पुरानी सोच को तोड़ते हुए वृन्दावन के गोपीनाथ मंदिर में विधवा महिला की शादी धूम-धाम से करायी गयी. 400 साल पुराने मंदिर में हुई इस रस्म में 500 विधवाएं शामिल हुईं.
महिला का नाम विनीता देवी है, जिससे राकेश कुमार ने शादी की है. अक्टूबर 16, 2017 को शादी के बंधन में दोबारा बंधी विनीता के पहले पति का देहांत उत्तराखंड में 2013 में आई बाढ़ के दौरान हो गया था.
विनीता ने कहा कि अन्य औरतों को भी आगे आकर अपनी ज़िन्दगी के फ़ैसले खुद करने चाहियें, चाहे वो परंपरा से जुड़े हों या करियर से.
वृन्दावन में हज़ारों विधवाएं शरण लेती हैं, ये सालों की परंपरा को तोड़ने वाला क्रांतिकारी कदम था. वृन्दावन के अलग-अलग आश्रमों से विधवाएं इस शादी में हिस्सा लेने आई थीं. ये शादी सुलभ इंटरनेशनल के डॉक्टर बिन्देश्वर पाठक के कारण संभव हो पायी.
90 वर्षीय विधवा मनु घोष ने कहा कि ये शादी सभी विधवाओं के लिए दिवाली की तरह है, ये समाज को एक सन्देश है. उन लोगों के लिए एक सीख है, जो सोचते हैं कि पति के मर जाने के बाद एक औरत की ज़िन्दगी ख़त्म हो जाती है.
पति की मौत के बाद विनीता अपने दो बच्चों के साथ अपने ससुराल, रुद्रप्रयाग में रह रही थी. दो महीने बाद वो अपनी बीमार मां की देख-रेख करने अपने मायके चली गयी. वहां उसे आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ा. पति की मृत्य के बाद उसकी ज़िन्दगी तहस-नहस हो गयी थी.
राकेश और विनीता ने 2014 में कोर्ट मैरिज की थी, लेकिन समाज ने उन्हें अपनाया नहीं था. सुलभ इंटरनेशनल संस्था ने उनकी मदद की और सबके सामने उनकी शादी करवाई.
सुलभ इंटरनेशनल संस्था विधवाओं के लिए काम करती है. विनीता आगे कुछ ऐसा करना चाहती है, जिससे उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल पाए.