ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हज़ारों लड़कियां हर दिन वैश्यावृति के दलदल में जबरन धकेल दी जाती हैं. ऐसी ही एक लड़की ने अपनी कहानी सुनायी है, जिसे 12 साल की उम्र में अगवा कर लिया गया और देह व्यापार में झोंक दिया गया. उसने 17 साल की उम्र तक वही ज़िन्दगी जी, पर एक दिन उसे बचा लिया गया और हमेशा के लिए उस कैद से आज़ाद कर दिया गया.
ये कहानी Quora वेबसाइट पर शेयर की गयी थी. इस दर्दनाक कहानी को सुन कर हो सकता है आपके रोंगटे खड़े हो जाएं, पर कहीं न कहीं इसके अंत में आपको ख़ुशी होगी की आज इस लड़की के पास कोई प्यार करने वाला है.
ये है इस लड़की कि कहानी:
जब मैं 12 साल की थी, तब मुझे अगवा कर लिया गया था. मैंने कुछ दिनों पहले ही अपना 12वां जन्मदिन मनाया, वो मेरी ज़िन्दगी की आखरी पार्टी थी. मैं अपने घर के पास पार्क में खेल रही थी, तब मुझे अनजान लोग वहां से उठा ले गए.मेरी आंखें खुलीं, तो मैं एक ट्रक में थी. मेरे हाथ-पैर बंधे हुए थे, मुंह में कपड़ा ठूंसा गया था और आंखों पर पट्टी थी. जब मुझे होश आया, तो मैं एक गंदे कमरे में थी. एक औरत ने आकर मुझे खाना खिलाया. जब भी मैं मदद के लिए चिल्लाती, मेरा मुंह तकिये से दबा दिया जाता था. मेरी वर्जिनिटी एक शेख़ को बेच दी गयी. वो मुझे एक बड़े से बंगले में ले गया और हफ़्तों तक मेरा रेप किया. उसके जाने के बाद उसके साथी भी मेरा रेप करते थे. अलग-अलग आदमी आते और मेरे साथ जो जी में आता, करते.मैं रात में भी सो नहीं पाती थी, कभी ज़िन्दगी के दर्द से, तो कभी शरीर के दर्द से. ऐसा भी हुआ है कि मेरी आंख खुली, तो पहले से ही कोई मेरे शरीर में घुसा हुआ था. डॉक्टर आकर मेरा हाइमन दोबारा बनाते, और मैं दोबारा वर्जिन के रूप में बेचे जाने के लिए तैयार कर दी जाती. मुझे खिलाने और नहलाने के लिए कोई न कोई औरत आया करती थी. वो मुझे देख कर दुखी होती, किसी की आंखों में मेरी हालत देख आंसू भी आ जाते. वो प्यार से मेरे गालों पर हाथ रख देतीं, इतना ही कर सकती थीं वो. शायद उनके इसी भाव ने मेरे अन्दर के इंसान को ज़िन्दा रखे हुए था.एक दिन मैं उठी, तो किसी और जगह थी. मैं घंटों रोटी रही, मुझसे उन औरतों का मार्मिक स्पर्श भी छिन चुका था. इस नयी जगह पर मेरा नया मालिक था. यहां मुझे तैयार होना सिखाया गया, मुझे मेक-अप करना और नाचना सिखाया गया. मुझे मर्दों का मनोरंजन करने के लिए ट्रेन किया जा रहा था. मुझे अलग-अलग सेवाएं देना सिखाया गया और मालिक के साथ प्रैक्टिस करने को कहा गया.यहां मेरे पास शेख नहीं, बल्कि सूट-बूट पहने साहब आते थे. मैं एक रोबोट बन चुकी थी, कुछ भी महसूस नहीं होता था. विरोध करने की भी हिम्मत नहीं बची थी मुझमें. जैसा कहा जाता, मैं वैसा करती जाती. एक दिन खाकी साड़ी पहनी एक औरत ने मुझे जगाया. वो मुझे झंकझोर रही थी और मुझसे मेरा नाम पूछ रही थी. मैं अपना नाम तक भूल चुकी थी. कुछ समझ नहीं पा रही थी उस वक़्त, मैं बस रो दी. मेरे अपहरण के बाद, उस दिन पहली बार मुझे किसी ने गले लगाया. एक औरत ने मुझे रोते देखा, तो मुझे गले लगा कर बोली “हम तुम्हें बचाने आए हैं.”मुझे एक वैन में पुलिस स्टेशन ले जाया गया, तब मुझे पता चला कि ये मुंबई है और मेरे अपहरण के बाद पांच सालों में मुझे कुछ साल हैदराबाद में रखा गया था और फिर मुंबई लाया गया था.