वो महज़ 23 साल की थी, जब एक पल में उसकी पूरी ज़िंदगी बदल गई और उसके बाद उसने कई लोगों की ज़िंदगी बदल डाली.

वही सोनल कपूर आज प्रोत्साहन नामक एनजीओ के ज़रिये कई लड़कियों का भविष्य संवार रही है. एनजीओ की शुरुआत से पहले सोनल भी सभी की तरह जॉब करती थी पर एक दिन उसके सामने हाथों में चाय लिये झोपड़पट्टी से निकल कर चलती हुई लड़की आती है. उस लड़की को देख कर सोनल का मन थोड़ा हैरान और परेशान हुआ. इसके बाद उसकी मां से बात करने पर पता चला कि कोई 40 से 45 वर्षीय आदमी उसके साथ शारीरिक संबंध बना कर गया था. ये काम हर तीसरे दिन होता था. एक मां के लिये अपनी बेटी के साथ ऐसा होता देखना आसान नहीं था, पर ये उनकी मजबूरी थी. क्योंकि इस तरह से घर के बाकि अन्य 5 सदस्यों को रोटी मिल रही थी.

इस घटना ने सोनल को अंदर से हिला कर रख दिया था, ‘उसके मन में बार-बार यही सवाल आ रहा था कि आख़िर इतनी पढ़ाई और जॉब किस काम की. मैं वही काम कर रही हूं, जो दुनिया के बाकि लोग कर रहे हैं.’ सोनल की सोच से जन्म हुआ ‘प्रोत्साहन’ नामक एनजीओ का, जिसमें उसने 400 से ज़्यादा बच्चों को पहना दी. सोनल कला, नृत्य, संगीत, मेडिटेशन और रंगमंच के रूप में इन बच्चों के चेहरे पर ख़ुशी लाना चाहती हैं.

सोनल माइक्रोबायोलॉजी की छात्र थी और उसका कहना कि संवेदनशील होना बुरी बात नहीं है. अगर मैं संवेदनशील नहीं होती, तो शायद ‘प्रोत्साहन’ का जन्म न होता. एनजीओ की शुरुआत हो चुकी थी और इसी के साथ कई बच्चों को नया जीवन भी मिल चुका था पर इस बीच कुछ महिलाएं सोनल को शादी कर बच्चे करने की सलाह दे रही थी, लेकिन वो किसी की बात पर ध्यान दिये बिना अपना करती रहीं. वहीं 33 की उम्र में आकर सोनल ने शादी करने का फ़ैसला किया पर इस शर्त के साथ कि वो ख़ुद के बच्चे नहीं करेंगे. इस हिम्मत वाली महिला का कहना है कि उसके पास एक नहीं, बल्कि कई बच्चे हैं, जो उन्हें हमेशा मातृत्व का अहसास कराते हैं.

छोटे बाल, टैटू और मज़बूत इरादों वाली सोनल कहती हैं कि सारे कामों के बीच मैं ख़ुद का ख़्याल रखना नहीं भूलती क्योंकि अगर मैं ख़ुद का ख़्याल नहीं रखूंगी, तो दूसरों की केयर कैसी पाऊंगी.

यही नहीं, अब लोगों को सोनल से कई उम्मीदें भी हैं. वहीं सोनल कहती हैं कि आज कल बहुत सारे गै़र सरकारी संगठन में काम करने वाले लोग मुद्दों से भटक जाते हैं और इसी वजह से संगठनों से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है. वहीं ‘प्रोत्साहन’ में रहने वाले बच्चों में एक कैमरा सीख रहा है, दूसरे को ऊबर का लाइसेंस मिलने वाला है और तीसरी लड़की जूडो चैंपियन है. एक मां के लिये इससे बड़ी जीत क्या होगी कि उसका हर बच्चा अपना पैरों पर खड़े होकर, उसका नाम रौशन कर रहा है.

इतने लोगों की ज़िंदगी संवारने वाली इस मां को सलाम!

Source : Indiatimes