‘ये लो, गाड़ी ठोक दी पक्का कोई लड़की चला रही होगी’

‘वो देखो, बंद पड़ गई स्कूटी, किक मारने के लिए हमें ही बुलाएगी’
‘मैडम की कार बंद हो गई, अरे रे हम देख देते हैं’

भारतीय सड़कों पर ये तंज़ उतने ही आम है जितने कि स्पीड ब्रेकर्स (Speed Breakers)! ड्राइविंग में ग़लती कोई भी कर सकता है लेकिन एक विचारधारा पालथी मारकर लोगों के दिमाग़ में बैठ गई है कि लड़कियां या महिलाएं अच्छी ड्राइवर्स नहीं होती. अब ड्राइवर नहीं है तब तो गाड़ी के छोटी-मोटी ख़राबियां ठीक कर पाने का तो सवाल ही नहीं उठता!

चाहे वो स्कूटी (Scooty) को किक मारकर चालू करना हो या दुपहिया औऱ चारपहिया वाहन के टायर (Tyre) बदलना हो. बहुत से लोग यही समझते हैं कि ये सारे काम लड़कियों के बस का नहीं है.  
ऐसी तमाम संकीर्ण सोच का जवाब है एक लड़की, के.रेवती. 

Hello Vizag

अक्सर हाईवे या दुकान पर बाइक, कार को सही करते जो लोग दिखते हैं वो पुरुष या लड़के ही होते हैं. कार और बाइक वॉश वाली जगहों पर भी यही लोग दिखते हैं. रेवती एक मैकेनिक (Mechanic) है. 

Hello Vizag की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, पेन्डुर्थी, विशाखापटनम से बी.कॉम की पढ़ाई पूरी कर चुकी रेवती गर्व से कहती है कि उसने 8वीं में ही टायर पैच (Tyre Patch) फ़िक्स करना सीख लिया था. लगभग 10 साल बाद रेवती पूरी गाड़ी ख़ुद असेम्बल(Assemble) कर सकती है. 

New Indian Express की एक रिपोर्ट के अनुसार, रेवती के पिता, के.रामू ने उसे मेकैनिक्स (Mechanics) की दुनिया से परिचित करवाया. रामू की पेन्डुर्थी में एक मैकेनिक शॉप है.  

स्कूल के बाद मैं शॉप पर पिता की मदद करने आ जाती जिन्हें विश्वसनीय असिस्टेन्ट नहीं मिलते थे. मुझे अपने पिता की मदद करके ख़ुशी होती और धीरे-धीरे मुझे ये काम पसंद आने लगा. 

-रेवती

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आमतौर पर लड़कियां गाड़ियां ठीक करने का काम नहीं करती लेकिन रेवती के जुनून की वजह से उसे कुछ ही समय में मोटरसाइकल रिपेयर करना आ गया.  

मैं 17 साल की उम्र की थी जब मैं आसानी से कार/दुपहिया गाड़ी के इंजन की ख़राबी, क्लच प्लेन आदि ठीक कर लेती थी. 

-रेवती

रामू ने भी अपनी बेटी का पूरा समर्थन किया और उसे कभी ‘घर जाने’ को नहीं कहा. रामू ने बताया कि कुछ महीनों में ही उसे पता चल गया था कि रेवती में इस को लेकर दिलस्पी है. रामू ने ये भी बताया कि अगर उसकी आर्थिक हालात सही होती तो वो रेवती को मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ाता. 

रेवती अभी BEV Electronics में काम कर रही है, ये कंपनी इलेक्ट्रिकल स्कूटर बनाती है. कंपनी में रेवती इकलौती महिला कर्मचारी थी लेकिन उसके सहकर्मियों ने उसको सपोर्ट किया.  

New Indian Express

रेवती दूसरी महिलाओं को मैकेनिक्स के बेसिक्स सिखाना चाहती है. 

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