Sudha Murthy Stories : महिलाओं के अधिकार और जेंडर समानता के लिए संघर्ष सिर्फ़ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के लिए नहीं है. ये महिलाओं के आगे बढ़कर बोलने और जीतने की हर दिन की कहानी है, जो हमें प्रेरित करती हैं. इसी कड़ी में सुधा मूर्ति हर महिला के लिए एक आइकॉन रही हैं. क्योंकि उनमें हमेशा से ही अपने आसपास की चीज़ों को बदलने का साहस था.

Sudha Murthy Stories

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साल 2019, वो टीवी रियलिटी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के फ़ाइनल सीज़न में आई थीं. उन्होंने कई सारी इस दौरान कहानियां शेयर की थीं और साथ ही 25,00,000 रुपए भी जीते थे. इन्हीं में से एक कहानी अपने गांव में पहली महिला इंजीनियर बनने और उसके बाद TELCO में पहली महिला इंजीनियर बनने की थी.

उनका लेट 1960s में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने का फ़ैसला क्रांतिकारी था. वो अपनी क्लास में इकलौती लड़की थी और उनके लिए अपने परिवार से इसके लिए लड़ने आसान नहीं था.

“साल 1968 में मैंने इंजीनियरिंग पढ़ने का फ़ैसला किया. मेरी दादी ने कहा कि तुम ऐसा नहीं कर सकती, तब हमारी कम्यूनिटी में तुमसे कोई शादी नहीं करेगा. कई लोगों के पास देने के लिए अपने तर्क थे, लेकिन मैंने फ़ैसला किया कि मैं जाऊंगी. वहां 599 लड़के थे, मैं अकेली लड़की थी.”

जबकि कॉलेज के प्रिंसिपल ने उनकी मेरिट देखकर उन्हें एडमिशन दे तो दिया, लेकिन उन्होंने उनके सामने तीन शर्तें रखीं. पहली कि वो सिर्फ़ साड़ी ही पहनेंगी, वो कैंटीन नहीं जा सकती हैं और तीसरी कि वो लड़कों से बात नहीं कर सकती हैं.

प्रिंसिपल द्वारा रखी गई इन सभी शर्तों पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा:

“मैं पहली शर्त मान गई, मैंने कहा ठीक है मैं साड़ी पहनूंगी. दूसरा, कैंटीन इतना बुरा था कि मैं वहां वैसे भी नहीं जाती. कॉलेज में लड़कों से बात ना करने की तीसरी शर्त के बारे में एक साल तक मैंने लड़कों से बात नहीं की. फिर जब मेरी दूसरे साल पहली रैंक आई, तो वो ख़ुद ही मुझसे बात करने के लिए आए.”

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अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, उनको US में पढ़ने के लिए एक स्कॉलरशिप मिली. लेकिन चीज़ें तब बदल गई, जब उन्होंने TELCO (वर्तमान में टाटा मोटर्स के नाम से जाना जाता है) में पुरुष-विशेष नौकरी का नोटिस पढ़ा.

“1974 मार्च महीना था. मैं M.Tech फ़ाइनल ईयर में थी. मैं एक क्लास से आ रही थी, मैंने नोटिस पढ़ा. TELCO को यंग मेधावी इंजीनियरों की ज़रूरत है और सैलरी रेंज 1500 के क़रीब थी..उसमें लिखा था लेकिन महिला स्टूडेंट्स को अप्लाई करने की ज़रूरत नहीं है. मुझे बहुत गुस्सा आ गया.”

गुस्से और दृढ़ निश्चय से भरी हुई सुधा को ये भी नहीं पता था कि इस बारे में उन्हें किसे अप्रोच करना है. इसके बाद उन्होंने JRD टाटा को एक पोस्ट कार्ड लिखा. उस दौरान उन्हें टाटा का एड्रेस भी नहीं पता था, तो उन्होंने सिर्फ़ इसे ‘JRD टाटा, TELCO, मुम्बई’ लिखकर भेज दिया.

“मैं IISc में पढ़ी थी. हमारे फाउंडेशन डे पर JRD टाटा आते थे.. उनको एक ख़त लिखा.. आप कैसे बोल सकते हैं लेडी स्टूडेंट्स को अप्लाई करने की ज़रूरत नहीं है. हमारी सोसायटी में 50% लेडीज़ हैं. ऐसा किया तो हमारी सोसायटी ऊपर नहीं आ सकती.”

ये ख़त संयोगवश JRD टाटा को पहुंच गया और उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि महिलाओं को भी इंटरव्यू कॉल आए, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि फ़ाइनल परिणाम क्या होगा. सुधा जॉब के लिए क्वालीफाई कर गई और उन्होंने अमेरिका में स्कॉलरशिप लेने के बजाय इसे लेने का फ़ैसला लिया.

और इस तरह वो TELCO में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर बनीं.