Paralyzed Punam Rai Helps 3000 Girls Learn Self Defense: महिलाएं पुरुषों के बराबर होती हैं. लेकिन समाज की इस रूढ़िवादी सोच के कारण हमें शुरू से ये बताया गया है कि “महिलाएं कमज़ोर होती हैं.” इसलिए समाज औरतों को कमज़ोर समझता आ रहा है. लेकिन कुछ महिलाएं इस भ्रम को तोड़ रही हैं. इसका उदहारण वाराणसी की पूनम राय हैं , जिनके ससुराल वालों ने उन्हें बिल्डिंग की तीसरी मंज़िल से फेंक दिया. लेकिन पूनम वापस अपने पैरों पर खड़ी हुईं और करीब 3000 लड़कियों को सेल्फ़ डिफेंस की शिक्षा दी. आज हम इनकी इंस्पायरिंग स्टोरी बताने जा रहे हैं.
हम अपने #DearMentor कैंपेन के ज़रिए चलिए जानते हैं वाराणसी की पूनम राय की कहानी-
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चलिए जानतें हैं पूनम राय की इंस्पायरिंग कहानी-
पूनम ने BHU से पेंटिंग में ग्रेजुएशन पूरी की
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हर एक व्यक्ति की तरह पूनम ने भी अपने भविष्य के लिए सपने देखे थे. जिसे पूरा करने के लिए पूनम दिन-रात मेहनत करती थीं. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1997 में पूनम ने शादी कर ली. लेकिन इस शादी ने पूनम की ज़िन्दगी को बदलकर रख दिया.
हर पढ़ी-लिखी लड़की को एक पढ़ा-लिखा पार्टनर चाहिए होता है. ऐसा ही कुछ पूनम ने भी सोचा था, उन्हें बताया गया कि उनकी शादी किसी मणिपाल यूनिवर्सिटी के इंजीनियर से हो रही है. पूनम ने भी ख़ुशी-ख़ुशी शादी कर ली.
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दहेज के लिए पूनम से बोला गया इतना बड़ा ‘झूठ’
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लेकिन पूनम को भनक भी नहीं थी सिर्फ़ दहेज के लिए उनके साथ कितना बड़ा खेल रचा जा रहा है. पूनम के परिवार वालों ने पूनम के ससुराल वालों को दहेज देकर विदा कर दिया. लेकिन अब पूनम का दर्दनाक सफ़र शुरू हो गया था. जब उन्हें पता चला कि लड़का 12th पास भी नहीं है.
पूनम के माता-पिता ने अपने बच्चों को हमेशा अपने सपनों को पूरा करने की आज़ादी दी थी. पूनम के ससुराल में रोज़ छोटी बात को लेकर बहस हो जाती थी. पूनम ने शादी के बाद, एक प्यारी सी बच्ची को जन्म दिया. लेकिन वो रोज़ अपने पति और ससुराल वालों से ताने सुनती थी.
बिल्डिंग की तीसरी मंज़िल से गिरा दिया गया
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पूनम के घर पर चीज़ें दिन-प्रतिदिन ख़राब होती जा रही थी. एक दिन ससुराल वालों ने पूनम को तीसरी मंज़िल से नीचे गिरा दिया. जब पूनम को होश आया, तो वो अपाहिज अवस्था में हॉस्पिटल के बेड पर थीं. बस वो उस बेड पर आंखें खोलकर रो सकती थीं. डॉक्टर ने भी कह दिया था कि अब पूनम कभी बोल नहीं सकेंगी. इसी कारणवश पूनम 15 सालों तक बेड पर रहीं.
2014 में पूनम के सबसे बड़े Ideal उनके पिता का निधन हो गया
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पूनम ने बताया, “मेरे पिता मेरे जीवन के सबसे मजबूत स्तंभ थे, खासकर घटना के बाद. मैंने यह जानकर जीने की इच्छा खो दी कि मैं उनसे कभी बात नहीं कर पाउंगी”.
लेकिन धीरे-धीरे थेरेपी और व्यायाम की मदद से पूनम ने एक बार से चलना शुरू कर दिया.
अपने पिता के नाम पर खोला ‘Bindeshwar Rai Foundation’
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पूनम ने इतनी मुसीबतों के बाद भी हार नहीं मानी और अपने पिता के नाम पर NGO शुरू किया. जहां उन्होंने हज़ारों बच्चों को पेंटिंग और ताइक्वांडो सिखाने का जिम्मा लिया. उन्होंने अपने एक्सपीरियंस से सीखा कि ‘सेल्फ़ डिफेंस’ सबको आना बहुत ज़रूरी है.
जहां ताइक्वांडो के लिए उन्होंने ट्रेनर लगा रखे हैं और पेंटिंग वो ख़ुद बनाती हैं. पूनम अपने NGO के माध्यम से महिलाओं को स्वतंत्र करने पर ज़ोर देती हैं. अब तक उन्होंने NGO के माध्यम से 3000 से ज़्यादा छात्रों को सफ़लतापूर्वक ट्रेन किया है.
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अपनी जीविका चलाने के लिए पूनम पेंटिंग करती हैं और 2017 में उन्होंने अपनी सबसे बड़ी पेंटिंग बनानी शुरू की, जिसका नाम ‘The Phases of Faces’ है. ये नाम ‘बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ’ के कैंपेन से इंस्पायर्ड है. साथ ही ये पेंटिंग वो देश के प्रधानमंत्री को गिफ़्ट करना चाहती थीं.
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2018 में उनकी ये तमन्ना भी पूरी हुई. पूनम प्रधानमंत्री से मिलीं और उन्हें उनकी तस्वीर बनाकर गिफ़्ट कीं. बिस्तर पर दिन काटकर, आज पूनम खुद का NGO चलाती हैं और बच्चों को शिक्षा देती हैं. उनकी खुद की बेटी आज 24 वर्ष की हो गई है.
पूनम कहती हैं, “शब्द ‘नहीं’ ‘नहीं कर सकते’ और ‘असंभव’ मेरे सबसे बड़े प्रेरक हैं. जब भी लोग मुझे कुछ करने से रोकते हैं, तो मैं उसे पूरा करने के लिए और ज़्यादा दृढ़ हो जाती हूं. कोई भी व्यक्ति कमजोर नहीं होता, अगर एक चींटी पहाड़ पर चढ़ सकती है तो हम और भी बहुत कुछ कर सकते हैं.”
वाह! इतनी साहस वाली पूनम हर घर में होनी चाहिए.