आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, लेकिन भारत में ऐसे लोग मिल जायेंगे जो धर्म-जाति, काला-गोरा और लंबे-छोटे को लेकर भेदभाव करते हैं. किसी के रंग और लंबाई को देखकर नहीं, बल्कि उस व्यक्ति की अच्छाइयों को देखकर उसे अपना चाहिए. आज भी हमारे देश में कइयों को रंग-रूप और कम लंबाई को लेकर लोगों के ताने सुनने पड़ते हैं.
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आज हम आपको एक ऐसी ही महिला की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने बचपन से ही छोटे कद के कारण लोगों के काफ़ी ताने सुने, लेकिन दुनिया की इस ओछी सोच को दरकिनार करते हुए इस महिला ने साबित किया कि मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाए तो मंज़िल आसान हो जाती है.
हम बात कर रहे हैं वर्तमान में पंजाब की जालंधर कोर्ट की एडवोकेट 24 वर्षीय हरविंदर कौर उर्फ़ रूबी की. जालंधर के रामामंडी की रहने वाली हरविंदर का कद 3 फ़ुट 11 इंच है. वो भारत की सबसे छोटे कद की वक़ील हैं. हरविंदर को बचपन में अपने इसी के चलते लोगों के ताने सुनने पड़ते थे, लेकिन आज लोग उनके छोटे कद की नहीं, बल्कि उनकी क़ाबिलियत की मिसाल देते हैं.
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छोटे कद के कारण टूटा एयर होस्टेस बनने का सपना
एडवोकेट हरविंदर कौर ने बताया कि वो बचपन से ही एयर होस्टेस बनना चाहती थी, लेकिन कम हाइट के कारण उनका ये सपना पूरा न हो सका. इस दौरान परिवार के लोग उनकी स्लो ग्रोथ के चलते उन्हें कई डॉकटरों को दिखाया दवाईयां ली, मेडिटेशन किया, लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ. इसके बाद हरविंदर ने एयर होस्टेस बनने का सपना छोड़ दिया.
सोशल मीडिया से मिली काफ़ी मदद
हरविंदर कौर बताती हैं कि, मैंने 12वीं की परीक्षा के बाद दिनभर मोटीवेशनल वीडियो देखने शुरू कर दिए. इन वीडियोज़ से मुझे हिम्मत मिलने लगी. इसके बाद मैंने ठान लिया था कि भगवान ने मुझे जैसा बनाकर भेजा है उसे मुझे स्वीकार करना ही होगा. इसके बाद सोशल मीडिया पर भी लोगों ने मुझे काफ़ी प्यार दिया जिससे मुझे हिम्मत मिलने लगी. हालांकि, कई बार सोशल मीडिया पर कुछ बुरे कमेंट पढ़ने को मिलते थे, लेकिन मैंने इन्हें इग्नोर करना शुरू कर दिया था.
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मन में आते थे सुसाइड के विचार
हरविंदर कौर ने बताया कि मोहल्ले से लेकर स्कूल तक उनका काफ़ी मज़ाक बनाया जाता था. एक समय था जब लोगों के तानों से परेशान होकर उन्होंने ख़ुद को कमरे में बंद रखना शुरु कर दिया था. इस दौरान उनके दिमाग़ में कई बार आत्महत्या के विचार भी आए, लेकिन कॉलेज जाने के बाद उनकी ज़िंदगी में काफ़ी बदलाव आया और वो ख़ुद के बारे में काफ़ी पॉज़िटिव सोचने लगीं.
कड़ी मेहनत कर बनीं एडवोकेट
हरविंदर को कम हाइट के कारण अक्सर लोगों के ताने सुनने पड़ते थे. मोहल्ले वालों से लेकर स्कूल तक उन्हें ताने ही सुनने पड़ते थे. इस दौरान कई लोग तो ऐसे भी होते थे जो उन्हें अजीब तरीके से देखते थे, लेकिन रूबी ने लोगों की इन बातों को ख़ुद पर हावी नहीं होने दी. 12वीं के बाद उन्होंने क़ानून के फ़ील्ड में अपनी एक अलग पहचान बनाने का फ़ैसला किया. लॉ की पढ़ाई पूरी करने के बाद रूबी एडवोकेट बन गईं और अब उनका सपना जज बनने का है.
आज भी कई लोग समझ लेते हैं बच्ची
हरविंदर कौर कहती हैं कि, जब वो कहीं बाहर जाती हैं तो जो लोगों उन्हें नहीं जानते वो उन्हें बच्चे की तरह ट्रीट करने लगते हैं. एक बार तो कोर्ट रुम में रीडर ने वक़ीलों से ये कह दिया कि कोर्ट में वक़ील की ड्रैस पहना कर बच्चे को क्यों लेकर आए हो. तब मेरे वक़ील साथियों ने बताया कि वो भी एक एडवोकेट हैं. कई बार टी ऐसे भी होता कि लोगो मुझे बच्ची समझ कर तौफ़ी, चॉकलेट दे जाते हैं.
हरविंदर के पिता शमशेर सिंह फिल्लौर ट्रैफ़िक पुलिस में ASI हैं और माता सुखदीप कौर एक हाउसवाइफ़ हैं. हरविंदर ने अपनी 12वीं की पढ़ाई ‘पुलिस डीएवी स्कूल जालंधर’ से की है.
बता दें कि हरविंदर कौर ने पिछले साल अपनी LLB की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद 23 नवंबर 2020 को उन्हें ‘बार काउंसलिंग ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा’ द्वारा लाइसेंस व एनरोलमेंट सर्टिफ़िकेट सौंपा गया था. हरविंदर अब जालंधर कोर्ट में क्रिमिनल केस हैंडल करने के साथ ही ज्यूडिशियल सॢवसिज़ की तैयारी भी कर रहीं हैं.