दोग़लापन
हमारे समाज की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि यहां लोग अपना असली चेहरा नहीं दिखाते हैं. ख़ासकर हम महिलाओं के प्रति. कभी वो महिला को दुर्गा बता कर पूजते हैं. कभी उसे चार दीवारी में बंद रहने की हिदायत देते हैं. समझ नहीं आता है कि आखिर किसी महिला के लिये वो इतनी दोग़लापन लाते कहां से हैं.
Normal Day V/s Women’s Day में फ़र्क़ दिखाने के लिये हमने छोटी सी लिस्ट तैयार की है. आप भी देखिये.
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हो सकता है कि हर महिला के साथ ये सब न होता हो, लेकिन अधिकतर महिलाएं इन बातों से इत्तेफ़ाक रखेंगी. आप लोगों से बस यही कहना है कि ये दिखावा सिर्फ़ एक दिन का क्यों? क्या रोज़ एक आदमी-औरत कंधे से कंधा मिला कर नहीं चल सकते? बदलाव की ओर छोटा सा क़दम बढ़ा कर देखिये अच्छा लगेगा.
बाकी Happy Women’s Day!