‘अगर कुछ कर गुज़रने का जज़्बा हो तो मंज़िलें आसान हो जाती हैं’ Success Story of Sana Ali: मध्य प्रदेश के विदिशा की रहने वाली सना अली (Sana Ali) ने इस कहावत को सच कर दिखाया है. दरअसल, सना का Indian Space Research Organisation (ISRO) में चयन हो गया है, लेकिन सना ने यहां तक पहुंचने के लिए जिन मुश्किलों का सामना किया वो जर्नी प्रेणादायक है.

ये भी पढ़िए: उम्र नहीं जज़्बा मायने रखता है, 66 की उम्र में मैराथन रनर पुष्पा भट्ट जीत चुकी हैं देश के लिए कई मेडल

Zeenews

दरअसल, सना अली के पिता साजिद अली ड्राइवर हैं. लेकिन बेटी ने कड़ी मेहनत कर आज अपने पिता का सपना पूरा कर दिखाया है. इसरो (ISRO) में चयनित होने के बाद सना अब वहां टेक्निकल असिस्टेंट का पदभार संभालेंगी. वो बचपन से पढ़ाई में मेधावी रही हैं. सना ने विदिशा के एसएटीआई कॉलेज से एमटेक किया है. बेटी की पढ़ाई के लिए पिता को लोन तक लेना पड़ा था. 

सना अली की पढ़ाई के लिए गिरवी रखने पड़े गहने

सना अली (Sana Ali) ने परिवार की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के बावजूद अपनी पढ़ाई में कोई कमी नहीं रखी. इस दौरान उन्हें काफ़ी संघर्ष करना पड़ा है. परिवार ने भी सना की पढ़ाई के लिए कभी हाथ पीछे नहीं खींचे. यहां तक कि उनकी पढ़ाई के लिए माता-पिता ने अपने गहने तक गिरवी रख दिए थे. इस दौरान परिवार को कई बार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा है.

सना अली (Sana Ali) अपना ख़र्च निकालने के लिए पढ़ाई के दौरान ट्यूशन भी पढ़ाया करती थीं. 10वीं की पढ़ाई के बाद रिश्तेदारों और आस पड़ोस के लोगों ने उनके माता-पिता को सना की शादी की सलाह तक दे डाली थी, लेकिन पिता का सपना था कि बेटी एक दिन परिवार का नाम रौशन करे. अब सना की उपलब्धि से परिवार में ख़ुशी की लहर है. सना की सफलता पर पूरे प्रदेश को गर्व है. 

इंजीनियरिंग के बाद की शादी 

सना अली (Sana Ali) ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद ग्वालियर के इंजीनियर अकरम ख़ान से शादी कर ली थी. शादी के बाद भी सना अपनी तैयारी में जुटी रही. ससुराल से भी उन्हें पूरा सहयोग मिला. आज सना अली मध्य प्रदेश और देश की उन बेटियों के लिए नज़ीर बन गई हैं जो आर्थिक तंगी के कारण अपनी पढ़ाई को विराम दे देती हैं.

MP TAK से बातचीत में सना अली ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, ससुराल वालों, शिक्षकों, रिश्तेदारों और टीचरों को दिया है. सना ने देश की बेटियों को पैगाम देते हुए कहा कि, यदि आप अपना ख़्वाब पूरा करना चाहती हैं, तो पूरी मेहनत और लगन के साथ पढ़ाई करना होगी. मंज़िल अक्सर दूर ज़रूर नज़र आती है, लेकिन नियमित अध्ययन और प्रयास से सफलता ज़रुर मिलती है. जीवन में कुछ भी नामुमकिन नहीं है, इसलिए मेहनत में कोई क़सर नहीं छोड़ना चाहिए. 

ये भी पढ़िए: मिलिए 100 वर्षीय बोयतराम डूडी से, 66 सालों से लगातार सरकारी पेंशन ले रहा इकलौता भारतीय