भारत की सबसे सीनियर मैराथन रनर पुष्पा केया भट्ट (Pushpa Keya Bhatt) इस कहावत की सटीक उदहारण हैं. मुंबई की रहने वालीं 66 वर्षीय पुष्पा भट्ट आज लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं. जिस उम्र में लोग रिटायरमेंट लेकर घर में बैठ जाते हैं उस में पुष्पा देश के लिए मेडल पे मेडल जीत रही हैं. वो अब तक कई नेशनल और इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में देश के लिए मेडल जीत चुकी हैं. पुष्पा भट्ट उम्र के इस पड़ाव में भी फ़िटनेस को काफ़ी तवज़्जो देती हैं और हफ़्ते में 16 घंटो से अधिक वर्क आउट करती हैं. पुष्पा हर रोज़ ख़ुद के सामने नईं नईं चुनौतियां लाती रहती हैं. उनकी इसी ज़िद्द से साबित होती है कि इंसान किसी भी उम्र में अपनी मेहनत और लगन से निर्धारित लक्ष्य को पूरा कर सकता है.

‘जब हौंसले बुलंद हों तो, उम्र कोई मायने नहीं रखती’

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पुष्पा भट्ट (Pushpa Bhatt) को कॉलेज टाइम से ही रनिंग और फ़िटनेस के प्रति लगाव रहा है. 17 साल की उम्र से लेकर आज तक उन्होंने कभी भी किसी भी काम को ना नहीं कहा है. पुष्पा 3 साल की बेटी की सिंगल मदर रही हैं. उन्होंने अकेले ही अपनी बेटी केया को बड़ा किया और सफल बनाया. वो कॉर्पोरेट जगत में HR प्रोफ़ेशनल का काम करती थीं. लेकिन अपने सफल कॉरपोरेट करियर के बावजूद इससे लाइफ़ से ख़ुश नहीं थीं. पुष्पा भट्ट की महत्वाकांक्षा थी कि वो दौड़ लगा कर पूरी को दुनिया नाप दें.

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सिंगल मदर रही हैं पुष्पा भट्ट

The Better India से बातचीत में पुष्पा भट्ट ने कहा ‘3 साल की बेटी की सिंगल मदर होने के नाते मुझे उस समय हमेशा ये चिंता रहती थी कि जब मैं नहीं रहूंगी, तो मेरी बेटी अपना ख़्याल कैसे रखेगी? दिन भर बैठे रहने की जॉब और स्ट्रेस भरी लाइफ़स्टाइल का मेरे शरीर पर बुरा असर पड़ा और मुझे पीठ और घुटनों में दिक्क़तें होने लगीं और फिर इन दर्दों के कारण और भी टेंशन होने लगी. लेकिन फिर एक दिन मैंने फ़ैसला लिया कि केवल टेंशन लेकर कुछ नहीं होने वाला, सेहत ठीक रखनी है तो इसके लिए कुछ तो करना पड़ेगा’.

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पुष्पा भट्ट को कॉलेज टाइम से ही रनिंग और फ़िटनेस से बेहद लगाव था. ऐसे में उन्होंने 45 साल की उम्र में अपनी जमी जमाई नौकरी छोड़ दी. नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने ख़ुद का बिज़नेस इसलिए शुरू किया ताकि उन्हें रनिंग करने के लिए समय मिल सके. पुष्पा ने ये बिज़नेस लाखों-करोड़ों रुपये कमाने के लिए नहीं, बल्कि अपने रनिंग के सपने को पूरा करने के लिए शुरू किया था. इस दौरान उन्हें जब भी मौका मिलता वो देश-विदेश की हर मैराथन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने पहुंच जाती.

