पृथिका यशिनी, ये नाम इतिहास के पन्नों में अमर हो चुका है. ये वो शख़्सियत है जिसके सपनों ने समाज के रूढ़िवादी सोच के आगे अपना दम नहीं तोड़ा.
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कौन हैं पृथिका?
समाज के तय कई रूढ़िवादी सोच को खुली चुनौति देने वाली एक ट्रांसजेंडर महिला. पृथिका पुलिस में भर्ती होने वाली देश की पहली ट्रांसजेंडर महिला हैं. पृथिका तमिलनाडु पुलिस का हिस्सा हैं. पृथिका का जन्म लड़के के रूप में हुआ और नाम रखा गया था प्रदीप कुमार पर वो अंदर से कुछ और महसूस करती थीं. सेक्स चेंज सर्जरी के बाद वो पृथिका बन गईं.
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माता-पिता को शर्मिंदगी से बचाने के लिए छोड़ा घर
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, जब ये पता चल गया कि वो ट्रांसजेंडर हैं तब माता-पिता को शर्मिंदगी से बचाने के लिए उन्होंने घर छोड़ दिया.
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पहला ऐप्लिकेशन हुआ रिजेक्ट
पृथिका का पहले ऐप्लिकेशन, रिक्रुटमेंट बोर्ड ने रिजेक्ट कर दिया था क्योंकि फ़ॉर्म में जेंडर के तीन ऑपशन नहीं थे. ट्रांसजेंडर्स के लिए लिखित, फ़िज़िकल परीक्षा या इंटरव्यू के लिए कोई कट-ऑफ़ भी नहीं था. पृथिका ने इन सब रुकावटों के बावजूद हार नहीं मानी.
कोर्ट में दायर किए कई पिटिशन
पृथिका को पुलिस अफ़सर बनने के लिए कई बार कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाना पड़ा. इन सबके फलस्वरूप उनके केस में कट-ऑफ़ को 28.5 से 25 किया गया. पृथिका हर टेस्ट में पास कर गईं. 100 मीटर की दौड़ में वे 1 सेकेंड से पीछे रह गईं पर उनकी भर्ती ले ली गई.
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2015 में मद्रास हाई कोर्ट की एक बेंच ने तमिलनाडु यूनिफ़ॉर्म्ड सर्विसेज़ रिक्रुटमेंट बोर्ड को ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को परीक्षा देने के अवसर देने के निर्देश दिए. इस फ़ैसले के बाद प्रवेश फ़ॉर्म में जेंडर में तीन कॉलम ऐड किये गये.
पृथिका ने अपने संघर्षों से ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों के लिए नये रास्ते बनाए.