भारत ने अपने पहले प्रयास में मंगल ग्रह पर विजय पताका लहराया था. 5 नवंबर, 2013 को लॉन्च होते ही भारत चौथा ऐसा देश बन गया था, जिसकी पहुंच मंगल ग्रह तक हो. इसके साथ ISRO वो पहला संगठन बना जिसने पहली बार में सफ़लता हासिल की हो.
‘मंगलायन’ प्रोग्राम में लगभग 500 कर्मचारी लगे हुए थे. उसमें से 27 % महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं काम कर रही थीं, आपने ये बात हाल ही में रिलीज़ हुई ‘मंगलयान’ फ़िल्म के ट्रेलर में सुनी होगी.
आगे हम उन महिलाओं की बात करेंगे जिनकी योगदान से ‘मगंलयान’ सफ़ल रहा.
1. Ritu Karidhal, Deputy Operations Director For Mangalyaan.
रितु को लोग ‘Rocket Woman Of India’ नाम से भी जानते हैं. वर्तमान में वो ISRO के चांद पर जाने के दूसरे मिशन चंद्रयान-2 पर काम कर रही हैं. अपने बारे में बात करते हुए रितु ने BBC को बताया था कि बचपन से उन्हें अतंरिक्ष से प्यार था. उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के बाद ही ISRO में नौकरी के लिए आवदेन डाल दिया था और चुन ली गई थीं. रितु 1997 से ISRO में काम कर रही हैं.
2. Nandini Harinath Project Manager, Mission Designer & Deputy Operations Director For Mangalyaan.
अंतरिक्ष से नंदनी का लगाव Star Trek से शुरु हुआ. उनकी पहली नौकरी ISRO में हुई थी, उनके लिए ISRO घर जैसा है और हो भी क्यों न! एक जगह 20 साल काम करने बाद उस जगह का घर जैसा महसूस होना लाज़मी है. वो अब तक 14 अलग-अलग मिशन पर काम कर चुकी हैं. मंगलयान मिशन को नंदनी ने ही डिज़ाइन किया था.
3. Anuradha TK
वर्तमान में ISRO में Communication Satellites की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं और इनके नाम के आगे उपलब्धियों की लड़ी लगी हुई है.
अनुराधा 1982 में ISRO के साथ जुड़ी थीं और वो स्पेस एजेंसी की पहली महीला प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनीं. 2003 में उन्हें Aeronautical Society Of India की ओर से ‘Space Gold Medal’ अवॉर्ड मिला, इसके अलावा अनुराधा को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं. GSAT-12 सैटेलाइट के लिए उन्हें ISRO Team Award भी मिला था.
4. Moumita Dutta, Project Manager For Mangalyaan
स्पेस एप्लिकेशन सेंटर में मॉमिता दत्ता फ़िजिसिस्ट की हैसियत से हैं. उनकी विशेषज्ञता Optical और IR Sensors/ Payloads बनाने और टेस्टिंग करने में है. ये वही शख़्सियत हैं, जिन्होंने मंगलायन के लिए Payloads बनाया था.
5. Minal Rohit, Project Manager And System Engineer For Mangalyaan.
Electronics And Communications Engineering में गोल्ड मेडलिस्ट मिनल ने NITS, अहदाबाद से पढ़ाई कर ISRO से जुड़ गईं.
Mangalyaan के लिए वो सिस्टम इंजीनियर का काम कर रही थी. वर्तमान में वो स्पेस एजेंसी में Deputy Project Manager के पद पर काम कर रही हैं.
6. Dr. Seetha Somasundaram, Program Director At ISRO’s Space Science Programme.
ISRO के साथ Dr. Seetha साल 1980 में जुड़ी थीं. उन्होंने स्पेस आधारित कई Astronomical प्रयोगों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. Dr. Seeha और उनकी टीम की ज़िम्मेदारी होती है कि सारे Payloads ठीक से काम करें.
इन महिलाओं के कंधों पर भारतीय स्पेस प्रोग्राम पूरी तरह से सुरक्षित हैं और तेज़ी से आगे की ओर बढ़ रहे हैं.