Sharmistha Ghosh: हमारी सोसाइटी में काम को पढ़ाई और स्टेट्स दोनों से जोड़ा जाता है. अगर कोई एक अच्छी पोस्ट पर है वो भले ही कम पढ़ा-लिखा हो, घूसखोरी से जॉब मिली हो, लेकिन सोसाइटी की नज़र में उससे स्टेट्स वाला कोई हो ही नहीं सकता. वहीं दूसरी तरफ़ अगर कोई चाय का ठेला या सब्ज़ी का ठेला लगाए है और वो कितना भी पढ़ा-लिखा है, लेकिन उसका स्टेट्स नीचा ही रहेगा. इस दोहरी मानसिकता ने बच्चों पर स्टेट्स मेनटेन करने का बोझ डाल दिया है. घरवालों के प्रेशर के चलते बस पढ़ते ही जा रहे हैं. इन्हीं सब सोच पर पूर्णविराम लगाया है, दिल्ली की चायवाली शर्मिष्ठा घोष (MA English Chaiwali Sharmistha Ghosh) ने.
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शर्मिष्ठा की कहानी सबको पढ़नी चाहिए, जो ज़िंदगी में कुछ करने के लिए प्रेरणा देगी साथ ही ये भी सिखाएगी कि दिल से किया जाने वाला कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस, उसका एक लक्ष्य ज़रूर होना चाहिए.
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Sharmistha Ghosh
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दरअसल, शर्मिष्ठा घोष की कहानी भारतीय सेना के रिटायर्ड ब्रिगेडियर संजय खन्ना ने अपने Linkedin अकाउंट से शेयर की है, जिसे अब तक 31 हज़ार से ज़्यादा लोग देख चुके हैं. शर्मिष्ठा की कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है. शर्मिष्ठा घोष दिल्ली कैंट के गोपीनाथ बाज़ार में अपना चाय का स्टॉल लगाती हैं. इनका सपना है कि वो चाय के स्टॉल को Chaayos ब्रांड की तरह बड़ा बनाएं और उनके पास इसका पूरा प्लान भी है.
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शर्मिष्ठा की कहानी लोगों को इसलिए प्रभावित नहीं कर रही है कि वो एक लड़की हैं और चाय के स्टॉल का काम कर रही हैं, बल्कि उनकी पढ़ाई और जॉब लोगों को प्रभावित कर रही है. दरअसल, शर्मिष्ठा इंग्लिश लिटरेचर में पोस्ट-ग्रेजुएट हैं और ब्रिटिश काउंसिल में जॉब करती थीं, जिसे उन्होंने अपने चाय के बिज़नेस वाले सपने के लिए छोड़ दिया.
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इस पोस्ट के बाद शर्मिष्ठा का स्टॉल काफ़ी चर्चा में आया, जिसके बाद शर्मिष्ठा ने अपने स्टॉल को लेकर लोगों की ग़लतफ़हमी भी दूर की.
शर्मिष्ठा घोष ने Hindustan Times को बताया कि,
49 वर्षीय ब्रिगेडियर सर ने पोस्ट में जो चाय लवर की बात की वो आकस्मिक थी, ठंड का मौसम था तो स्टॉल पर चाय भी दी जा रही थी, लेकिन हमारा बिज़नेस घर का हेल्दी खाना लोगों तक पहुंचाना है क्योंकि मैं खाने को लेकर बहुत जुनूनी हूं. ये अभी छोटा सा बिज़नेस है, जिसे हमने भूभाषा नाम दिया है. इसे मैं अपनी पार्टनर, जो 46 साल की हैं और इंटरनेशनल एयरलाइंस से रिटायर्ड हैं उनके साथ और अपनी बहन साधना के साथ करती हूं, जिनकी उम्र 32 साल और उन्होंने शर्मिष्ठा के साथ घर की रसोई में हेल्पर के ज़रिए काम शुरू किया था.
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आगे बताया,
शौक़ के रूप में शुरू किया गया ये काम अब हम तीनों के लिए जुनून बन चुका हैं और हमारा स्टॉल शुक्रवार से रविवार खुलता है. पोस्ट के बाद स्टॉल पर ग्राहकों की भीड़ बढ़ी है. हमारे भोजन को पसंद करने वाले लोगों के साथ स्टॉल ने इतनी लोकप्रियता हासिल की है कि, ग्राहक उस दिन भी ऑर्डर देते हैं जब हम अपना स्टॉल खोलते भी हैं.
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इसके बाद अपने Menu के बारे में भी बताया,
Menu हर दिन बदलता है जैसे, सर्दियों में मक्के की रोटी और सरसों का साग, आलू टिक्की और चना भठूरा शामिल हैं. इसका लुत्फ़ उठाने के लिए वीकेंड पर ग्राहक की ख़ूब भीड़ आती है. इस स्टॉल को आगे बढ़ाने का उद्देश्य ये है कि हम उन महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहते हैं जो घर में खाना बनाती हैं और उन्हें क्रेडिट भी नहीं मिलता है. हम चाहते हैं वो घर से बाहर निकलें और अपनी मेहनत का कमाना शुरू करें.
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पोस्ट जो कि चाय बिज़नेस को आगे बढ़ाने के बारे में था, उस पर शर्मिष्ठा ने बताया कि,
हमारी कोशिश कुकिंग की तरफ़ ही रहेगी. हम भविष्य में एक बड़ा रेस्टोरेंट खोलना चाहते हैं, जो हमारे फ़ूड लव और मेहनत को दर्शायेगा और ये पूरी तरह से चाय के बारे में नहीं होगा. चाय इसका हिस्सा हो सकती हैं बस.
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शर्मिष्ठा और उनकी पार्टनर्स उन सभी युवाओं और महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं, जो घर से निकलकर ज़िंदगी में कुछ मक़ाम बनाना चाहती हैं.