आज ‘ब्रा’ शब्द के प्रयोग से लेकर पीरियड लीव तक की बातें हो रही हैं, पर इस बीच महिला सशक्तिकरण की सबसे बड़ी बाधा को रोकने के लिए कोई ख़ास कदम नहीं उठाए जा रहे. महिलाओं की सुरक्षा पर बीते दिनों की घटनाएं सवालिया निशान लगाती हैं. जब तक महिलों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक सशक्तिकरण की बात केवल बात ही रहेगी.

Infosys की 24 वर्षीय कर्मचारी के क़त्ल के बाद जब इसी तरह मारी गयीं अन्य लड़कियों के परिजनों से बात की गयी, तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आयीं. अब तक इन लड़कियों के अपराधियों को सज़ा नहीं मिल पायी है और आए दिन ऐसी अपराधिक घटनाएं हो रही हैं.
सुरक्षा की कमी के कारण इन लड़कियों को बीते सालों में अपनी जान से हाथ धोना पड़ा:
रसीला राजू, Infosys, 29 जनवरी
रसीला को उसके दफ़्तर के ही सिक्योरिटी गार्ड ने ऑफ़िस में मार डाला. रसीला के पिता का कहना है कि एक गार्ड अकेले इस क़त्ल को अंजाम नहीं दे सकता, इसमें और भी लोग ज़रूर शामिल होंगे. सिक्योरिटी की खामी के कारण उन्हें अपनी बेटी खोनी पड़ी.
अंतरा देवानंद दास, 2016
23 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंतरा को उसके ऑफ़िस के पास चाकू से गोद कर मार दिया गया. अंतरा के कातिल को अभी तक पुलिस खोज नहीं पायी है.

दर्शना तोंगारे, 2010
21 वर्षीय दर्शना का एक अज्ञात व्यक्ति ने ऑफ़िस से घर लौटते वक़्त खून कर दिया. CID केस की जांच कर रही थी, पर अब तक केस सुलझाया नहीं गया है.
28 वर्षीय इंजीनियर, 2009
Hinjewadi के एक फ़र्म में काम करने वाली एक महिला का सामूहिक बलात्कार कर के खून कर दिया गया. कैब ड्राइवर ने ही महिला को अगवा किया था. आठ साल बाद भी उसके पति को इंसाफ़ का इंतज़ार है.

22 वर्षीय इंजीनियर, 2007
लड़की के कैब ड्राइवर ने उसे अगवा कर रेप किया और फिर उसे मौत के घाट उतार दिया.
ये सभी घटनाएं दिखाती हैं कि भले ही महिला सशक्तिकरण की कितनी बातें कर ली जाएं, सच तो ये है कि औरतें अपने ऑफ़िस जाने तक में सुरक्षित नहीं हैं.