Prachi Kaushik Empowering Women’s: महिलाओं को अगर कोई उनके पैरों पर खड़े होने में मदद कर दे और उनकी सेहत का भी ख़्याल रखे तो वो क्या से क्या नहीं कर सकतीं. हमारे देश की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें स्वस्थ रखने का सपना देखा था हमारी आज की मेंटर ने. 

ख़ुशी की बात ये है कि वो इस सपने को साकार कर ग्रामीण भारत की महिलाओं की ज़िंदगी संवार रही हैं. आज हम अपने #DearMentor कैंपेन इस युवा महिला की कहानी आपके लिए लेकर आए हैं.

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महिलाओं को बना रही हैं आत्मनिर्भर

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हम बात कर रहे हैं झज्जर (हरियाणा) की रहने वाली प्राची कौशिक की. वो अपने एनजीओ Vyomini Social Foundation के ज़रिये ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हुई हैं. उनका ये NGO महिलाओं को उनके हुनर के हिसाब से ट्रेनिंग देता है और उनको मार्केट में अपना बिज़नेस स्थापित करने में हेल्प करता है. 

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सेनेटरी पैड्स वेंडिंग मशीन

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यही नहीं प्राची महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी करती हैं. वो माहवारी से जुड़े हाइजीन के बारे में उनको बताती हैं और सेनेटरी पैड्स वेंडिंग मशीन दफ़्तरों और कॉलेज में इंस्टॉल करती है. इनके ज़रिए कोई भी स्त्री कम दाम पर आसानी से सेनेटरी पैड्स पा सकती है. यही नहीं वो महिलाओं को अपने संगठन में सेनेटरी पैड्स बनाने की ट्रेनिंग भी देती हैं. प्राची शुरू से ही महिलाओं के लिए कुछ करना चाहती थीं.

पढ़ाई के साथ ही जॉइन किया एनजीओ

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उन्होंने पढ़ाई के साथ ही महिला सशक्तिकरण के लिए कुछ एनजीओ के साथ काम करना शुरू कर दिया था. प्राची ने एक इंटरव्यू में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने एक NGO जॉइन कर लिया. इसके साथ ही वो महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर महिलाओं को उचित दर पर सेनेटरी पैड्स दिलाने के काम में जुट गईं. मगर यहां की स्थिति कुछ उन्हें रास न आई.

2017 में खोला ख़ुद का NGO

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काम होता तो था पर उसकी स्पीड कम थी. इसलिए प्राची ने ख़ुद का एक NGO शुरू करने के बारे में सोचा. इस तरह 2017 में उन्होंने इसकी शुरुआत की. इससे पहले उन्होंने National Institute for Entrepreneurship and Small Business Development (NIESBUD) नोएडा से Entrepreneurship की ट्रेनिंग ली थी.

10 हज़ार महिलाओं की मदद कर चुकी हैं

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प्राची अपने एनजीओ के Entrepreneurship Development Support (EDS) प्रोग्राम की मदद से अब तक 10,000 महिलाओं की ज़िंदगियां संवार चुकी हैं. इसमें वो महिलाओं को पैड बनाने की ट्रेनिंग, बैंक से मिलने वाली सुविधाओं और अपने बिज़नेस को मार्केट में स्थापित करने में मदद करती हैं. 

कम दाम पर उपलब्ध करवाती हैं पैड

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इसके साथ ही वो समय-समय पर मासिक धर्म स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में वर्कशॉप भी करती रहती हैं. इसकी मदद से उन्होंने 10 लाख से अधिक महिलाओं को अपनी हेल्थ के प्रति जागरूक कर उन्हें माहवारी के दौरान स्वच्छता को अपनाना सिखाया है. उनके एनजीओ द्वारा बनाया जा रहा रक्षक पैड मार्केट में 20 रुपये में उपलब्ध है. इस पैकेट में 6 सेनेटरी नैपकिन होते हैं. 

घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की भी करती हैं मदद

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घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को वो क़ानूनी सहायता उपलब्ध करवाती हैं. ज़रूरत पड़ने पर उन्हें अस्पताल भी पहुंचाती हैं. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ये सारे काम वो अपने एनजीओ की मदद से करती हैं. इसका मुख्यालय दिल्ली में हैं. इसके सेंटर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली-एनसीआर में मौजूद है. 

हो चुकी हैं सम्मानित

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प्राची कौशिक को कई अवॉर्ड्स भी मिल चुके हैं. उन्हें नीति आयोग ने 2021 में वुमन ट्रांसफ़ार्मिंग इंडिया के अवॉर्ड से सम्मानित किया था. प्राची  का उद्देश्य है कि वो आने वाले समय में देश के हर राज्य में अपना एक Vyomini सेंटर खोलें. ताकि आत्मनिर्भर बनने के लिए किसी ज़रुरतमंद महिला को शहर में जाने की ज़रूरत न पड़े.