कुछ हफ़्तों पहले, ‘संजू’ देखी. हर अभिनेता की बेहतरीन एक्टिंग. ये जानकर भी बहुत ख़ुशी हुई कि अभिनेता भी गीतकारों के गीतों से प्रेरित होते हैं.

सुनील दत्त के किरदार में नज़र आए परेश रावल की उस्तादों वाली बात दिल को छू गई. कई बार उदासी और निराशा को एक अच्छा गाना मिनटों में भुला देता है.

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संजय दत्त के बारे में कई पहलू मुझे ‘संजू’ से ही पता चले. मैंने संजय दत्त को ‘मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस’ के बाद ही जाना था. इससे पहले मैं उन्हें सिर्फ़ नाम से जानती थी. ‘मुन्नाभाई एम.बी.बी.एस’ देखने के बाद ये एहसास हुआ कि संजय एक बेहतरीन अभिनेता हैं.

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‘संजू’ देखने मैं रणबीर की वजह से गई थी, लेकिन फ़िल्म के आख़िर तक मुझे संजय की ज़िन्दगी के कई पहलू नज़र आए, जो बहुत से लोग नहीं जानते होंगे.

एक ऐसा इंसान, जो नशे के कारण मौत के मुंह में जा सकता था, ख़ुद को फिर से ज़िन्दगी के लिए तैयार करता है.

लोगों के ताने सुनता है, फिर भी काम पर ध्यान लगाने की कोशिश करता है.

अपनी ग़लती मानने की हिम्मत रखता है और उसकी सज़ा भी भुगतता है.

वो हैं संजय दत्त…अपने माता-पिता से ठीक विपरीत चरित्र के हैं संजय.

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आप उन्हें पसंद कर सकते हैं, नापसंद कर सकते हैं मगर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि संजय में सच बोलने, उसको Accept करने की हिम्मत है.

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संजय दत्त ने अपनी ज़िन्दगी में जो भी किया, डंके की चोट पर किया. ग़लतियों का पुलिंदा होने के बावजूद, वो कभी इस बात से इंकार नहीं करते कि उन्होंने ग़लत काम किया. बहुत से स्टार्स ग़लत काम करके उससे बच निकलने की कोशिश करते हैं. मगर संजय दत्त की ईमानदारी, ग़लतियों को मानने की हिम्मत, गिरकर उठने का आत्मबल है, और इसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.

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अपने करियर में उन्होंने कई फ़िल्में की. ‘खलनायक’ नाम से ही बहुत से लोग उन्हें जानते हैं. ‘खलनायक’ फ़िल्म में आख़िर में बल्लू सरेंडर कर देता है, उसे ग़लत सही का फ़र्क पता चल जाता है. वैसे ही संजय असल ज़िन्दगी के नायक हैं. मुंबई के हादसों में Indirectly ही सही वो शामिल थे, लेकिन सबके सामने इस बात को स्वीकार करने की हिम्मत करना भी एक बात होती है.

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‘Deadly Dutt’ नाम से मशहूर संजय की ज़िन्दगी का एक पहलू अगर TADA है, तो उनकी ज़िन्दगी एक पहलू ये भी है कि उन्होंने राज कुंद्रा के साथ मिलकर भारत का पहला Mix Martial Arts League- Super Fight League शुरू किया था.

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किसी को Terrorist क़रार दिया जाए, लेकिन फिर भी वो इसे ग़लत साबित करने के लिए दुनिया से लड़ जाए, ये हैं संजय दत्त उर्फ़ ‘बाबा’.

संजय के ज़िन्दगी से अगर कुछ सीख सकते हैं, तो ये कि ‘ग़लती करने से ज़्यादा ग़लत है उस ग़लती से कोई सबक न लेना. या फिर उसको सही करने की कोशिश न करना.’