इसके बाद मुझे एक रेस्क्यू होम में रखा गया. वहां मनोचिकित्सक से मेरी बात करायी जाती थी और क्लासेस भी करायी जाती थीं. यहां मैंने सामान्य ज़िन्दगी जीना सीखा. मुझे पता चला कि मेरा इतनी बार गर्भपात कराया जा चुका है कि अब मैं कभी मां नहीं बन सकती. एक बार एक क्लाइंट ने मेरी कलाई तोड़ दी थी और उसका कभी इलाज नहीं कराया गया. मुझे बताया गया कि अब मेरा हाथ कभी पूरी तरह ठीक नहीं हो पायेगा.डॉक्टर्स की मदद से मैंने अपने घर का एड्रेस याद किया. जब मेरे मां-बाप से संपर्क करने की कोशिश की गयी, तो पता चला कि मेरे अपहरण के सदमे से मेरी मां ने खाना-पीना छोड़ दिया था और उनकी मौत हो गयी. मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली. एक NGO ने दिल्ली में मेरे लिए स्पॉन्सर ढूंढा और मुझे दिल्ली लाया गया. यहां मैंने कंप्यूटर सीखा और फॉरेन लैंग्वेज कोर्स किया. तब से मैं यहीं रह रही हूं. मैं अब एक कंप्यूटर सेंटर में टीचर के तौर पर नौकरी करती हूं और दो लड़कियों के साथ एक किराये के घर में रहती हूं.मेरी ज़िन्दगी में एक लड़का है, जो मुझसे प्यार करता है और मेरी इज्ज़त भी करता है. वो मेरे अतीत के बार में जानता है, पर जब मैं उसके बारे में बात करती हूं, तो असहज हो जाता है. आज भी मैं रातों को ठीक से सो नहीं पाती, अतीत के साए मुझे डराते रहते हैं. मैं आधी रात को चौंक कर उठ जाती हूं और उसे फ़ोन कर देती हूं. वो मुझे समझाता है और मुझे सेफ़ महसूस कराता है. वो प्रॉपर पंजाबी लड़का है, हमेशा मुझसे हंसने, नाचने और गाने को कहता है. मुझे लॉन्ग ड्राइव्स पर ले जाता है और मेरे लिए खाना भी बनाता है. वो मुझे खुश करने की हर मुमकिन कोशिश करता है.एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार से होने की वजह से, वो मेरे अतीत के बारे में अपने घरवालों को नहीं बता सकता. मैं ये बात समझती हूं, पर ये बात मुझे अन्दर ही अन्दर कचोटती है कि मुझे झूठ बोलना होगा. प्रॉमिस डे पर उसने मुझे शादी के लिए प्रपोज़ किया, पर मैं उससे प्यार करने के बावजूद, ‘हां’ नहीं कर पायी. मुझे लगता है मैं उसके लायक नहीं हूं. वो एक अच्छा दिखने वाला, निश्छल, पढ़ा-लिखा और शरीफ़ लड़का है. मैं एक टूटी हुई, दूषित की गयी लड़की हूं. मैं उसकी तो क्या, किसी की भी पत्नी बनने के लायक नहीं हूं.उसने कहा कि वो मेरी हां का इंतज़ार करेगा, उसके लिए मेरा पास्ट कोई मायने नहीं रखता है. उसे इस बात से भी फ़र्क नहीं पड़ता है कि मैं मां नहीं बन सकती, वो बच्चे गोद लेने को भी तैयार है. मुझे फिर भी लगता है कि वो मुझसे अच्छी लड़की डिज़र्व करता है. मैं नहीं चाहती कि मेरे अतीत का बोझ, उसकी भी ज़िन्दगी बर्बाद कर दे.
लड़की के साथ जो हुआ, वो सुन कर दुःख तो होता है, पर ये देख कर ख़ुशी होती है कि समाज में ऐसे भी लड़के हैं, जिनके लिए लड़की सिर्फ़ एक शरीर नहीं होती. अगर मेरी बात उस लड़की तक पहुंच पाए, तो उससे बस इतना ही कहना चाहूंगी कि वो ऐसा न समझे कि वो किसी के प्यार के लायक नहीं है. जो कुछ भी उसके साथ हुआ, उसमें उसका कसूर नहीं था. वो भी प्यार और सम्मान की उतनी ही हकदार है, जितनी कि कोई और लड़की. अब जब ज़िन्दगी हाथ फैलाए उसके दरवाज़े पर खड़ी है, तो उसे भी बिना देरी किये उसका हाथ थाम लेना चाहिए.
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