भारत, वो देश जंहा नारी को पूजा (शायद सिर्फ़ किताबों में) जाता है. वैसे तो एक औरत को देवी, बेटी, मां, बहन और पत्नी के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन कुछ लोगों के लिए एक औरत केवल अपने शरीर के अंगों (2 स्तन और योनि) से जानी जाती है. ऐसे लोग औरत को केवल इतने हिस्सों में ही देखते हैं. कुछ लोगों को ये बातें बहुत चुभेंगी और इसको पढ़ने के बाद वो कमेंट बॉक्स में गन्दी गालियों का प्रयोग भी करेंगे, लेकिन ये सच है.

हाल ही में एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसे एक फ़ेसबुक यूज़र अरित्रा पॉल ने अपने अकाउंट से शेयर किया है. इस पोस्ट में उन्होंने लोगों का ध्यान एक बेहद ही विचित्र मानसिकता पर केंद्रित किया है. उसकी इस पोस्ट पर लोगों ने हाथों-हाथ लिया है. अरित्रा पॉल ने अपनी पोस्ट के ज़रिये एक बेहद ही शर्मनाक क्रिया के विरोध में आवाज़ उठाई है. उन्होंने एक फ़ोटो शेयर करते हुए इस बात को हाईलाइट किया है कि कैसे बेहद ही शर्मनाक तरीके से पुरुष प्रधान इस देश में चाइल्ड ट्रैफ़िकिंग के बारे में जागरूकता फैलाने वाले सिम्बल का मज़ाक उड़ाया गया है.

कोलकता के सबसे बिज़ी इलाके दक्षिणी एवेन्यू की गलियों में, दीवार पर बने लड़की के एक भित्तिचित्र (Mural) पर भद्दी और लैंगिक टिप्पणी की गई. ये भित्तिचित्र एक Missing Art Project का हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट के तहत इसके मेंबर्स परछाई की तरह एक लड़की का चित्र दीवार पर पेंट करते हैं. इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य देश में दिनों दिन बढ़ रहे देह व्यापार के चलते बढ़ती बाल तस्करी के बारे में जागरूकता फैलाना है. मगर कितने शर्म की बात है कि इस भित्तिचित्र को भी निकृष्ट मानसिकता वालों ने नहीं छोड़ा और चॉक से उसके स्तन और जननांग को रेखांकित कर दिया.

अपने अकाउंट से फ़ोटो शेयर करते हुए पॉल ने लिखा, ‘अगर हम स्टैंसिल को सेक्सयुलाइज़्ड होने से नहीं बचा सकते हैं, तो हम किसी को नहीं बचा सकते!’ इस घृणित सोच और जघन्य कृत्य पर शर्मिंदा होते हुए, वो लिखती हैं, ‘देखो इसे, ध्यान से देखो इसे, यही वो दायरा है, जिसमें औरत को सीमित कर दिया गया है – दो स्तन और एक योनि!’

आगे एक सवाल करते हुए उन्होंने लिखा, ‘कैसे कोई सोच सकता है कि ‘स्टैंसिल पर एक छेद और स्तन रेखांकित करना मज़ेदार है.’

पॉल ने अपनी पोस्ट में ये भी लिखा, ‘मैं चॉक से बने इन निशानों को तुरंत मिटा सकती थी, मैं कल इन निशानों को ज़रूर मिटा दूंगी, पर हां उससे पहले मैंने इसको सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का फैसला किया. मैं इस फ़ोटो को @missingirls हैशटैग के साथ पोस्ट करके दुनिया को बताना चाहती हूं कि हम कितनी निकृष्ट प्रजाति के हैं!’

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 2014 में ‘द मिसिंग पब्लिक आर्ट प्रोजेक्ट’ की शुरुआत इस बारे में जागरूकता फैलाने के लिए की गई थी कि कैसे कम उम्र में लड़कियों को यौन दासता में धकेल दिया जाता है. इस प्रोजेक्ट का उदेश्य देह व्यापार के लिए होने वाली मानव तस्करी पर वार्तालापों को बढ़ावा देना है, 2014 से ही दिल्ली, चेन्नई, बेंगलुरू, कोलकाता सहित कई मेट्रो शहरों में ये काम कर रहा है.

इस फ़ोटो ने सोशल मीडिया पर एक हलचल पैदा कर दी और सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस तरह के गंभीर मुद्दे पर बनाई गई आर्ट पर कीचड़ उछालने वालों की घृणित मानसिकता का पुरज़ोर विरोध किया है. उनकी पोस्ट इस पोस्ट ने लोगों की ‘बीमार’ और ‘वासनापूर्ण’ मानसिकता को उजागर किया है. कई यूज़र्स ने लिखा कि ये देखकर बहुत निराशा हुई कि जागरूकता फैलाने के प्रतीक का इस तरह से उपहास किया जा सकता है.

अरित्रा पॉल की ये पोस्ट मेरे आपके और समाज के हर व्यक्ति के मुंह पर एक तमाचा है कि हम एक लड़की की आकृति तक को यौन शोषण से नहीं बचा पाए. ये शर्मनाक है, बेहद शर्मनाक!