Sathyavani A Professional Auto Driver From Chennai: महिलाओं को बहुत से लोग कम आंकने की ग़लती कर बैठते हैं. जब भी वो लीक से हटकर काम करने की कोशिश करती हैं तो उन पर हंसते हैं या फिर फब्तियां कसते हैं. चेन्नई की रहने वाली सत्यवानी के साथ भी कुछ ऐसा हुआ था, जब उन्होंने आज से 23 साल पहले ऑटो रिक्शा चलाना शुरू किया था. कौन हैं ये और क्यों इन्होंने ऑटो चलाने का काम चुना, इसकी कहानी भी प्रेरणादायक और भावुक कर देने वाली है. चलिए आपको बताते हैं चेन्नई की सिंगल मदर ऑटो ड्राइवर की इंस्पिरेशनल स्टोरी.
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बेटियां होने पर पति ने छोड़ा
कोरूककुपेट की रहने वाली सत्यवानी का पसंदीदा काम टेलरिंग था, लेकिन उन्होंने हालात के आगे मजबूर होकर ऑटो रिक्शा चलाने का काम शुरू किया था. दरअसल, शादी के बाद जब इनकी तीन लड़कियां हुईं तो पति ने इनका साथ छोड़ दिया. वो 3 लड़कियां होने से उनसे गुस्सा थे.अब सत्यवानी के सामने अपनी तीनों बेटियों को पालने और उनकी पढ़ाई का ख़र्च उठाने की समस्या आ खड़ी हुई.
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सीखा ऑटो चलाने का काम
ऐसे में उनकी मां ने सत्यवानी को हौसला न हारने की हिम्मत दी. साथ में उन्होंने टेलरिंग छोड़ कुछ नया करने के लिए प्रेरित किया. ऐसा काम जिससे वो अपनी बेटियों की अच्छी परवरिश कर सकें. तब सत्यवानी ने राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई ऑटो ड्राइवर बनने की योजना में दाखिला ले लिया. उन्हें मिलाकर कुल 20 महिलाओं ने इस योजना में दाखिला लिया था, लेकिन सत्यवानी को छोड़ किसी ने भी इसे बतौर प्रोफ़ेशन अपनाया नहीं.
लोग उड़ाते थे मजाक
उनके घरवालों, समाज और पति के डर से उन्होंने ऑटो ड्राइविंग नहीं की. उनके मुताबिक, ये बहुत ही रिस्की काम था और महिलाओं के लिए ये सेफ़ भी नहीं था. वहीं सत्यवानी ने बिना किसी बात की परवाह किए इस काम की शुरुआत की. एक महिला ऑटो ड्राइवर को देख बहुत सी सवारियां उनका मजाक उड़ाती थीं. कुछ पुरुष तो भद्दे कमेंट करते और अभद्र व्यवहार भी करने की कोशिश करते. ऐसे लोगों का डटकर सामना करती थीं सत्यवानी.
परिवार के साथ ही दूसरी महिलाओं की करती हैं मदद
आज वो इस प्रोफ़ेशन के ज़रिये अपने तीनों बेटियों की पढ़ाई का ख़र्च उठा रही हैं साथ में ज़रूरतमंद महिलाओं की मदद भी कर रही हैं. यही नहीं उन्होंने बहुत सी महिलाओं को ऑटो ड्राइवर बन ख़ुद को आर्थिक रूप से संपन्न होने में मदद भी की है. आज चेन्नई में 200 से अधिक महिला ऑटो ड्राइवर हैं. इनका एक व्हाट्स्प ग्रुप भी है जिसमें सत्यवानी भी शामिल हैं. यहां एक-दूसरे से संपर्क वो मुसीबत की घड़ी में मदद हासिल करती हैं. साथ ही वो दूसरी महिलाओं को भी ये प्रोफ़ेशन चुनने का साहस प्रदान करती हैं.
सत्यवानी कहती हैं- ‘मैं 47 साल की हूं और तब तक ऑटो चलाऊंगी जब तक मेरा शरीर साथ देता है. भले ही कितनी चुनौतियां सामने आएं, मैं बस यही करना चाहूंगी.’
सैल्यूट है सत्यवानी जी को.