Jammu’s First E-rickshaw Driver Seema Devi: ऐसी कोई भी चीज़ ही नहीं है, जो महिलाएं नहीं कर सकतीं. चाहे वो अंतरिक्ष में जाना हो या फिर देश चलाना हो. महिलाएं हर एक क्षेत्र में अव्वल काम कर रहीं हैं. इसी जज़्बे को कायम रखने के लिए जम्मू की सीमा देवी ने भी अपने और अपने परिवार के लिए एक अहम कदम उठाया. उन्होंने जम्मू में E-rickshaw चलाना शुरू किया है. उनके इस काम को देखकर सब उनकी सराहना कर रहे हैं. चलिए इस आर्टिकल में माध्यम से हम जम्मू की पहली E-rickshaw ड्राइवर सीमा देवी की कहानी को विस्तार से पढ़ते हैं.

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जम्मू की पहली E-rickshaw ड्राइवर की प्रेरणादायक कहानी-

सीमा नागरोटा की रहने वाली हैं

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सीमा देवी नागरोटा धोक वज़ीर एरिया की रहने वाली हैं. अक्सर मध्यम-वर्गीय परिवार में पैसों को लेकर तंगी चलती रहती है और लोग इसी वजह से कम में गुज़ारा करना शुरू कर देते हैं. लेकिन सीमा देवी की सोच थोड़ी अलग है. उन्होंने सोचा कि कम में गुज़ारा करने से अच्छा है कि वो अपने पति की मदद करें और साथ मिलकर आमदनी को बढ़ाएं. जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक हो सके.

महंगाई बढ़ रही थी इसीलिए पति की मदद करने का फैसला किया

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नागरोटा की रहने वाली सीमा देवी के 3 बच्चें हैं और बीते 3-4 महीने से वो नागरोटा के आस-पास की जगहों पर e-rickshaw चला रहीं हैं. उन्होंने रिक्शा चलाने का फैसला इस लिए लिया क्योंकि, “महंगाई बहुत ज़्यादा बढ़ गई है और मेरे पति की आय इतनी ज़्यादा नहीं है. जिसकी वजह से घर चलाना काफ़ी ज़्यादा मुश्किल हो गया था”.

इसीलिए उनके पति ने पैसों का इंतज़ाम करके ऑटो ख़रीदा और सीमा को ड्राइविंग भी उनके पति ने ही सिखाया. सीमा ने बताया कि “मेरे पति ने मुझे ड्राइविंग सिखाई थी और ड्राइविंग सिखाने क 2 दिन बाद ही मैंने ऑटो चलाना शुरू कर दिया था.”

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उन्होंने बताया कि “हालांकि ड्राइविंग पुरुषों का प्रोफ़ेशन है. मुझे ऑटो चलाते देखकर बहुत से पुरुष हंसते और मज़ाक उड़ाते हैं. लेकिन मैं सबको नज़र अंदाज़ कर देती हूं.”

सीमा का ऑटो है स्कूल जाती लड़कियों के लिए है सुरक्षित

सीमा ने बताया कि उनके मोहल्ला के माता-पिता अपनी बच्चियों को सीमा के ऑटो में ही भेजते हैं. क्योंकि वो उन्हें सुरक्षित लगता है. सीमा दिन का 200-500 रुपये तक कमा लेती हैं और वो चाहती हैं कि समाज की और भी औरतें काम करें. साथ ही सीमा ये भी चाहती हैं कि सरकार उनकी ऑटो पर सब्सिडी दें.