मैरी क्यूरी के पिता फ़िज़िक्स के टीचर थे और उनकी मां एक स्कूल में पढ़ाती थीं. बचपन से ही पढ़ाई के माहौल में पली-बढ़ी मैरी पढ़ाई में तो निपुण थीं घर के कामों में भी कुशल थीं. मैरी को उनकी बुद्धिमानी और उपलब्धियों के चलते दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था और वो पहली महिला थीं जिन्हें ये सम्मान दो बार मिला. देश में 1901 से लेकर 2018 तक महिलाओं को 52 बार नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है.

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मैरी क्यूरी एक ऐसी महिला थीं, जिनके लिए कुछ भी असंभव नहीं था. इतनी बड़ी शख़्सियत होने के बावजूद वो कभी मीडिया के सामने नहीं आना चाहती थीं. जब 1911 में उन्हें केमिस्ट्री में रेडियम के शुद्धिकरण और पोलोनियम की खोज के लिए दोबारा नोबेल पुरस्कार मिला तो एक संवाददाता उनसे मिलने उनके घर गया. 

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मैरी बहुत ही साधारण सी महिला थीं, वो अपने घर के कामों में लगी एक कोने में बैठी थीं. तभी संवाददाता को लगा कि वो नौकरानी हैं, उसने सवाल किया, आप यहां काम करती हैं? उन्होंने जवाब दिया, हां. कहिए क्या है? उसने फिर सवाल किया, आपकी मालकिन घर पर हैं? उन्होंने जवाब दिया, नही. उसने फिर, पूछा कब लौटेंगी? उन्होंने जवाब दिया, पता नहीं. उसने फिर सवाल किया कि आप उनके बारे में कुछ बता सकती हैं?

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इसके बाद मैरी क्यूरी ने संवाददाता से कहा कि वो इतना कह गईं है कि अगर कोई उनके बारे में पूछे तो बस ये बोलना कि एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति के बारे में उत्सुक होने की बजाय उसकी विचारधारा और सोच के लिए उत्सुक होना चाहिए. मीडिया से आए उस व्यक्ति को ये पता ही नहीं था कि वो जिनसे इतनी देर से सवाल कर रहा है वो ख़ुद मैरी क्यूरी थीं. 

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आपको बता दें, मैरी ने अपनी पढ़ाई फ़्रांस से की, जहां वो भौतिक शास्त्री पियरे क्यूरी से मिलीं. मैरी और पियरे दोनों एक लैब में काम करते थे इसी दौरान दोनों ने एक-दूसरे को पसंद किया और 26 जुलाई 1895 को उन्होंने शादी कर ली. इसके बाद दोनों ने मिलकर रेडियो एक्टिविटी की खोज की. इसके लिए पहली बार मैरी और पियरे को 1903 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मैरी पेरिस यूनिवर्सिटी की पहली महिला प्रोफेसर भी थीं.

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