वक़्त बदल गया है, ये साबित करती हैं पुणे की ये लेडी बाउंसर्स. जिन्होंने अपने साहस से पुणे को सुरक्षित रखा है. दरअसल, मैं बात कर रही हूं ‘स्वामिनी लेडी बाउंसर्स’ फ़र्म की लेडी बाउंसर्स की. इस फ़र्म को कई मुश्क़िलों से लड़कर और परिवार वालों के साथ से अमिता कदम ने शुरू किया था. इस फ़र्म की सभी महिला बाउंसर्स बिना किसी से डरे पूरे आत्मविश्वास के साथ बेधड़क अपनी ड्यूटी करती हैं.
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इस फ़र्म को बनाने वाली अमिता कदम ने बताया,
‘मेरी बहन के पति एक बाउंसर हैं. मुझे उनका काम हमेशा से अच्छा लगता था, लेकिन मैंने ये भी देखा कि Bar जाने वाली फ़ीमेल, मेल बाउंसर्स के साथ ख़ुद को असहज महसूस करती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने एसएलबी की शुरुआत की. इसके आगे वो कहती हैं कि इस काम में मेरी सास और पति ने मेरी बहुत मदद की. मेरे लिए चुनौती इन फ़ीमेल बाउंसर को तैयार करना थी, क्योंकि ये एक ऐसा काम है जिसमें ख़तरे के साथ-साथ महिलाओं को देर रात तक काम भी करना पड़ता है.’
वहीं अमिता ने इस फ़र्म के काम करने को तरीके को बताया, इन महिलाओं को सेल्फ़ डिफ़ेंस, बातचीत और मैनेजमेंट स्किल की ट्रेनिंग दी जाती है. इससे महिलाएं ख़ुद को सुरक्षित रखने के साथ ही दूसरों की सुरक्षा भी आसानी से कर पाती हैं. उनके पास हर महीने लगभग बीस इवेंट्स के लिए कॉल आती है, जिनमें लेडी बाउंसर्स की मांग की जाती है.
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महिलाओं के पास वर्कआउट का समय नहीं होता है. वो घर के काम को ही वर्कआउट मानती हैं. महिला बाउंसर्स का दिन दोपहर या शाम को शुरू होता है. कालंदी सूर्यवंशी ने बताया कि वो बस में अटेंडेंट का काम करती हैं. छात्राओं के माता-पिता बहुत खुश रहते हैं कि बस में फ़ीमेल बाउंसर है.
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इस फ़र्म में काम करने वाली पुणे की रहने वाली 31 साल की रेखा सुतार कहती हैं,
मैंने जब पहली बार बाउंसर की यूनिफ़ॉर्म पहनी थी, तो मुझे बहुत अजीब लगा था, क्योंकि मैंने हमेशा सलवार कमीज़ ही पहनी है. इसलिए जब मैं अपने घर से ट्राउज़र और शर्ट पहनकर बाहर निकली, तो पड़ोसी मुझे घूर रहे थे. पहले कुछ दिन मुझे ये असहज लगा, लेकिन अब मेरे अंदर आत्मविश्वास आ गया है.
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वहीं एक और वर्कर रेखा ने बताया,
मैं स्वामिनी लेडी बाउंसर्स में काम करती हूं. ये फ़र्म ब्यूटिशन अमिता कदम ने दो साल पहले शुरू की थी. शुरुआत में इसमें पांच लेडी बाउंसर्स थीं और आज इसमें पचास लेडी बाउंसर्स काम कर रही हैं. हम सभी पुणे के पब और आयोजनों में सुरक्षा का काम करते हैं. इसके चलते महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को सबक और नशे में धुत महिलाओं की मदद भी करते हैं.
29 साल की आरती भुवल ने बताया,
‘जब मैं पहली बार एक कार्यक्रम में गई और आधी रात को काम से लौटी, तो मेरे पति ने मुझे ये नौकरी छोड़ने को कहा. अगली बार मेरी ड्यूटी नए साल की पार्टी में लगाई गई, जिसके लिए मेरे पति राज़ी नहीं थे. फिर अमिता मेरे घर आईं और उन्होंने परिवारवालों को समझाया. उन्होंने मेरी सुरक्षा और यात्रा की पूरी ज़िम्मेदारी भी ली. उसके बाद से अब मुझे कोई समस्या नहीं होती है.’
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इन सभी लेडी बाउंसर्स ने कहा कि वे अपने काम से बहुत खुश हैं. उन्हें इस काम के लिए बहुत सम्मान और प्यार मिलता है. इसके अवाला पब में ड्यूटी करने के लिए उन्हें हर महीने 10,000 से 15,000 रुपये और दूसरे इवेंट्स में काम करने के 8000 से 10,000 रुपये वेतन मिलता है, उन्हें आठ घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है.