महिला दिवस पर एक फ़ोटो की सोशल मीडिया पर खूब चर्चा हो रही थी. ये तस्वीर वर्ष 1927 में हुई साल्वे कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें दुनिया के 29 साइंटिस्ट हैं. गौर करने वाली बात ये है कि इसमें मात्र एक महिला वैज्ञानिक, मैरी क्यूरी ही दिखाई दे रही हैं. इसी ने लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और एक बार फिर से जेंडर गैप की बहस शुरू हो गई.

1927 में ये कॉन्फ्रेंस नई क्ववांटम थ्योरी के बारे में बात करने के लिए बुलाई गई थी. इसमें दुनिया भर के महान वैज्ञानिकों को बुलाया गया था. हैरानी की बात तो ये है कि Einstein, Schrodinger, Heisenberg, Planck, जैसे वैज्ञानिकों के बीच सिर्फ़ एक ही महिला है.

वहीं इस तस्वीर को देखने का एक दूसरा नज़रिया ये है कि महिलाएं पहले से ही Gender Inequality की समस्या से जूझती रही हैं और मैरी क्यूरी भी इसी का एक उदाहरण हैं. दो नोबेल पुरस्कार जीतने वाली क्यूरी को पहले नोबेल प्राइज़ देने पर ऐतराज़ जताया गया था. उनके पति ने जब इसका विरोध किया और बताया कि रेडियोएक्टिव तत्वों का पता लगाने में उनका भी बराबर का योगदान दिया था, तब जाकर वो लोग ऐसा करने को तैयार हुए थे.

वहीं ये बात भी गौर करने वाली है कि 1927 में सिर्फ़ एक ही महिला वैज्ञानिक मौजूद थी? उस वक़्त भी फ़ोटोग्रफ़िक प्लेट्स का आविष्कार करने वाली Marietta Blau, इलाज के लिए रेडिएशन की खोज करने वाली Edith Quimby, Auger Emission Process की खोज करने वाली Lise Meitner जैसी तमाम प्रतिभाशाली महिला वैज्ञानिकों को नज़रअंदाज किया गया.

महिलाओं के साथ भेदभाव शुरुआत से ही होता रहा है, लेकिन यहां उन महिलाओं की भी दाद देनी ज़रूरी है, जिन्होंने न सिर्फ़ महिला सशक्तिकरण की आवाज़ बुलंद की, बल्कि समाज को आईना दिखाने में भी कामयाब रहीं.