Rupuli Jakaka: सरकारी अस्पताल हो या फिर कोई अन्य सरकारी दफ़्तर यहां पर काम निकलवाना बड़ा ही मुश्किल होता है. ऐसे में कोई आपकी मदद के लिए आगे आ जाए और तो कितनी राहत मिलती है. आप इस बात यहां समझ जाएंगे. 

ओडिशा के रायगड़ा ज़िले के लोगों जब ऐसी ही किसी मदद की दरकार होती है तो उनका साथ देने पहुंच जाती हैं 70 वर्षीय एक दादी. जिनको रायगड़ा की मदर टेरेसा भी लोग कहते हैं. वो पिछले 4 दशक से लोगों को प्रशासन से मिलने वाली मदद दिलाने में उनकी हेल्प कर रही हैं. आज हमारे #DearMentor कैंपेन में हम आपको उनकी कहानी बतला रहे हैं.

Rupuli Jakaka

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हज़ारों ज़रूरतमंद महिलाओं की मदद

Meet Rupuli Jakaka
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रायगड़ा ज़िले में मदर टेरेसा के नाम से फ़ेमस हैं रूपुली जकाका. वो निस्वार्थ भाव से अपने इलाके और आस-पास के गांव के लोगों की मदद कर रही हैं. उन्होंने अपनी आदिवासी बहुल पंचायत में आने वाले 18 गांव के लगभग 5000 लोगों की मदद की है. इनमें अधिकतर ज़िले की ग़रीब और ज़रूरतमंद महिलाएं शामिल हैं.

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40 साल पहले मिली एक सीख

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इसकी शुरुआत लगभग 40 साल पहले हुई जब उनके पति अचानक बीमार पड़ गए. आनन-फानन में उनको सरकारी अस्पताल ले जाया गया. यहां रूपुली जी ने डॉक्टर्स से लेकर पंचायत के लोगों तक से मदद की गुहार लगाई. उनकी मदद को कोई आगे न आया. बदकिस्मती से वो अपने पति को बचा न सकीं. लेकिन एक सीख उन्हें ज़रूर मिली, वो थी कि कैसे बिना किसी की मदद से सरकारी अधिकारी की सहायता प्राप्त करना कितना मुश्किल होता है.

लोगों की सहायता करने की ठानी

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ऐसे में उन्होंने ठान लिया कि वो अब हर ज़रूरतमंद को सरकार से मिलने वाली हर संभव मदद दिलवाएंगी. रूपुली जी पर अपनी बेटी का पालन पोषण करने के साथ ही ख़ुद के लिए आजिविका भी कमानी थी. ऐसे में उनके लिए लोगों की मदद करना आसान न था. वो जंगल से बेची जा सकने वाली सामग्री इकट्ठा कर उन्हें आस-पास के गांव में बेचती. इससे होने वाली कमाई से उनका घर चलता.

शिक्षकों की मदद से दिलवाया उनका हक़

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इसके साथ ही रूपुली जी कुछ समय गांव के लोगों के साथ बिताती, उनकी समस्याओं के बारे में जानती और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें सरकारी मदद दिलवातीं. रूपुली जी इन्हें उचित सहायता दिलाने के लिए अपने गांव के स्कूल के शिक्षकों की मदद लेतीं. वो उनसे प्रार्थना पत्र लिखवा कर तहसील और दूसरे सरकारी दफ़्तर पहुंचाती. इस तरह पूरे इलाके में उन्होंने अपने जैसी बहुत सी ज़रूरतमंद महिलाओं और पुरुषों की मदद की.

घर का काम निपटा जाती हैं लोगों के पास

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वो उनको वृद्ध पेंशन दिलवाने, सरकार की तरफ से मिलने वाले राशन, इंदिरा आवास योजना के तहत आवास, स्वास्थ्य केंद्र में मुफ़्त इलाज और विकलांग पेंशन बनवाने में मदद करती. बेटी की शादी के बाद तो उन्होंने लोगों की सहायता करना ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया. अब वो रोज़ाना 9 बजे अपने घर का काम ख़त्म कर आस-पास के गांव में जाकर लोगों की समस्या सुनती हैं.

हो चुकी हैं सम्मानित

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टीचर्स की सहायता से उन्हें हर प्रकार की सरकारी सहायता दिलवाती हैं. अब उनके इस काम में इलाके के नौजवान भी मदद करते हैं. अब उनको एप्लीकेशन लिखने और सरकारी दफ़्तरों में जाने की ज़्यादा ज़रूरत नहीं पड़ती. इन्हें कुछ समय पहले हुए चैती महोत्सव में रायगड़ा प्रशासन ने सम्मानित भी किया था. सीएम नवीन पटनायक ने भी ट्वीट कर इनकी तारीफ़ की थी.

आगे भी जारी रखेंगी अपना काम

रूपुली जी कहती हैं- ‘मुझे खु़शी है कि आज स्थिति पहले से कहीं बेहतर हो गई है. कुछ अच्छे अधिकारी हैं जो लोगों की मदद कर रहे हैं, लेकिन अभी भी कई जगह ऐसी हैं जहां ऐसे अधिकारी नहीं पहुंच पा रहे हैं और लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में पता ही नहीं है. मैं ऐसे लोगों के लिए अपना काम करना जारी रखूंगी.’

रूपुली जी की जितनी तारीफ़ की जाए कम है.