Tamilnadu First Tribal Pilot Jayashree : तमिलनाडु राज्य के कोठागिरी क्षेत्र के पास एक छोटा सा गांव है कुरुकाथी. भीड़-भाड़ से अलग, एक दम शांत हरा-भरा इलाका. यहां पर रहने वाली जयश्री नामक आदिवासी महिला ने अपने सपनों की उड़ान भरी है. 27 वर्षीय जयश्री (Jayshree) ने तमिलनाडु की पहली महिला आदिवासी पायलट बनकर इतिहास रच दिया है.

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यही नहीं, जयश्री अपने समुदाय की भी पहली पायलट हैं. वो बडगा आदिवासी समुदाय की हैं. इस मुक़ाम को हासिल करने के सफ़र में उनके रास्ते में काफ़ी रुकावटें आईं, लेकिन वो अडिग रहीं और इसका परिणाम आज सबके सामने है. आइए आपको जयश्री की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताते हैं.

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फ़्लाइंग स्कूल में लिया था दाखिला

जयश्री के पिता जे मणि एक रिटायर्ड ग्राम प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं. अगर उनकी पढ़ाई की बात करें, तो उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा और कॉलेज (एम.ई कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग) कोयंबटूर में पूरी की. इसके बाद उन्होंने IT प्रोफ़ेशनल के रूप में काम करते हुए साउथ अफ्रीका (South Africa) के एक फ्लाइंग स्कूल में एडमिशन लिया. यहां उन्होंने पायलट बनने की ट्रेनिंग ली और परीक्षा पास की. इसके बाद वो भारत लौट आईं.

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परिवार वालों ने किया था विरोध

शुरुआत में जब जयश्री ने अपने परिवारवालों से विदेश में फ्लाइट ट्रेनिंग लेने की इच्छा ज़ाहिर की, तो सभी ने उनके इस फ़ैसले का विरोध किया. लेकिन जयश्री अपनी बात से पीछे नहीं हटी. अंत में उनके परिवार को भी उनकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा. जयश्री ने एक मीडिया इंटरव्यू में बताया था कि वो पहले IT फर्म में काम करती थीं. इसके बाद कोविड महामारी आ गई और उन्हें घर आना पड़ा. इस दौरान जयश्री को लगा कि उन्हें अपनी नौकरी में वो दिलचस्पी नहीं है, जो उन्हें होनी चाहिए. तभी उन्होंने अपना जुनून तलाशना शुरू किया.

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बचपन से ही देखा था पायलट बनने का सपना

जयश्री बताती हैं कि वो बचपन से ही पायलट बनना चाहती थीं. लोग जब उनसे कभी भी उनके पैशन के बारे में पूछते, तो वो पायलट ही बताती थीं. हालांकि, इस फ़ील्ड में उन्हें आगे बढ़ाने के लिए उनका कोई मार्गदर्शक नहीं था. इसलिए वो इसमें अपना करियर नहीं बना सकीं. लेकिन कोरोना महामारी में जब वर्क फ्रॉम होम करने के साथ पढ़ना शुरू किया तो उन्होंने अपना पैशन खोज लिया. इसके बाद जयश्री ने अपनी नौकरी छोड़ी और पायलट ट्रेनिंग के एग्ज़ाम दिए. फिर ट्रेनिंग के लिए वो साउथ अफ्रीका चली गईं और वहां से पायलट बनकर लौटीं.

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