घूमने-फिरने के शौक़ीनों को बस घूमने का बहाना चाहिए होता है. जिसके पास घूमने-फिरने के लिए पर्याप्त वक़्त और पैसा होता है उसे किसी भी बात की टेंशन नहीं होती है. टेंशन तो उन लोगों को होती है, जो ये चाहते हैं कि कम से कम पैसों में कोई अच्छी सी ट्रिप पर जाने का मौका मिल जाये. आज हम आपको ओडिशा के दर्शन कराने वाले हैं क्योंकि कई लोगों को आज भी लगता है कि ओडिशा पौराणिक महत्व के मंदिरों और स्मारकों वाला राज्य है.
दोस्तों आप जो सोच रहें है, वो एकदम ग़लत सोच रहे हैं. ओडिशा सिर्फ़ मंदिरों के लिए ही नहीं, बल्कि पहाड़ों, नदियों, झरनों और शानदार समुद्रीय तटों के लिए भी जाना जाता है.
1- जगन्नाथ पुरी
भारत के चार प्रमुख धामों में से एक भगवान जगन्नाथ की नगरी ‘पुरी’ दुनियाभर में प्रसिद्ध है. विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ पुरी के मंदिर के दर्शन करने की साथ-साथ रथ यात्रा में शामिल होना एक अलग ही अनुभव है. इस रथ यात्रा का धार्मिक महत्व तो है ही साथ ही ये भारतीय संस्कृति के अनूठे उत्सव का दर्शन भी कराती है.
2- पुरी बीच
ओडिशा के पुरी बीच काफ़ी मशहूर हैं. पुरी मंदिरों के लिए ही नहीं अपने शानदार समुद्री बीच के लिए भी जाना जाता है. ये बीच घूमने-फिरने के शौक़ीनों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं. पुरी रेलवे स्टेशन से केवल 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये बीच पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इसे भारत के सबसे ख़ूबसूरत समुद्र तटों में से एक माना जाता है.
3- भुवनेश्वर के मंदिर
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर को मंदिरों का शहर भी कहा जाता है. इस प्राचीन शहर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं. भुवनेश्वर में आपको उड़िया संस्कृति की झलक तो दिखेगी ही साथ ही शिल्प कला का अद्भुत नज़ारा भी देखने को मिलेगा.
4- कोणार्क का सूर्य मंदिर
पुरी ज़िले में स्थित सूर्य मंदिर देखना आपके जीवन का सबसे शानदार अनुभव हो सकता है. कोणार्क शब्द कोण और अर्क शब्दों के मेल से बना है. अर्क का अर्थ होता है सूर्य, जबकि कोण का मतलब होता है कोना या किनारा. 13वीं शताब्दी में बने इस मंदिर को देखते ही आप हैरान रह जाओगे. वास्तुकला का ऐसा अद्भुत नज़ारा शायद आपने इससे पहले कहीं नहीं देखा होगा. इस रहस्यमयी मंदिर में पूजा नहीं होती है.
5- चिल्का झील
पुरी ज़िले में स्थित चिल्का झील भी देखने लायक है. ये भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है. 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी इस झील की गहराई क़रीब 3 मीटर है.
6- नंदनकानन ज़ूलॉजिकल पार्क
भुवनेश्वर से 20 किमी दूर नंदनकानन चिड़िया घर भारत के प्रमुख चिड़ियाघरों में से एक हैं. ज़ूलॉजिकल पार्क में आपको कई तरह के जानवर देखने को मिल जायेंगे, लेकिन यहां का वाइट गाइगर काफ़ी मशहूर है.
8- उदयगिरि और खंडगिरि गुफ़ाएं
भुवनेश्वर से 8 किमी दूर स्थित उदयगिरि और खंडगिरि की गुफ़ाएं भी पर्यटकों की पहली पसंद हैं. उदयगिरि और खंडगिरि में कभी प्रसिद्ध जैन मठ हुआ करते थे. उदयगिरि में 18 गुफ़ाएं हैं और खंडगिरि में 15 गुफ़ाएं हैं. ये गुफ़ाएं पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व रखती हैं.
9- दारिंगबाड़ी
समुद्र तल से 3 हज़ार फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित दारिंगबाड़ी को ओडिशा का कश्मीर भी कहा जाता है. प्राकृतिक सौंदर्य की छटा बिखेरे ये चारों ओर से घने जंगलों से घिरी ये जगह शानदार अहसास कराती है. यहां का लुडु वाटर फ़ॉल बेहद खूबसूरत है. Hill view से Sunset और Sunrise के अद्भुद नज़ारे का आनंद लेना एक अलग ही अनुभव है. जबकि घूमने-फिरने के लिए यहां Emu बर्ड सफ़ारी, बॉटनिकल गार्डन, स्पाइस गार्डन और कलिंगा घाट जैसी कई अन्य ख़ूबसूरत जगहें भी हैं.
10- चंद्रभागा
कोणार्क के प्रसिद्ध सूर्य मंदिर से मात्र 3 किमी दूर ये जगह अपने शानदार समुद्री तटों से सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है. समंदर की उठती लहरों से निकलने वाली ठंडी हवा और समंदर का नीला पानी यहां के तटों की पहचान है. यहां के ख़ूबसूरत समुद्री तट सैर सपाटे, तैराकी, नौका विहार और पैदल चलने के लिए सबसे बेहतरीन जगह है. यहां हर साल ‘चंद्रभागा मेला’ लगता है.
11- चांदीपुर बीच
ओडिशा के बालासोर से 16 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में स्थित चांदीपुर को चांदीपुर-ओन-सी के नाम से भी जाना जाता है. चांदीपुर बीच अपने नीले समुद्रीय तटों के लिए जाना जाता है. चांदीपुर-ओन-सी में भारतीय थलसेना का परीक्षण रेंज भी है. इस रेंज से पृथ्वी, आकाश, अग्नि, शौर्य जैसी कई परमाणु सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण हो चुका है.