Youngest CEO Radhika Gupta: शरीर में किसी भी तरह की कमी होना हम इंसानों के हाथ में नहीं होता है वो तो सब भगवान की रचना है, जिसे हमें पूरे दिल से स्वीकार करना चाहिए. अगर ऐसा किसी भी व्यक्ति के साथ हो तो उसको कभी हीन भावना से नहीं देखा चाहिए, न ही उसका मज़ाक उड़ाना चाहिए. सीख इस बात की सबको दी जाती है, लेकिन सब इसे माने ये ज़रूरी नहीं हैं क्योंकि कुछ लोगों को मज़ा ही दूसरों का मज़ाक उड़ाने में आता है. ऐसा ही कुछ हमारे देश की यंगेस्ट चीफ़ एग्ज़िक्यूटिव ऑफ़िसर्स (CEO) राधिका गुप्ता के साथ भी हुआ था. अपनी आपबीती राधिका ने Humans Of Bombay के साथ साझा की.
ये भी पढ़ें: जानिए कौन हैं Nikhat Zareen, जिन्होंने World Boxing Championship में भारत को दिलाया गोल्ड मेडल
Youngest CEO Radhika Gupta
राधिका गुप्ता की टेढ़ी गर्दन वाली लड़की से भारत की सबसे यंग सीईओ (Youngest CEO Radhika Gupta) बनने की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. इन्होंने अपनी कहानी Humans Of Bombay बताते हुए कहा कि,
मेरे पिता एक राजनयिक (Diplomat) थे. इस वजह से मेरी पढ़ाई भारत, पाकिस्तान, अमेरिका और नाइजीरिया में हुई. नाइजीरिया में मेरी टेढ़ी गर्दन और भारतीय लहज़े में बात करने की वजह से क्लासमेट मेरा मज़ाक उड़ाते थे. सभी मुझे ‘अप्पू’ कहकर बुलाते थे, जो सिम्पसन (The Simpsons) के एक कैरेक्टर का नाम है.
-राधिका गुप्ता
आगे बताया,
सभी मेरी तुलना हमेशा मेरी मां से करते थे, जो मेरे ही स्कूल में टीचर थीं और वो एक सशक्त महिला थीं. मेरी मां बहुत सुंदर थीं इसलिए सब कहते थे कि मैं अपनी मां की तुलना में बहुत ही बदसूरत हूं, जिससे मेरा आत्मविश्वास टूट जाता था.
-राधिका गुप्ता
ये भी पढ़ें: ईंटें उठाने से लेकर बॉडीबिल्डिंग में Gold जीतने तक, पढ़ें एक ‘मज़दूर मां’ की प्रेरणादायक कहानी
जॉब पर बात करते हुए राधिका ने बताया,
22 साल की उम्र जब मुझे 7वीं बार इंटरव्यू देने के बाद भी असफलता हाथ लगी तो मैंने आत्महत्या करने की सोची. मैं खिड़की से देख रही थी और बस कूदने वाली थी कि मेरे दोस्तों ने मुझे बचा लिया और मुझे मनोचिकित्सक (Psychiatric) के पास ले गए. मनोचिकित्सा वॉर्ड में मेरा डिप्रेशन का इलाज किया गया. मुझे डॉक्टर्स ने छुट्टी तब दी जब मैंने बोला कि मुझे जॉब इंटरव्यू देने जाना है, तब उन्होंने मुझे डिस्चार्ज कर दिया. मैं मनोचिकित्सा वॉर्ड से इंटरव्यू देने गई और मैं सफल हुई. मुझे McKinsey में जॉब मिल गया.
-राधिका गुप्ता
राधिका की ज़िंदगी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी तब उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कुछ बदलाव करने की सोची, जिसकी शुरुआत भारत लौटने से की. 25 साल की उम्र में भारत लौटकर इन्होंने अपने पति और दोस्त के साथ मिलकर Asset Management Firm की स्थापना की. कुछ साल बाद ही उनकी कंपनी का एडलवाइज़ एमएफ़ (Edelweiss MF) ने अधिग्रहण (Acquired) कर लिया. इस पर इन्होंने बताया,
मैं कार्पोरेट जगत में सफलता की सीढ़ियां चढ़ रही थीं. मैं सूट से भरे कमरे में साड़ी की तरह हो गई थी और अपने हाथों को अवसरों की ओर बढ़ाना चाहती थी. इसलिए जब एडलवाइज़ ने सीईओ की तलाश शुरू की तो मेरे पति ने मुझे इस पोस्ट के लिए अप्लाई करने के लिए प्रोत्साहित किया तब मैंने CEO की पोस्ट के लिए अप्लाई कर दिया. कुछ महीनों के बाद ही मैं भारत की यंग CEO (Youngest CEO Radhika Gupta) बन चुकी थी. मुझे 33 साल की उम्र में Edelweiss MF की CEO चुना गया.
-राधिका गुप्ता
राधिका ने बताया,
अगले ही साल उन्हें एक इवेंट में स्पीच देने के लिए बुलाया, जहां उन्होंने अपने बचपन की कहानी और सफलता की कहानी सभी लोगों के साथ शेयर की और आत्महत्या करने के बारे में भी बताया, जिसके बाद लोग भी उनके साथ अपनी कहानी शेयर करने लगे. राधिका अब 39 साल की हो चुकी हैं.
उन्होंने बताया,
पिछले चार सालों में मैंने अपनी कहानी कई लोगों के साथ शेयर की है. मेरी सबसे बड़ी अचीवमेंट ये है कि मैं इम्परफ़ेक्ट हूं, लेकिन ख़ूबसूरत हूं. इसलिए अब जब कोई मेरे लुक्स के बारे में कमेंट करता है तो मैं कहती हूं हां, मेरी आंखों में कमी है और मेरी गर्दन टेढ़ी है, लेकिन ये मेरी ख़ासियत है. आपके पास क्या है जो ख़ास और अनूठा है.
-राधिका गुप्ता
आपको बता दें, राधिका ने एक बुक भी लिखी है जिसका टाइटल Limitless है.