जब आप कोई कैब बुक करते हैं और उसकी ड्राइवर कोई महिला होती हैं तो इसकी 100 प्रतिशत गारंटी है कि आप उसे पलट कर ज़रूर देखेंगे. बहुत से लोगों के मन में ये शंका आती होगी ‘ठीक से चला तो लेगी न ये’, ख़ैर, इस मानसिकता को रहने ही देते हैं.
कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिनके दिमाग़ में आता होगा ‘अलग आत्मविश्वास चाहिए यार ये करने के लिए’ और इन्हीं कुछ लोगों की संख्या दुनिया में बढ़नी चाहिए. एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब महिलाओं का कैब चलाना भी ‘नॉर्मल’ ही माना जाएगा.
और अगर ड्राइवर हिजाबी हों तब तो 2 बार पलटकर देखना लाज़मी है? क्यों इसका जवाब तो शायद ही किसी के पास हो. हैदराबाद की 34 वर्षीय उमतुल हामिदा इन अनुभवों से रोज़ गुज़रती हैं लेकिन वो अपना पूरा ध्यान काम पर देती हैं.
New Indian Express के एक लेख के मुताबिक़, हामिदा हैदराबाद की सड़कों पर सुबह 10 बजे से रात के 12 बजे तक कैब दौड़ाती हैं. हामिदा को हवाईअड्डे पर लगाया गया है जहां से वो महिलाओं को पिकअप, ड्रॉप करती हैं. चाहे आंधी-तूफ़ान हो या देर रात हामिदा अपना काम पूरा ज़रूर करती हैं.
6 सालों से कैब चला रही हैं हामिदा. अपने बारे में बातें करते हुए हामिदा ने बताया कि उनकी 9 साल की एक बेटी है. इस नौकरी के लिए आरटीए ने 50 महिलाओं को चुना और उन्हीं में से एक महिला हामिदा भी हैं और उन्हें अपने काम पर गर्व है.
शुरुआती दिनों में हवाई अड्डे पर मौजूद पुरुष ड्राइवर्स को हामिदा की मौजूदगी खली लेकिन धीरे-धीरे सभी ने उन्हें अपना लिया. हामिदा के पैसेंजर्स भी उनके साथ बेहद सलीके से पेश आते हैं.
हामिदा ने ड्राइविंग अपने पिता के घर सीखी, उनके पिता के पास एस्टीम थी और ड्राइवर ने ही उन्हें ड्राइविंग सिखाई. शादी के बाद हामिदा ने अपने इस स्किल का प्रयोग परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए किया. जब हामिदा की बेटी छोटी थी तब वो उसे भी साथ लाती थीं.
राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, हैदराबाद पर ही प्री-पेड टैक्सी बुकिंग होती है और हामिदा को राइड्स मिलती हैं. हामिदा का कहना है कि सरकार को She Can ड्राइवर्स को ज़्यादा सपोर्ट करने की ज़रूरत है. हामिदा ने ये भी कहा कि अगर सरकार उन्हें सरकारी ट्रांसपोर्ट के लिए नियुक्त करती है तो इससे महिलाओं को बहुत प्रेरणा मिलेगी.
हामिदा की कहानी काफ़ी प्रेरणादायक है ख़ासकर उन लोगों के लिए जो अक्सर महिलाओं की ड्राइविंग पर तंज कसते हैं.