Sushma Dwivedi: जब भी बदलाव की बात आती है या बदलाव किये जाते हैं तो समाज के लोगों को खटकते भी हैं और अच्छे भी लगते हैं क्योंकि बदलाव ही किसी भी समृद्ध देश, समाज या इंसान की नींव है. हमारे देश में रीति-रिवाज़ों और धार्मिक कामों को लेकर कई बदलाव हो रहे हैं. जैसे, अब लड़कियां भी अंतिम संस्कार की क्रियाओं को करने के लिए आगे आ रही हैं. कई काम ऐसे हैं जो वो लड़कों की तरह ही घर से निकलकर कर रही हैं. अब एक बदलाव पूजा-पाठ की तरफ़ भी आया है, जिसे सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) लेकर आई हैं. अभी तक आपने पुरुष पंडित पुजारी देखे होंगे. मंदिर हो या शादी ब्याह सब में पुरूष पंडित ही आते हैं. और भारत देश में तो अभी यही चल रहा है और अमेरिका में भी पुरूष पुजारियों का ही बोलबाला था, लेकिन इस चलन को महिला पुजारी सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) ने पूरी तरह से बदल दिया. सुषमा अमेरिका की पहली भारतीय मूल की महिला पुजारी हैं.

Sushma Dwivedi

सुषमा का जन्म कनाडा में हुआ है. सुषमा को भारत की मिट्टी और यहां के रीति-रिवाज़ों और संस्कारों से जोड़े रखने का श्रेय इनके दादी-दादा को जाता है. सुषमा ने अमेरिका में शादी के अनुष्ठान को पूरा करते हुए सिर्फ़ पुरुष पुजारी को देखा था. तभी उन्होंने ठान लिया कि वो महिला पुजारी बनेंगी और शादी के रीति-रिवाज़ों के साथ-साथ अन्य धार्मिक कामों का भी हिस्सा बनेंगी. इसके लिए सुषमा द्विवेदी (Sushma Dwivedi) का सबसे अच्छा श्रोत उनकी दादी थीं. हालांकि, इनकी दादी ने कभी कोई शादी नहीं करवाई, न ही वो कोई पुरोहित हैं लेकिन उनके पास इतना धार्मिक ज्ञान और समझ ज़रूर है जो उन्हें सुषमा को पुरोहित बनाने में मदद कर सकती थी.

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इतना ही नहीं, सुषमा द्विवेदी के दादी-दादा का मॉन्ट्रियल में हिंदू मंदिर बनवाने में अहम रोल रहा था और ये मंदिर बचपन से ही इनको अपनी ओर खींचता था. इस मंदिर के ज़रिए ही उन्होंने जाना की हिंदू धर्म में बहुत अलग-अलग विचारधाराओं वाले लोग हैं. बस तभी से इन्होंने एक ऐसी पुजारी बनने की सोची जो किसी तरह का भेदभाव न करे जिसके लिए हर जाति, हर नस्ल और हर संप्रदाय के लोग एक समान हैं.

सुषमा के अनुसार,

मैं और दादी साथ बैठते थे और सारे ग्रंथों का अध्ययन करते थे. और यही सदियों से चला आ रहा है कि एक पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को अपना ज्ञान साझा करती है और उस ज्ञान को बढ़ाती है.

-सुषमा द्विवेदी

सुषमा ने दादी से ग्रंथों और मंत्रों का ज्ञान तो लिया, लेकिन उन्होंने इन्हीं सदियों से चले आ रहे मंत्रों से कुछ ऐसे मंत्र बनाए, जो किसी जात-पात या जेंडर के लिए नहीं थे, बल्कि जेंडर न्यूट्रल थे. सुषमा एक ऐसी महिला पुजारी हैं, जिन्होंने पुजारी बनकर तो सबसे अलग पहचान बनाई ही है साथ ही उन्होंने मंत्रों को सबके लिए बनाया, न कि सिर्फ़ लड़के के लिए या लड़की के लिए. सुषमा अब अमेरिका की पहली ऐसी महिला पुजारी हैं, जो समलैंगिकों सहित सभी की शादी करवाती हैं.

सुषमा ने 2016 में धार्मिक कार्क्रम कराने वाले एक Purple Pundit Project की स्थापना की, जिसमें हर तरह के गृहप्रेवश, नामकरण, शादी-विवाह से लेकर हर तरह के धार्मिक काम होते हैं. साथ ही इनके प्रोजेक्ट में जातिवाद नहीं है. हर जाति, समुदाय और लिंग के लोग यहां आ सकते हैं. सुषमा ने इसका नाम ‘पर्पल’ इसलिए रखा क्योंकि ‘पर्पल’ दक्षिण एशिया में ‘गे’ समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है. अन्य पंडितों की तुलना में सुषमा शादी को संपन्न करने में सिर्फ़ 35 मिनट लेती हैं जबकि हिंदू विवाह को पूरा करने में लगभग 3 घंटे का समय लगता है.

आपको बता दें, सुषमा एक ऑर्गेनिक फ़ूड कंपनी ‘डेली हार्वेस्ट’ की वाइस प्रेसिडेंट हैं और इनके पति विवेक जिंदल वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी ‘कोर’ (Kore) में चीफ़ इन्वेस्टमेंट ऑफ़िसर हैं. इनके दो बेटे हैं.