भारत की न्याय व्यवस्था… वैसे तो बेहद पारदर्शी है, पर आम जनता और न्याय के बीच एक बेहद ऊंची दीवार है. इतनी ऊंची की अक्सर लोग, ‘कौन पड़े अदालत के चक्कर में’ कहते सुने जा सकते हैं. हमें कोर्ट-कचहरी के चक्कर न लगाने पड़े इसकी हर संभव कोशिश करते हैं.
महिलाएं न्याय के दरवाज़े तक आसानी से पहुंच सके इसके लिए कई संस्थाएं काम करती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में एक दुर्घटना के बाद वक़ील मानसी चौधरी को बेहद अप्रिय घटनाओ का सामना करना पड़ा. दुर्घटना में शामिल दूसरे कार वालों ने उनके साथ बद्तमिज़ी की और मानसी जैसे-तैसे बच निकलीं.
दो लड़के अपनी गाड़ी से उतरे, उन्होंने चीखना-चिल्लान गालियां देना शुरू कर दिया. उन्होंने मुझे धमकिया दीं और मेरी कार के बोनेट, दरवाज़े और खिड़की पर हाथ मारा, मेरी गाड़ी का साइड मिरर तोड़ डाला. वो मेरी बात ही नहीं सुन रहे थे, जबकि मैं उनसे कह रही थी गाड़ी साइड करके बात करते हैं. उन लड़कों ने मेरी गाड़ी का दरवाज़ा खोलने की भी कोशिश की.
-मानसी चौधरी
मानसी ने FIR तो किया पर उन्हें एहसास हुआ कि वो वक़ील हैं और उन्हें अपने अधिकार पता हैं पर देश के बाक़ी महिलाओं का क्या.
इसके बाद मानसी चौधरी ने Pink Legal पोर्टल बनाया.
क्या है Pink Legal?
Pink Legal एक ऐसा पोर्टल है जहां महिलाओं को अपने न्यायिक अधिकारों के बारे में जानकारी मिल सकती है. ये पोर्टल महिलाओं के अधिकार और महिलाओं से जुड़े क़ानूनों की बात करता है. Pink Legal पर एक क्लिक से किसी भी महिला को क़ानूनी लड़ाई शुरू करने में मदद मिलेगी.
कौन हैं मानसी चौधरी?
मानसी ने जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, दिल्ली से 2016 में वक़ालत की पढ़ाई की.
2018 में मानसी ने जस्टिस चंद्रचूड़ को सबरीमाला केस, सेक्शन 377 और अडल्ट्री को डिक्रिमिनालाइज़ करने में असिस्ट भी किया.
कई बार महिलाओं को FIR ने लिखवाने की हिदायत दी जाती है, मानसी ने इस सूरत को बदलने की भी कवायद करती हैं.
Pink Legal वेबसाइट पर जाने के लिए यहां क्लिक करें.