सपनों की ख़ास बात ये है कि ये किसी लिंग या किसी जाति तक सीमित नहीं हैं. सपने कोई भी देख सकता है. वहीं, कई बार लोग अपनी कमियों से त्रस्त होकर सपने देखना छोड़ देते हैं. लेकिन, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपनी कमी की परवाह न कर सपनों को पूरा करने में दिल-ओ-जान से लग जाते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं श्रुति सितारा की, जिन्होंने ‘Miss Trans Global 2021’ का ख़िताब जीतकर भारत का नाम रोशन कर दिया है. आइये, इस लेख में जानते हैं कि आख़िर कौन हैं श्रुति सितारा.   

ट्रांस ग्लोबल का ख़िताब जीतने वाली पहली भारतीय 

लंदन से ऑर्गनाइज़ हुए ‘Miss Trans Global 2021’ नामक प्रतियोगिता को जीतने वाली पहली भारतीय बनी हैं श्रुति सितारा. रिपोर्टे के अनुसार, श्रुति पिछले 6 महीनों से प्रतियोगिता में लगी हुईं थी. वहीं, कोरोना की वजह से लंदन में होने वाले फ़िज़िकल इवेंट को ऑनलाइन किया गया और विजेता का नाम घोषित किया गया. इस प्रतियोगिता में श्रुति को Most Eloquent Queen का भी ख़िताब दिया गया है. 

प्रकट की ख़ुशी  

मीडिया से बात करते हुए श्रुति ने बताया, 

मैं इस ख़िताब को पाकर बहुत ख़ुश हूं. मैं कई महीनों से इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनी हुई थी. मुझे नहीं लगा था कि मैं इस प्रतियोगिता को जीत पाऊंगी. मैं इस ख़िताब को जीतकर बहुत ख़ुश हूं.  

-श्रुति सितारा

कौन हैं श्रुति सितारा? 

25 वर्षीय श्रुति सितारा एक ट्रासंजेंडर हैं और केरला का वाईकॉम इनका होमटाउन है. श्रुति सितारा राज्य के Social Justice Department के ट्रांसजेंडर सेल में काम भी कर चुकी हैं. जानकर अच्छा लगेगा कि श्रुति अपने लोगों के हक़ के लिए आवाज़ उठाती हैं और कई मंचों पर भाषण भी दे चुकी हैं.

 “आपका परिवार आपका पहला समाज है” 

एक इंटरव्यू में श्रुति ने कहा कि एक ट्रासजेंडर होने के बावजूद मेरे परिवार ने मुझे कभी अलग नहीं समझा. मुझे हमेशा मेरे परिवार का प्यार मिला है. मेरी माता अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन मेरे पिता, मेरे भाई और भाभी हमेशा मेरे साथ खड़े रहते हैं. श्रुति ने कहा कि आपका परिवार ही आपका पहला समाज है. अगर आपका परिवार आपको स्वीकार कर लेता है, तो सभी आपको स्वीकार कर लेंगे.  

प्रवीण रखा गया था नाम 

कहते हैं कि जब श्रुति का नाम हुआ, तो उनका नाम प्रवीण रखा गया था. वहीं, इस पर श्रुति का कहना था कि भले ही मेरा नाम प्रवीण रखा गया, लेकिन में अपनी जिंदगी श्रुति सितारा के रूप में जीना चाहती हूं. 

बुलिंग का शिकार   

श्रुति की ज़िदगी का सफ़र उतना आसान नहीं था. कहते हैं कि उनके बचपन में बुलिंग का शिकार होना पड़ा था. स्कूल में कई छात्र उन्हें मज़ाक बनाया करते थे. वहीं, भद्दे-भद्दे कमेंट्स उनकर किए जाते थे. लेकिन, श्रुति ने इस सब बातों को नज़रअंदाज ही किया, नहीं तो इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती. हालांकि, कॉलेज में आने के बाद उनकी ज़िंदगी में कई बड़े बदलाव आए.


कॉलेज के दिनों में कोच्चि में हुए एक प्रोग्राम के दौरान श्रुति अपने जैसे कई लोगों से मिलीं. उन्हें एहसास हुआ कि ट्रांसजेंडर होना भी सामान्य है और फिर उन्होंने इस बात को स्वीकार किया और आगे बढ़ती चली गईं.