Pratiksha Tondwalkar: पुरूषों की इस समाज में जब एक महिला कुछ करने की ठानती है तो उसे बहुत ऐसे हाथ होते हैं जो उसे पीछे खींच लेते हैं. बहुत ही ऐसी वजह होती हैं, जो उसे आगे नहीं बढ़ने देती, जैसे छोटी उम्र में शादी करा देना, पढ़ने न भेजना, घर के कामों में लगा के रखना, जिससे वो आगे न बढ़ सकें, लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं, जो इन्हीं सब के बीच आगे बढ़ रही हैं और मुश्किलों को झेलते हुए आकाश को छू रही हैं. ऐसी ही एक महिलाएं की संघर्ष और सफलता की कहानी आज आपको बताएंगे.

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Pratiksha Tondwalkar

इनका नाम प्रतिक्षा टोंडवालकर (Pratiksha Tondwalkar) है और ये पुणे की रहने वाली हैं. इन्होंने जिस बैंक में स्वीपर का काम किया उसी बैंक में आज वो AGM हैं. प्रतिक्षा की प्रतिक्षा और मेहनत ने उन्हें यहां तक पहुंचाया है, लेकिन प्रतिक्षा के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था क्योंकि जब पढ़ने की उम्र थी तब प्रतिक्षा की शादी हो गई तो वो पढ़ाई भी ज़्यादा नहीं कर पाई. चलिए प्रतिक्षा के बारे में जानते हैं.

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प्रतिक्षा का जन्म 1964 में हुआ था और महज़ 17 साल की छोटी उम्र में उनकी शादी हो गई और शादी के दो साल बाद ही उन्होंने अपने पति को खो दिया. पति के जाने के बाद घर चलाने के लिए प्रतिक्षा ने नौकरी करनी चाही, लेकिन शिक्षा के अभाव के चलते नौकरी मिलना मुश्किल हो रहा था. इसलिए उन्होंने बिना कुछ सोचे-समझे SBI बैंक में स्वीपर की नौकरी कर ली.

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DNA के अनुसार, SBI में बतौर स्वीपर काम करने के दौरान प्रतिक्षा ने मैट्रिक की परीक्षा पास की और आगे पढ़ना और बढ़ना जारी रखा. प्रतिक्षा ने जो पैसे कमाए उसकी मदद से मुंबई के विक्रोली के नाइट कॉलेज में एडमिशन लिया और अपने सह-कर्मियों के सहयोग से 1995 में उन्होंने मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री ली.

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प्रतीक्षा ने अपने स्वीपर के कौम को भी इतनी लगन से किया कि उन्हें उसी बैंक में क्लर्क बना दिया गया. इसके बाद, वो ट्रेनी ऑफ़िसर बनीं इस सिलसिले में और भी पोस्ट जुड़ती चली गईं स्केल 4, CGM और अब वो इसी बैंक में AGM के तौर पर नियुक्त हैं. प्रतिक्षा 37 साल से SBI के साथ जुड़ी हैं और अब दो साल बाद रिटायर होने वाली हैं. प्रतीक्षा ने 2021 में Naturopathy Program में ग्रेजुएशन किया क्योंकि रिटायरमेंट के बाद वो अपना सारा समय दूसरों की मदद करने में लगाना चाहती हैं.

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आपका बता दें, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने प्रतीक्षा को उनकी तरक्की के लिए सम्मानित किया है, जो उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और सच्ची कर्तव्यनिष्ठा से पाई है. आज प्रतीक्षा उन सब महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं, जो कुछ करने की चाह रखती हैं और जो हालातों के आगे घुटने नहीं टेकना चाहती.