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पुष्पा भट्ट ने 46 की उम्र में मुंबई में आयोजित होने वाली ‘टाटा मुंबई मैराथन’ के बारे में सुना. मैराथन के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं होने के बावजूद उन्होंने 7 किलोमीटर की इस दौड़ में भाग लेने का फ़ैसला किया. पुष्पा को लगा ये इतनी मुश्किल नहीं होगी, लेकिन 15 मिनट तक दौड़ने के बाद ही उन्हें एहसास हो गया कि मैराथन दौड़ना कोई आसान काम नहीं है. उन्हें ये भी नहीं पता था कि मैराथन में कोई अपनी मर्ज़ी से धीमे या तेज़ दौड़ सकता है और पूरी दूरी तक दौड़ने की भी ज़रूरत नहीं है.

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पुष्पा भट्ट ने इसके बाद ख़ुद को बेहतर बनाने के लिए रोज़ाना दौड़ना शुरू किया, ताकि उनका स्टैमिना भी बढ़े. 46 साल की उम्र में उन्होंने जिम करना शुरू किया. क़रीब 1 साल की प्रैक्टिस के बाद उस समय 47 साल की रहीं पुष्पा एक मैराथन में लगातार 1 घंटे तक दौड़ीं. ये उनकी ज़िंदगी का बेस्ट मोमेंट था. पुष्पा किसी भी काम को नामुमकिन नहीं मानती. उन्होंने उस उम्र में चीज़ें हासिल की हैं, जब लोग रिटायर हो जाते हैं और फिर ख़ुद को किसी क़ाबिल नहीं समझते.

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पुष्पा भट्ट को ‘मैराथन’ से है प्यार

पुष्पा भट्ट भारत में ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल स्तर पर भी कई मैराथनों में भाग चुकी हैं. वो साल 2018 में न्यूयॉर्क में ‘द वर्ल्ड मेजर्स’ और साल 2019 में ‘द बर्लिन मेजर’ मैराथन में हिस्सा ले चुकी हैं. इसके अलावा वो लगातार 5 बार ‘सातारा हिल हाफ़ मैराथन’ का हिस्सा भी रह चुकी हैं. पुष्पा भट्ट अब तक कुल 11 फुल मैराथन और 9 अल्ट्रा मैराथन में हिस्सा ले चुकी हैं. लेकिन पुष्पा की ज़िंदगी की सबसे कठिन चुनौती ‘खारदुंग ला मैराथन’ में हिस्सा लेना था. इस दौरान वो वह 14 घंटे तक दौड़ीं, लेकिन फ़ाइनल कटऑफ़ में केवल 4 मिनट से चूक गई थीं.

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‘खारदुंग ला मैराथन’ में ब्रॉन्ज़ मेडल

पुष्पा भट्ट यहीं नहीं रुकीं साल 2022 में उन्होंने फिर से ‘खारदुंग ला मैराथन’ में हिस्सा लिया, लेकिन इस बार चुनौती और भी मुश्किल थी. इस बार मैराथॉन में भाग लेने वाले प्रतियोगियों को 72 किलोमीटर का चैलेंज पूरा करना था, लेकिन पुष्पा भट्ट ने हिम्मत नहीं हारी. पिछली बार 4 मिनट से चूकने वाली पुष्पा ने इस बार 72 किमी के इस चैलेंज 4 मिनट पहले ही पूरा कर लिया. इस तरह से उन्होंने अपनी एज कैटेगरी में ब्रॉन्ज़ मेडल हासिल किया. आज पुष्पा भट्ट ‘खारदुंग ला 72 किलोमीटर चैलेंज’ पूरा करने वाले सबसे उम्रदराज़ लोगों में से एक हैं.

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ट्रेनिंग के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं

66 साल की उम्र में भी पुष्पा अपनी ट्रेनिंग के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं करतीं. वो हफ़्ते में 17 से 20 घंटे वर्कआउट करती हैं. पुष्पा साल 2018 से कोच डेनियल वाज से ट्रेनिंग ले रही हैं. इसके अलावा वो अपने खान-पान का भी पूरा ख़याल रखती हैं. रनिंग के अलावा उन्हें दुनिया घूमने का भी शौक है और मौका मिलने पर वो अक्सर कहीं ना कहीं घूमने निकल पड़ती हैं.

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