सपने तो सभी देखते हैं पर कुछ क़िस्मतवालों के ही सपने सच होते हैं और इतिहास रच पाते हैं. अपने ख़्वाब को जीना हर किसी शख़्स की ज़िन्दगी का मक़सद होता है. हालात के आगे ज़्यादातर इंसान सपनों से समझौता कर लेते हैं.
कौन हैं प्रेमलता?
प्रेमलता अग्रवाल ऐसी ही एक शख़्सियत हैं. प्रेमलता की कहानी प्रेरणा है उन लोगों के लिए जिनको लगता है कि सपने पूरे करने की भी उम्र होती है. होममेकर और 2 बेटियों की मां प्रेमलता ने ने Seven Summits की चढ़ाई कर ली है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि प्रेमलता ने 38 की उम्र में पहाड़ों की चढ़ाई शुरू की.
प्रेमलता ने 48 की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की और इसके साथ ही वो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली सबसे उम्रदराज़ भारतीय महिला बन गईं. 2013 में Alaska के McKinley Peak की चढ़ाई, 50 की उम्र में पूरी करने के बाद ‘Seven Summits’ की चढ़ाई को पूरा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं प्रेमलता.
2018 में प्रेमलता का रिकॉर्ड संगीता सिन्धी ने तोड़ा. संगीता ने 53 की उम्र में माउंड एवरेस्ट की चढ़ाई की.
प्रारंभिक जीवन
प्रेमलता की शादी काफ़ी कम उम्र में कर दी गई और उन्हें काफ़ी कम उम्र में 2 बेटियां हईं. उनका परिवार जमशेदपुर में था और वो अपनी बेटियों को जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में टेनिस ट्रेनिंग के लिए ले जाती थीं. वहां पर प्रेमलता को डालमिया हिल ट्रेक के एडवेंचर स्पोर्ट के बारे में पता चला. प्रेमलता ने इसमें हिस्सा लिया और 500 प्रतिभागियों में तीसरे नंबर पर रहीं.
बछेंद्री पाल से मिली प्रेरणा
प्रेमलता बछेंद्री पाल के एवरेस्ट ट्रिप के एडवेंचर से प्रेरित हुईं. वे अपनी बेटियों को भी माउन्टेनियरिंग की ट्रेनिंग दिलवाना चाहती थीं. प्रेमलता बछेंद्री पाल से मिलीं जिन्होंने प्रेमलता को कोर्स में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया. प्रेमलता को पहले काफ़ी संकोच हुई क्योंकि वो 35 वर्ष की थीं लेकिन उनकी मेंटर बछेंद्री पाल ने उन्हें प्रोत्साहित किया और प्रेमलता पहाड़ों की चढ़ाई के पथ पर आगे बढ़ीं.
शिखरों को पार करने का सफ़र
2008 में प्रेमलता ने बछेंद्री पाल की लीडरशिप में दक्षिण अफ़्रिका के माउंट किलिमन्जारो की चढ़ाई पूरी की. वापसी के बाद बछेंद्री ने उन्हें माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया. अपने पति और बेटियों के सपोर्ट के साथ 2011 में प्रेमलता ने एवरेस्ट का शिखर छुआ.
प्रेमलता को 2013 में पद्म श्री और 2017 में टेंज़िंग नॉर्गे नेशनल एडवेंचर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.