कहते हैं गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं. कुकर्मों से मुक्त होने के लिए रोज़ाना लाखों लोग गंगा में डुबकी लगाते हैं.

देश के कोने-कोने से लगभग 150 पुरुषों ने पिछले हफ़्ते गंगा में डुबकी लगाई. ये डुबकी अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए नहीं बल्कि ‘ज़हरीले Feminism/ नारीवाद’ से मुक्ति पाने के लिए ली गई.

News 18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘Save Indian Family Foundation’ की वर्षगांठ के अवसर पर इस श्राद्ध का आयोजन किया गया.

इस Foundation के संस्थापक राजेश वखारिया के अनुसार, भारत में हर साल अपनी शादीशुदा ज़िन्दगी से तंग आकर 92000 पति आत्महत्या करते हैं, वहीं इसके मुक़ाबले 24000 पत्नियां आत्महत्या करती हैं. पिछले 13 सालों से ये संस्था पतियों के हक़ के लिए लड़ रही है.

Men’s Right Activist अमित देशपांडे ने पीड़ित पतियों को अपनी पुरानी शादी का श्राद्ध करने का आईडिया दिया. इन पतियों ने अपनी जीवित पत्नियों का श्राद्ध कर्म किया. इसके अलावा इन्होंने ‘पिशाचिनी मुक्ति पूजा’ भी की.

अमित देशपांडे ने ये भी बताया कि इन पुरुषों ने ‘ज़हरीले Feminism’ से भी मुक्ति पाने के लिए पूजा की. उनका कहना है कि Feminism ने स्त्रियों को मूल संस्कारों से दूर कर दिया है.

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