ब्रेकर्स (Speed Breakers)! ड्राइविंग में ग़लती कोई भी कर सकता है लेकिन एक विचारधारा पालथी मारकर लोगों के दिमाग़ में बैठ गई है कि लड़कियां या महिलाएं अच्छी ड्राइवर्स नहीं होती. अब ड्राइवर नहीं है तब तो गाड़ी के छोटी-मोटी ख़राबियां ठीक कर पाने का तो सवाल ही नहीं उठता!
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अक्सर हाईवे या दुकान पर बाइक, कार को सही करते जो लोग दिखते हैं वो पुरुष या लड़के ही होते हैं. कार और बाइक वॉश वाली जगहों पर भी यही लोग दिखते हैं. रेवती एक मैकेनिक (Mechanic) है.
New Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेवती के पिता, के.रामू ने उसे मेकैनिक्स (Mechanics) की दुनिया से परिचित करवाया. रामू की पेन्डुर्थी में एक मैकेनिक शॉप है.
स्कूल के बाद मैं शॉप पर पिता की मदद करने आ जाती जिन्हें विश्वसनीय असिस्टेन्ट नहीं मिलते थे. मुझे अपने पिता की मदद करके ख़ुशी होती और धीरे-धीरे मुझे ये काम पसंद आने लगा.
-रेवती
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आमतौर पर लड़कियां गाड़ियां ठीक करने का काम नहीं करती लेकिन रेवती के जुनून की वजह से उसे कुछ ही समय में मोटरसाइकल रिपेयर करना आ गया.
मैं 17 साल की उम्र की थी जब मैं आसानी से कार/दुपहिया गाड़ी के इंजन की ख़राबी, क्लच प्लेन आदि ठीक कर लेती थी.
-रेवती
रामू ने भी अपनी बेटी का पूरा समर्थन किया और उसे कभी ‘घर जाने’ को नहीं कहा. रामू ने बताया कि कुछ महीनों में ही उसे पता चल गया था कि रेवती में इस को लेकर दिलस्पी है. रामू ने ये भी बताया कि अगर उसकी आर्थिक हालात सही होती तो वो रेवती को मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ाता.
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रेवती दूसरी महिलाओं को मैकेनिक्स के बेसिक्स सिखाना चाहती है.
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