कोई भी मंज़िल मुश्किल नहीं होती. मुश्किल भरे तो वो रास्ते होते हैं, जिन पर चलकर हमें मंज़िल तक पहुंचना होता है. मगर दिक़्क़त तब और बढ़ जाती है, जब इंसान को न तो मंज़िल का पता हो और न ही रास्तों का. बस वो चल निकला हो एक अनजान सफ़र पर.
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महज़ 300 रुपये लेकर चीनू काला (Chinu Kala) ने छोड़ा था घर
चीनू काला (Chinu Kala) ने जब मुंबई में अपना घर छोड़ा, तो उन्हें नहीं पता था कि वो आगे क्या करने वाली हैं. जेब में महज़ 300 रुपये थे. कोई सहारा नहीं, कोई ठिकाना नहीं. दो दिन तक तो उन्हें कुछ समझ ही नहीं आया कि वो क्या करें. वो बेहद डरी हुई थीं.
वो कहती हैं, ‘मुझे नहीं पता कि इतनी हिम्मत मुझमें कहां से आई. मेरे पास सिर्फ़ 2 जोड़ी कपड़े और एक जोड़ी चप्पल थी. पहले 2 दिन तो मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है और मैं बहुत डरी हुई थी. मुझे ख़ुद को संभालने में 2-3 दिन लगे. इसके बाद मुझे रहने के लिए एक डॉर्मिट्री मिली.’
घर-घर जाकर सामान बेचने से की शुरुआत
मगर ये काम भी कोई आसान नहीं था. लोग सेल्सगर्ल को देखते ही दरवाज़ा बंद कर लेते थे. मगर इस चीज़ ने उन्हें दुखी नहीं किया, बल्क़ि और मज़बूत कर दिया. उन्होंने लगातार मेहनत से काम कर प्रमोशन पा लिया. महज 16 साल की उम्र में वो सुपरवाइज़र बन गईं. अब वो दूसरी तीन लड़कियों को ट्रेनिंग देने लगीं.
सेल्सगर्ल की नौकरी के बाद चीनू ने एक रेस्टोरेंट में वेटर का काम किया. इस काम में उन्हें अच्छा पैसा मिला. तीन सालों के संघर्ष के बाद वो आर्थिक तौर पर मज़बूत हो चुकी थीं.
जो कुछ सीखा, वो ज़िंदगी से सीखा
चीनू ने जब घर छोड़ा, तो उनकी उम्र महज़ 15 साल ही थी. कम उम्र थी, तो ज़्यादा पढ़ाई भी नहीं हुई. ऐसे में उन्होंने जो कुछ सीखा वो ज़िंदगी से ही सीखा. लाइफ़ के प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने में मदद की. साथ ही एक शख़्स ने भी, जो उनकी लाइफ़ में पार्टनर बनकर आया. ये शख़्स थे उनके पति अमित काला. चीनू ने 2004 में अमित से शादी की और फिर बेंगलुरु शिफ़्ट हो गईं.
चीनू कहती हैं, ‘मुझे फ़ैशन बेहद पसंद था, लेकिन मेरे पास ख़ुद पर ख़र्च करने के लिए पैसे नहीं थे.’
अब बारी थी ख़ुद का सपना साकार करने की
चीनू की ज़िंदगी में अब रोज़ा़ना का संघर्ष नहीं था. उन्हें दो वक़्त की रोटी की चिंता नहीं था. कमाई भी अच्छी थी. मगर एक सपना था, जिसे चीनू को पूरा करना था. वो था बिज़नेसवुमेन बनने का. इसकी शुरुआत उनकी मॉडलिंग की दुनिया में एंट्री के साथ ही हो गई थी. दरअसल, मॉडलिंग ट्रेनिंग ने उन्हें अपनी कंपनी शुरु करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने Fonte Corporate Solutions नाम की मर्चैंडाइज़िंग कंपनी की शुरुआत की. इस दौरान उन्होंने एयरटेल, सोनी, आजतक जैसे क्लाइंट्स के साथ काम किया.
मॉडलिंग के दौरान ही उन्होंने फ़ैशन इंडस्ट्री में फै़शन ज्वेलरी का स्कोप दिखा. ऐसे में 2014 में चीनू ने Fonte को बंद कर ‘रुबंस (Rubans) एक्सेसरीज़’ खोलने का फ़ैसला किया, जिसमें एथनिक और वेस्टर्न ज्वैलरी बनाकर बेचनी थी. इस काम के लिए उन्होंने आज तक की जोड़ी अपनी सारी कमाई लगा दी.
मगर ये काम भी आसान साबित नहीं हुआ. उन्हें पहला स्टोर खोलने में ही 6 महीने लग गए थे. हालांकि, स्टोर खुला तो लोगों ने इंटरेस्ट दिखना शुरू किया. बिना ब्रांडिंग के ही कस्टमर्स की भीड़ आने लगी. बेंगलुरु में स्टार्ट हुए इस बिज़नेस का विस्तार अब कोच्चि और हैदराबाद तक हो चुका है. यहां 229 से 10,000 रुपयों तक की ज्वेलरी मिलती है. इसमें ब्रेसलेट, हार, झुमके, माथा पट्टी, मांग टिका, रिंग्स वगैरह शामिल है.
दिलचस्प बात ये है कि जिस लड़की के पास कभी ख़ुद का ठिकाना नहीं था. जिसने महज़ 300 रुपये के साथ अपना घर छोड़ा था. वो आज एक ऐसी कंपनी की मालकिन हैं, जिसका सालाना टर्नओवर 30 करोड़ रुपये से ज़्यादा का है. यहां तक कि 2021 में Business World Magazine ने चीनू को 40 अंडर 40 की सूची में शामिल किया.
Rubans की फ़ाउंडर चीनू काला (Chinu Kala) आज हर उस लड़की के लिए मिसाल हैं, जो अपनी मेहनत के दम पर सफ़लता के शिखर पर पहुंचना चाहती है.